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कृषि कानूनों के विरोध में 27 सितंबर को भारत बंद, वाम दलों के साथ बैंकिंग संगठन ने किया समर्थन

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Bharat Bandh: वाम दलों ने शुक्रवार को लोगों से अपील की कि वे केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के जरिए 27 सितंबर को आहूत भारत बंद का समर्थन करें. किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहा एसकेएम 40 से अधिक कृषि संगठनों का प्रमुख संगठन है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) ने एक संयुक्त बयान में कहा कि कृषि कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर किसानों का “ऐतिहासिक” संघर्ष 10वें महीने में पहुंच गया है. बयान में लोगों से किसानों के मुद्दों का समर्थन करने का आग्रह किया गया.

वाम दलों ने सरकार पर हठ करने का आरोप लगाया और कहा कि केंद्र संघर्षरत किसानों से बातचीत करने से इनकार कर रहा है. वाम दलों ने केंद्र सरकार के इस ‘हठ’ की निंदा करते हुए मांग की कि नए कृषि कानूनों को तुरंत निरस्त किया जाए, एमएसपी की गारंटी दी जाए, राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन को खत्म किया जाए और श्रम संहिताओं को रद्द किया जाए. बयान में कहा गया है, “वामपंथी दल अपनी सभी इकाइयों से आह्वान करते हैं कि वे भारत बंद की सफलता के लिए सक्रिय रूप से काम करें. वाम दल लोगों से इस भारत बंद का समर्थन करने की अपील करते हैं.”

याचिका खारिज

वहीं केरल उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ एकजुटता प्रकट करने के लिए सत्तारूढ़ पार्टी एलडीएफ द्वारा आहूत राज्य व्यापी हड़ताल अवैध घोषित करने की अपील वाली याचिका खारिज कर दी. मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चाली की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा हड़ताल के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं होने का आश्वासन देने के बाद सस्थमकोटा के रहनेवाले व्यक्ति की याचिका खारिज कर दी. किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने 27 सितंबर को ‘भारत बंद’ की आहूत की है और केरल सरकार ने इस बंद के प्रति एकजुटता प्रकट करने के लिए इस दिन राज्य व्यापी हड़ताल की घोषणा की.

एलडीएफ के संयोजक और माकपा के कार्यकारी सचिव ए विजयराघवन ने सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं के साथ बृहस्पतिवार को बैठक के बाद यह घोषणा की. राज्य सरकार ने शुक्रवार को उच्च न्यायालय को यह भी जानकारी दी कि 27 सितंबर को काम करने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए विशेष व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी. राज्य सरकार ने कहा कि इस हड़ताल में शामिल नहीं होने वालों की रक्षा सुनिश्चित की जाएगी. विजयराघवन ने कहा कि केंद्र सरकार की ‘किसान विरोधी नीति’ के खिलाफ इस प्रदर्शन में पांच लाख लोग हिस्सा लेंगे.

एआईबीओसी का समर्थन

वहीं अखिल भारतीय बैंक अधिकारी परिसंघ (एआईबीओसी) ने संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 27 सितंबर को आहूत ‘भारत बंद’ को बुधवार को अपना समर्थन देने की घोषणा की. एआईबीओसी ने सरकार से संयुक्त किसान मोर्चा की मांगों पर उसके के साथ फिर से बातचीत शुरू करने और तीन विवादित कृषि कानूनों को रद्द करने का अनुरोध किया. यूनियन ने एक बयान में कहा कि एआईबीओसी के सहयोगी और राज्य इकाइयां सोमवार को पूरे देश में किसानों के विरोध प्रदर्शनों के साथ एकजुटता दिखाएंगी.

इस महीने की शुरुआत में जारी एनएसएस भूमि और परिवारों के पास पशुधन और कृषि परिवारों की स्थिति आंकलन 2018-19 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए संघ ने कहा कि यह इंगित करता है कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का सरकार का लक्ष्य, दूर का सपना लगता है. प्रति कृषि परिवार का औसत बकाया ऋण वर्ष 2018 में बढ़कर 74,121 रुपये हो गया, जो वर्ष 2013 में 47,000 रुपये था. कृषि परिवारों की बढ़ती कर्जदारी, गहराते कृषि संकट को दर्शाती है.

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