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नई दिल्लीः बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान अल्पसंख्यक हिंदुओं के पूजा स्थलों, पूजा पंडालों और उनके घरों पर हमले की कई घटनाएं हुई. इन घटनाओं ने जहां बांग्लादेश में मौजूद अल्पसंख्यक हिंदुओं की खराब स्थिति को लेकर सवाल उठ रहे हैं वहीं भारत-बांग्लादेश रिश्तो में भी तनाव पैदा होता दिख रहा है. बांग्लादेश सरकार ने जहां इन हमलों को अंजाम देने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिया है. वहीं भारत सरकार भी इस कार्रवाई का इंतजार कर रही है. इस पूरे मामले पर एबीपी न्यूज़ ने बांग्लादेश के पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री हसनुल हक इनू से खास बातचीत की. प्रस्तुत है इसी बातचीत के मुख्य अंश-
सवाल- बांग्लादेश में अचानक अल्पसंख्यक हिंदुओं के धार्मिक स्थानों और पूजा आयोजनों पर हुए हम लोगों का क्या कारण है? इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए बांग्लादेश सरकार क्या कर रही है?
जवाब- दुर्गा पूजा के दौरान बांग्लादेश में गरीब 32,000 पूजा मंडप बनाए गए. यह बहुत दुखद है कि कुछ उन्मादी धर्मांध कट्टरपंथी तत्वों ने इन पूजा मंडप को निशाना बनाया. इन लोगों ने करीब 50 स्थानों पर हमलों को अंजाम दिया जिसमें मंदिर पूजा मंडप और यहां तक की कुछ लोगों के घर भी शामिल थे. कुछ घरों और पूजा मंडपों को को जलाया भी गया. सो 32000 में से 50 स्थान ही ऐसे थे जो इस तरीके के हम लोग के शिकार बने.
पुलिस और प्रशासन ने इन घटनाओं पर बड़ी सख्ती के साथ कार्यवाही की है. यह साफ देखा जा सकता है कि आतंकवादी तत्व हिंदू और मुस्लिम बिरादरी के बीच सांप्रदायिक हिंसा की आग भड़काने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि दंगा भड़काने की इस उकसावे वाली कार्यवाही को नाकाम किया गया है. बांग्लादेश के हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच कोई हिंसक झाड़ पर या दंगे नहीं हुए हैं. शांतिपूर्ण तरीके से त्यौहार मनाया गया और हिंदू व मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पूजा मंडप के कार्यक्रमों में भाग भी लिया.
सवाल- आपने कहा कि इसके पीछे सोची समझी साजिश के तहत हिन्दू समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया. इसके पीछे कौन है?
जवाब- हमने इन हमलों की कड़ी निंदा की है क्योंकि इस तरह की घटना है बांग्लादेश के संविधान, देश और मानवता पर वार हैं. हमें लगता है कि यह एक बड़ी साजिश है जिसमें धर्म का कार्ड इस्तेमाल कर आतंकवादी तत्वों और BNP जैसे उनके राजनीतिक सहयोगियों को मदद देने का प्रयास है. पिछले कुछ सालों से जमात-ए-इस्लामी और घोषित व अघोषित तरीके से काम करने वाले आतंकी नेटवर्क बांग्लादेश की निर्वाचित शेख हसीना सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं. इसके मद्देनजर यह कहा जा सकता है कि एक राजनीतिक कार्ड की तरह हिंदू समुदाय पर हमलों का इस्तेमाल कर सरकार को गिराने की कोशिश हो रही है.
पिछले कई सालों से जमात-ए-इस्लामी एक घोषित आतंकवादी संगठन है जिसके पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के साथ रिश्ते हैं. इतना ही नहीं तालिबानी नेटवर्क के साथ भी उसके संबंध रहे हैं जिस समय ओसामा बिन लादेन अफगानिस्तान में सक्रिय था. यह सभी जानते हैं कि कट्टरपंथी संगठन और आतंकी गुट एक नेटवर्क की तरह आपस में जुड़े हैं. बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान की सहयोगी की तरह है.
यह साफ उदाहरण है जिसमें पाकिस्तानी नेटवर्क ना केवल बांग्लादेश में आतंकवाद की फंडिंग कर उसे बढ़ावा दे रहा है बल्कि पूर्व में बांग्लादेश की जमीन का इस्तेमाल कर आतंक का निर्यात भी करता रहा है. शेख हसीना की सरकार जब 2009 में सत्ता में आई तो उसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की नीति अपनाई. साथ ही आतंकवादी नेटवर्क के हाथ में के साथ-साथ मित्र देशों के खिलाफ आतंकवाद के निर्यात को रोकने पर भी काफी ध्यान दिया.
आतंकी संगठनों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की गई है. लेकिन कुछ तत्व अब भी मौजूद हैं इससे इनकार नहीं किया जा सकता. बीते 2 सालों के दौरान यह आतंकवादी तत्व बांग्लादेश की सांस्कृतिक विरासत, भाषा, शहीद स्मारकों पर हमले कर रहे हैं. साथ ही बौद्ध मठों हिंदू मंदिरों के साथ-सथ मस्जिदों व इमामों को भी निशाना बना रहे हैं.
