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1984 के दंगों के मामले में सज्जन कुमार को उम्रकैद

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नई दिल्ली, ,। भयावह हत्याओं के 34 साल बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने यहां 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई और पुलिस की मदद से राजनेताओं द्वारा भड़काई गई हिंसा को ’मानवता के खिलाफ अपराध’ बताया।

मामले में सज्जन कुमार के अलावा पांच अन्य भी दोषी करार दिए गए हैं।

निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था। अदालत ने कहा कि अपराधी दो दशक से ज्यादा समय से बचते आ रहे थे।

न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कहा, “अदालत का मानना है कि 1984 में दिल्ली और अन्य जगहों में सिखों की बड़े पैमाने पर हत्या ’मानवता के खिलाफ अपराध’ था। ये लंबे समय तक समाज की सामूहिक अंतःचेतना के लिए सदमे की तरह रहेगा।“

अदालत ने कहा, “1984 में दिल्ली और देश के बाकी हिस्सों में एक नवंबर से चार नवंबर तक सिखों की बड़े पैमाने पर हत्या की साजिश कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता से राजनीतिक खिलाड़ियों द्वारा रची गई थी। अदालत ने इसे ’मानवता के खिलाफ अपराध’ बताते हुए कहा कि यह कुछ ऐसा ही है जैसा कि ओटोमन प्रशासन की मौन सहमति और सहायता से कुर्दों और तुर्को द्वारा बड़े पैमाने पर आर्मेनियाई लोगों की हत्या के बाद तुर्की की सरकार के खिलाफ 28 मई, 2015 को ब्रिटेन, रूस और फ्रांस की सरकारों ने पहली बार संयुक्त घोषणा में इसे मानवता के खिलाफ अपराध के रूप में स्वीकार किया था।“

साल 1947 की गर्मियों में देश के विभाजन की घटना को याद करते हुए अदालत ने कहा, “1947 की गर्मियों में विभाजन के दौरान देश ने भयावह नरसंहार देखा, जब सिख, मुस्लिम और हिंदुओं सहित कई लाख नागरिकों की हत्या कर दी गई थी।“

इसने कहा कि 37 साल बाद देश ने फिर से एक बड़ी मानव त्रासदी को देखा। 31 अक्टूबर, 1984 की सुबह दो सिख अंगरक्षकों द्वारा भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दिए जाने के बाद एक सांप्रदायिक उन्माद भड़क उठा था।

अदालत ने कहा कि उस साल एक नवंबर से लेकर चार नवंबर तक चार दिन पूरी दिल्ली में 2,733 सिखों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। उनके घरों को नष्ट कर दिया गया। देश के बाकी हिस्सों में भी हजारों सिख मारे गए।

न्यायालय ने कहा, “इस भयावह त्रासदी के अपराधियों के बड़े समूह को राजनीतिक संरक्षण का लाभ मिला और उदासीन कानून प्रवर्तन एंजेसियों से भी उन्हें मदद मिली। अदालत ने कहा कि अपराधी दो दशक से ज्यादा समय से सजा से बचते रहे।“

न्यायाधीश जी.टी. नानावटी आयोग की सिफारिश के बाद सज्जन कुमार और अन्य के खिलाफ 2005 में मामला दर्ज किया गया था।

अदालत ने कहा, “अब जबकि इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि आरोपियों को न्याय के कटघरे में लाने में तीन दशक से ज्यादा लग गए और उस प्रक्रिया में हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली को कई बार कसौटी पर जांचा गया, लोकतंत्र में यह आवश्यक है कि ऐसे बड़े अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के शिकंजे में लाया जाए।“

न्यायालय ने कहा, “चुनौतियों के बावजूद, धैर्यपूर्वक इंतजार कर रहे अनगनित पीड़ितों के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सच्चाई की जीत हो और न्याय हो।“

सज्जन कुमार और पांच अन्य पर पांच सिखों -केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह (एक ही परिवार के सदस्य)- की हत्या में शामिल होने के आरोप में मुकदमा चल रहा था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली की सैन्य छावनी क्षेत्र राज नगर इलाके में भीड़ ने इन पांचों की हत्या कर दी थी। निचली अदालत ने सज्जन कुमार को बरी कर दिया था।

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