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यूनिटेक के मालिकों की मदद करने वाले तिहाड़ जेल अधिकारियों पर गिरी गाज, SC ने दिया जांच का आदेश

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Unitech Case: सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक बिल्डर्स के मालिकों संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को तिहाड़ जेल में मदद पहुंचाने के आरोपी अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश दिया है. कोर्ट ने इन अधिकारियों को निलंबित करने और उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने को कहा है. इससे पहले 26 अगस्त को कोर्ट ने चंद्रा बंधुओं को मुंबई की जेल में शिफ्ट करने को कहा था.

क्या है मामला?

निवेशकों के हज़ारों करोड़ रुपयों के गबन के आरोपी यूनिटेक के मालिक 2017 से जेल में हैं. बीच में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें संपत्तियों को बेच कर पैसे चुकाने के लिए जेल में अतिरिक्त सुविधाए दी थीं. मई 2019 में यह सुविधाए वापस ले ली गयी थीं. लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट को यह बताया कि संजय और अजय चंद्रा दिल्ली की तिहाड़ जेल में अवैध तरीके से विशेष सुविधाएं मिली हुई हैं. दोनों वहीं से जांच को प्रभावित करने के लिए सबूतों को मिटाने और गवाहों को धमकाने में लगे हैं.

26 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एम आर शाह ने मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए दिल्ली पुलिस कमिश्नर से व्यक्तिगत रूप से इसकी जांच करने को कहा था. कोर्ट ने उनसे जेल अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका तय कर 4 हफ्ते में रिपोर्ट देने के लिए भी कहा था. उसी दिन कोर्ट ने संजय और अजय को मुंबई की अलग-अलग जेलों में शिफ्ट करने के लिए कह दिया था.

आज क्या हुआ?

आज दिल्ली पुलिस कमिश्नर राकेश अस्थाना की रिपोर्ट कोर्ट में रखी गई. इस रिपोर्ट में तिहाड़ जेल के कुछ अधिकारियों के ऊपर भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की गई है. कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए इन अधिकारियों समेत मामले में शामिल दूसरे लोगों पर केस दर्ज करने को कहा. कोर्ट ने तुरंत प्रभाव से जेल अधिकारियों को निलंबित करने का भी आदेश दिया.

वकील को फटकार

आज चंद्रा बंधुओं की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह को कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई. विकास सिंह ने कहा था कि कोर्ट दोनों को पक्ष रखने का मौका नहीं दे रहा. उसे बाद में पछतावा होगा. जजों ने इस पर कड़ी नाराजगी जताई.

कोर्ट में हमेशा मुस्कुराते हुए वकीलों से संवाद करने वाले जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ को पहली बार नाराज़ देखा गया. उन्होंने अपने चेहरे पर लगाया मास्क हटा दिया और तल्ख स्वर में बोले, “मेरी बात सुनिए, मेरी बात सुनिए. यह किस तरह की भाषा है? आप कह रहे हैं कि कोर्ट को पछताना पड़ेगा? क्या यह जजों को संबोधित करने का तरीका है?” बेंच के दूसरे सदस्य जस्टिस एम आर शाह ने भी विकास सिंह से कहा, “आप अपनी आवाज़ ऊंची नहीं कर सकते. इस तरह कोर्ट पर आरोप नहीं लगा सकते. एक वरिष्ठ वकील से हमें ऐसी उम्मीद नहीं थी.”

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