सवाल- क्या आपको लगता है कि अफगानिस्तान में तालिबानी निजाम के आने के बाद बांग्लादेश में भी कट्टरपंथी तत्वों की हौसला अफजाई हुई है?
जवाब- बांग्लादेश में मौजूद जमात ए इस्लामी तत्वों के तालिबानी नेटवर्क के साथ सीधे तौर पर किसी मौजूदा संपर्क के बारे में तो नहीं कहा जा सकता. लेकिन इतना जरूर है कि अफगानिस्तान में तालिबान के आने का पूरी दुनिया और बांग्लादेश के कट्टरपंथी तत्वों पर भी असर हुआ है और वो अधिक उत्साहित हैं. उन्हें लगता है कि उनकी सत्ता में वापसी हो सकती है. मगर इससे भी बड़ी चिंता की बात है कि बांग्लादेश की बड़ी राजनीतिक पार्टी BNP जिसकी मुखिया पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा ज़िया हैं उसके इन कट्टरपंथी तत्वों के साथ खुले रिश्ते हैं.
हाल ही में BNP ने ही एक प्रस्ताव बढ़ाया है कि 2023 के.चुनावों में वो भाग नहीं लेगी. बल्कि निर्वाचित शेख हसीना सरकार को हटाकर एक अंतरिम सरकार बनाई जानी चाहिए. मेरे विचार में इस तरह के प्रस्तावों से ही राजनीतिक हलकों में भ्रम बढ़ा है और साथ ही राजनीतिक साज़िशों को भी बढ़ावा दिया है.
सवाल- बीते कुछ दशकों के दौरान बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की संख्या लगातार घटी है. ऐसे में आप ताजा घटनाओं के बाद किस तरह आश्वस्त कर सकते हैं कि डरे और सहमे बांग्लादेशी हिंदू सुरक्षित रह सकेंगे?
जवाब- बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के बाद कुछ माइग्रेशन हुआ. लेकिन बड़े पैमाने पर लोगों के देश छोड़कर जा रहे हैं इसके कुछ सबूत नहीं हैं. कई बार कुछ हिंदुओं और मुसलमानों के सीमा पार जाने जाने की रिपोर्ट आती है लेकिन यह चिंताजनक रफ्तार से हो रहा हो ऐसा नहीं है. उसे कहीं चिंताजनक बात यह है कि में बांग्लादेश में एक धार्मिक कट्टरपंथी तालिबानी देश बनाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में हमारी बड़ी फिक्र BNP, जमात-ए-इस्लामी जैसे सहयोगी कट्टरपंथी संगठन और प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से उनकी मदद करने वाली आतंकी संगठनों को लेकर है. हालांकि हमें इतना भरोसा है कि बांग्लादेश में कोई कट्टरपंथी सरकार नहीं आने जा रही है.
सवाल- क्या आपको लगता है कि एक सोची समझी साजिश के तहत भारत और बांग्लादेश के रिश्तो में दरार डालने की कोशिश हो रही है?
जवाब- आतंकवादी नेटवर्क जमात-ए-इस्लामी और बीएनपी लंबे समय से भारत और बांग्लादेश के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. इस तरह के तत्व अक्सर हिंदू विरोधी और भारत विरोधी कार्ड का इस्तेमाल करते हैं. पाकिस्तान के इशारे पर बांग्लादेश की जमीन से आतंकी नेटवर्क छद्म युद्ध लड़ने की कोशिश करते हैं. बीते करीब साडे 12 सालों में लोगों ने शेख हसीना सरकार के कामकाज के दौरान इन को बेनकाब होते देखा है. ऐसे में लोग पड़ोसियों के साथ खराब रिश्ता नहीं चाहते हैं. अगर आप पर्यटक ओ या सीमा पार कारोबार करने वालों का आंकड़ा देखें तो इस बात का पता लगता है कि इस में लगातार इजाफा हो रहा है.
सवाल- हाल ही में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस बात का भरोसा दिया कि हिंदुओं पर हुए हमले की घटनाओं की गहराई से जांच की जाएगी. साथी इस तरह के हमलों में जो भी जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी. ऐसे में कब तक ठोस कार्यवाही की उम्मीद की जा सकती है ?
जवाब- आप यह देखें कि 200 से अधिक लोगों को पहले ही हिरासत में लिया जा चुका है. आने वाले 7 दिनों में उम्मीद की जा सकती है की इन हमलों के साजिशकर्ता बेनकाब होंगे.
ध्यान दें कि कुछ महीने पहले हिफाजत ए इस्लाम नामक एक अन्य कट्टरपंथी संगठन ने बंगाबंधु शेख मुजीब उर रहमान की मूर्तियों रेलवे स्टेशनों और धार्मिक स्थानों पर तोड़फोड़ की थी पूर्णविराम उसके बाद हिफाजत इस्लाम के नेताओं समेत करीब 500 लोगों को गिरफ्तार किया गया और अब उनके मुकदमों का इंतजार किया जा रहा है.
कहने का तात्पर्य यह है कि शेख हसीना सरकार अपने उस संकल्प पर कायम है कि इस तरह के तत्वों के खिलाफ सख्ती से कार्यवाही की जाएगी और किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि 1 महीने के भीतर पूरी स्थिति साफ हो जाएगी.
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