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नई दिल्ली, लोकसभा में सोमवार को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 पेश किया गया। इसे तीन तलाक विधेयक के तौर पर भी जाना जाता है। राफेल विवाद को लेकर विरोध प्रदर्शन और विपक्षी कांग्रेस के विरोध के बीच इसे लोकसभा में पेश किया गया।
विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक को पेश किया। हंगामा करने वालों में कांग्रेस, एआईएडीएमके व तेदेपा के सदस्य शामिल थे। ये सदस्य विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।
पहली बार स्थगन के बाद दोपहर में जब सदन की बैठक फिर से शुरू हुई तो कांग्रेस, एआईएडीएमके व तेदेपा के सदस्य लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास एकत्र हो गए और नारेबाजी करने लगे।
कांग्रेस सदस्य फ्रांस के साथ हुए राफेल लड़ाकू विमान सौदे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) बनाने की मांग कर रहे थे।
विरोध कर रहे एआईएडीएमके सदस्य मेकेदातू में कावेरी नदी पर एक बांध बनाने के प्रस्ताव को कर्नाटक द्वारा वापस लेने की मांग कर रहे थे।
तेदेपा सदस्यों ने आंध्र प्रदेश के विशेष दर्जे से जुड़े मुद्दे उठाए।
हंगामे के बीच रविशंकर प्रसाद ने लोकसभा अध्यक्ष से विधेयक को पेश करने की इजाजत मांगी।
कांग्रेस सदस्य शशि थरूर ने विधेयक का विरोध किया। थरूर ने दावा किया कि इसमें एक खास धर्म को निशाना बनाया गया है और इसलिए यह असंवैधानिक है।
उन्होंने कहा, “विधेयक एक विशेष धर्म पर आधारित है और यह संविधान की धारा 14 व 21 का उल्लंघन है। यह एक गलत विधेयक है।“
रविशंकर प्रसाद ने उनकी आपत्तियों को खारिज कर दिया।
प्रसाद ने कहा, “विधेयक को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए लाया गया है। तत्काल तलाक की वजह से बहुत-सी मुस्लिम महिलाएं पीड़ित हैं। यह विधेयक राष्ट्रहित में है और संवैधानिक है। आपत्तियां निराधार हैं।“
सरकार पिछले मॉनसून सत्र में राज्यसभा में यह विधेयक पारित नहीं करा सकी थी।
सरकार ने 19 सितंबर को एक अध्यादेश जारी कर तीन तलाक को अपराध करार दिया था।