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मुंबई: क्राइम ब्रांच ने गवाहों के बयान दर्ज किए, सभी ने परमबीर सिंह को बताया सचिन वाझे का बॉस

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मुंबई: मुंबई क्राइम ब्रांच जो की मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह पर लगे वसूली के आरोपों में से एक आरोप की जांच कर रही है, क्राइम ब्रांच सूत्रों में बताया की उन्होंने इस मामले में जांच के दौरान क़रीब १२ साक्षिदारो के बयान कैमरे के सामने रिकोर्ड किए हैं.

मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खिलाफ वसूली के आरोपों की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने इस मामले में 12 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं. इन सभी के बयान कैमरे के सामने हुए हैं. क्राइम ब्रांच के सूत्रों के मुताबिक इन सभी गवाहों ने बताया कि एंटीलिया कांड और मनसुख हत्या मामले में गिरफ़्तार सचिन वाजे के लिए नंबर एक मतलब परमबीर सिंह थे, ना कि महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख.

परमबीर सिंह को इसी मामले में अपना पक्ष रखने के लिए मंगलवार को जरूरी दस्तावेजों साथ बुलाया गया था. क्राइम ब्रांच की यूनिट -11 ने उन्हें नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था पर आज वो आए नहीं और ना ही उनके तरफ़ से कोई भी बात रखने वाला क्राइम ब्रांच के सामने आया.

आपको याद दिला दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जो की देशमुख पर लगे मनी लोंड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही है. उसके सामने दिए अपने बयान में सचिन वाझे ने कहा था की वो नंबर एक देशमुख के लिए इस्तेमाल करता था.

क्या था मामला?
गोरेगांव के एक व्यापारी बिमल अग्रवाल ने हाल ही में शिकायत में दर्ज करवायी थी. शिकायत में उन्होंने परमबीर सिंह, वाझे समेत दूसरे लोगों पर आरोप लगाया था कि इन लोगों ने उससे नौ लाख रुपए वसूले थे. शिकाय में कहा गया कि ये पैसे इसलिए लिए गए थे ताकि उनके बार और रेस्टोरेंट पर पुलिस की छापेमारी ना हो.

वाझे को चांदी का रंग (सिल्वर कलर) नहीं पसंद!!
अग्रवाल ने अपनी शिकायत में यह भी कहा था की उससे जबरजस्ती दो मोबाइल फ़ोन गिफ़्ट के तौर पर मांगे गए थे, जिनकी क़ीमत क़रीब २ लाख 92 हज़ार रुपए थी. सूत्रों ने बताया कि वाझे ने वो फ़ोन एक दुकानवाले को बदलने के लिए दिया था क्यूंकि जो गिफ़्ट में फ़ोन मिला था उसका रंग चांदी का था और वाझे को चांदी का रंग पसंद नहीं था. जिसकी वजह से उसने दोनों मोबाइल फ़ोन दुकान वाले को दिया था और दूसरे रंग के मोबाइल फ़ोन की मांग की थी.लेकिन जबतक उसे दूसरे रंग का मोबाइल फ़ोन मिलता उसे एनआईए ने मनसुख हत्या और एंटीलिया कांड मामले में गिरफ़्तार कर लिया था. क्राइम ब्रांच के सूत्रों में बताया की ये दोनो मोबाइल फ़ोन क्राइम ब्रांच ने रिकवर कर लिया है.

सिंह के ख़िलाफ़ कई बातें!
बिमल अग्रवाल की शिकायत पर गोरेगांव पुलिस ने मामला दर्ज किया था और बाद में यह मामला क्राइम ब्रांच को यूनिट नंबर 11 को जांच के ट्रांसफ़र किया गया. अग्रवाल ने शिकायत में कुछ ओडियो क्लिप भी दिए थे जिसे क्राइम ब्रांच वेरिफ़ाय कराएगी ताकि केस और मज़बूत बनाया जा सके.

एक अधिकारी ने बताया कि सिंह को समन भेजने के पिछले की वजह थी की उन्हें कई ऐसी बात पता चली है जिसके बारे में सिंह से पूछताछ करना बेहद ज़रूरी है. हमने इससे जुड़े दस्तावेज भी लाने को कहा है ताकि पूरी बात पर और भी सफ़ाई मिल सके. आज वो नहीं आए अब हम वरिष्ठ अधिकारियों से बात करेंगे और आगे क्या करना है. वो निर्धारित करेंगे कहां तक हम एक और समन जारी कर उन्हें हमारे सामने उपस्थित रहने के लिए एक और मौक़ा देंगे.

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