[ad_1]
नयी दिल्लीः CPI की राष्ट्रीय परिषद की बैठक चार अक्टूबर को खत्म हो गई. लेकिन तीन दिवसीय बैठक में कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होने के मुद्दे पर औपचारिक रूप से चर्चा नहीं हुई. सूत्रों ने संकेत दिया कि पार्टी नेताओं को कन्हैया के इस कदम से ‘विश्वासघात’ महसूस हुआ.
सूत्रों ने कहा कि नेताओं ने महसूस किया कि कुमार को सीधे राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल कर विशेष रूप से CPI के भीतर पदोन्नत किया गया था. तीन दिवसीय बैठक में भाग लेने वाले कई नेताओं ने टिप्पणी की कि उनका कांग्रेस में शामिल होना ‘कोई आश्चर्य की बात नहीं है’ और यह ‘अवसरवाद’ को दर्शाता है.
CPI महासचिव डी राजा ने कहा, ‘कन्हैया पर कोई चर्चा नहीं हुई. पार्टी के सहयोगियों द्वारा CPI छोड़ने के बारे में कुछ टिप्पणी की गई थी. बस जैसा कि मैंने पहले कहा, कुमार का कदम उनकी महत्वाकांक्षा का परिणाम था. कोई वैचारिक राजनीतिक प्रतिबद्धता नहीं है. उनके पार्टी छोड़ने से विश्वासघात की भावना पैदा हुई है क्योंकि हमने उन्हें हर मौका दिया था. वह सीधे राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हुए, विधानसभा चुनाव लड़ा.’
CPI सम्मेलन में आगामी चुनावों पर चर्चा
CPI सम्मेलन के दौरान, राष्ट्रीय परिषद ने उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर, उत्तराखंड, गुजरात और गोवा में आगामी विधानसभा चुनावों के लिए चुनावी रणनीति और तैयारियों पर चर्चा की. इसने यह भी घोषणा की कि लखीमपुर हिंसा के खिलाफ 4 से 11 अक्टूबर तक एक विरोध अभियान शुरू किया जाएगा, जिसमें किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे, जबकि 7 नवंबर को क्रांति दिवस को चिह्नित करने के लिए संविधान और सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए एक अभियान आयोजित किया जाएगा.
CPI ने यह भी कहा कि वह BJP-RSS गठबंधन के खिलाफ अभियान को तेज करने पर केंद्रित है. बीजेपी पर निशाना साधते हुए, पार्टी ने राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के संबंध में सरकार की घोषणा की आलोचना की. भाकपा ने हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (एनडीएचएम) पर भी गंभीर चिंता व्यक्त की.
इसे भी पढ़ेंः
Punjab Politics: पंजाब को मिल सकता है नया प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, सिद्धू का इस्तीफा हो सकता है मंज़ूर
Chhatrasal Stadium Case: सागर धनखड़ मर्डर केस में सुशील कुमार को झटका, नहीं मिली जमानत
[ad_2]
Source link