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पश्चिम बंगाल में प्रतिपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सोमवार को कलकत्ता हाईकोर्ट से गुहार लगाते हुए टीएमसी नेता मुकुल रॉय के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. हाल में बीजेपी से टीएमसी में शामिल हुए मुकुल रॉय के खिलाफ दलबदल विरोधी कानून के तहत कलकत्ता हाईकोर्ट से उन्हें विधायक के पद से हटाने की मांग की गई है.
गौरतलब है कि इससे पहले पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने विधायक मुकुल रॉय को लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष नियुक्त किए जाने को लेकर राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की थी और मुकुलरॉय की नियुक्ति में नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए हस्तक्षेप का अनुरोध किया था.
Leader of Opposition in West Bengal Assembly, Suvendhu Adhikari files an application at Calcutta High Court, seeking dismissal of Mukul Roy from the post of MLA under the anti-defection law pic.twitter.com/1pQRFem5ET
— ANI (@ANI) September 27, 2021
शुभेंदु अधिकारी ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर विधायक चुने गए मुकुल रॉय सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के बाद बीजेपी के सदस्य नहीं रह गए हैं और उन्हें पीएसी अध्यक्ष बनाया जाना तय नियमों का उल्लंघन है क्योंकि इस पद पर विपक्षी दल के किसी नेता को नियुक्त किया जाता है.
इस साल जून के महीने में, मुकुल रॉय, जो बीजेपी विधायक और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणूल कांग्रेस पार्टी छोड़ने के चार साल बाद भगवा खेमे में शामिल होने के बाद टीएमसी में लौट आए थे.
‘तृणमूल कार्यकर्ता बंगाल में राज्य प्रायोजित हिंसा कर रहे’-BJP
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने वरिष्ठ नेता दिलीप घोष पर कथित हमले को लेकर सोमवार को तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि तृणमूल कार्यकर्ता ‘राज्य प्रायोजित’ हिंसा में शामिल हैं.
भाजपा के मुख्य प्रवक्ता अनिल बलूनी ने कहा कि हाल ही में विधानसभा चुनावों में पार्टी की लगातार तीसरी जीत के बाद से तृणमूल कांग्रेस के आचरण ने लोकतंत्र को “शर्मसार” कर दिया है. उन्होंने तृणमूल कार्यकर्ताओं द्वारा घोष के साथ कथित बदसलूकी का जिक्र करते हुए कहा, “यह सब टेलीविजन पर देखा जा सकता है, और यह बहुत परेशान करने वाला है. जो हुआ उसने लोकतंत्र की छवि खराब की है.’’
राज्यसभा सदस्य बलूनी ने कहा, “तृणमूल अपने प्रतिद्वंद्वियों को समान मौका नहीं दे रही है. हमारे नेताओं को प्रचार करने भी नहीं दिया जा रहा है क्योंकि तृणमूल के गुंडे राज्य प्रायोजित हिंसा में लिप्त हैं.” उन्होंने कहा कि जब घोष जैसे नेता, जिन्हें सुरक्षा मुहैया करायी गयी है, को इस तरह के हमलों का सामना करना पड़ता है, तो आम आदमी की स्थिति की कल्पना की जा सकती है.
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