राष्ट्रीय

जी20 और जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में शरीक होने इटली और यूके के दौरे पर जाएंगे पीएम मोदी

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

[ad_1]

G-20 Summit: कोरोना के घटते मामलों और देश में सौ करोड़ टीकाकरण के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश दौरों का सिलसिला एक बार फिर शुरु हो गया है. सितंबर के तीसरे हफ्ते में पीएम मोदी जहां अमेरिका यात्रा से लौटे वहीं अब अक्टूबर के आखिर और नवंबर के शुरुआत में प्रधानमंत्री इटली और ब्रिटेन दौरे पर नजर आएंगे. मोदी को जी-20 शिखर बैठक और जलवायु परिवर्तन पर ब्रिटेन के ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर होने वाली उच्चस्तरीय बैठक में शरीक होना है.

एबीपी न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक पीएम मोदी 30-31 अक्टूबर को होने वाली G-20 शिखर बैठक के लिए 29 अक्टूबर को इटली के रोम पहुंचेंगे. वहीं 31 अक्टूबर की शाम को पीएम के ब्रिटेन के ग्लासगो शहर पहुंचने का कार्यक्रम है जहाँ COP26 बैठक का आयोजन किया जा रहा है.

भारत के अलावा और कितने देश होंगे शामिल

रोम में होने वाली अहम आर्थिक चिंतन बैठक यानि G20 के मंच पर प्रधानमंत्री मोदी और ओरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन फिर साथ नजर आएंगे. इतना ही नहीं वाशिंगटन में गत माह हुई क्वाड नेताओं की पहली रुबरु शिखर बैठक के एक महीने बाद भारत, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के नेता साथ दिखाई देंगे. जापान के नए प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा 31 अक्टूबर को हो रहे चुनावों के कारण शरीक नहीं होंगे.

हालांकि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इटली यात्रा की बजाए बीजिंग से ही वीडियो लिंक के जरिए शामिल होंगे. रोचक है कि चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग जनवरी 2020 के बाद से देश के बाहर ही नहीं निकले हैं. जबकि प्रधानमंत्री मोदी और जनवरी में अमेरिका के राष्ट्रपति बने जो बाइडन भी कोरोनाकाल में अहम मुलाकातों के लिए विदेश दौरे कर चुके हैं. 

इटली में हो रही G20 की शिखर बैठक कोरोना काल में हो रही इस महत्वपूर्ण आर्थिक समूह की पहली रूबरू बैठक है. बैठक का विषय जहां पीपल, प्लेनेट और प्रोस्पेरिटी रखा गया है वहीं इस शिखर सम्मेलन के एजेंडा में कोरोना महामारी के झटकों से उबरने में जुटी वैश्विक अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के प्रभावी उपाय खोजना शामिल है. वैश्विक सप्लाई चेन को अधिक भरोसेमंद बनाने और भविष्य की महामारियों और जलवायु परिवर्तन के खतरों के खिलाफ बेहतर तैयारी की योजनाओं को मजबूत बनाना भी शामिल होगा.

भारत के लिए कितना अहम है ये बैठक

भारत के लिहाज से रोम में होने वाली G-20 बैठक और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. क्योंकि इस शिखर सम्मेलन के साथ भारत इस ताकतवर समूह की नई ट्रॉयका में शामिल हो जाएगा. ट्रॉयका यानि G20 शिखर बैठक के पिछले मौजूदा और भावी आयोजक. दरअसल, इटली के बाद G20 शिखर बैठक का आयोजन इंडोनेशिया को करना है और उसके बाद भारत 2023 में इस समूह की शिखर बैठक की मेजबानी करेगा.

G20 की रूबरू बैठक का आयोजन 2019 के बाद हो रहा है. कोरोना महामारी के कारण सऊदी अरब की मेजबानी में पिछली बैठक वर्चुअल तरीक़े से आयोजित की गई थी. इटली की यह शिखर बैठक ऐसे समय में हो रही है जब कोरोना के खिलाफ टीकाकरण हासिल कर दुनिया आर्थिक रफ्तार को पटरी पर लाने की कवायदों में जुटी है. वहीं रोम में इस बैठक के आयोजन क़ई अहमियत इस लिहाज से भी बढ़ जाती है क्योंकि इटली दुनिया के उन मुल्कों में शामिल है जिन्होंने कोरोना महामारी के दौरान बड़ी संख्या में लोगों की मौतें झेली थीं. 

पोप से भी मिल सकते हैं पीएम

सूत्रों के मुताबिक इटली जा रहे पीएम मोदी की कैथोलिक ईसाई धर्मगुरु पोप से भी मुलाकात मुमकिन है. वेटिकन सिटी में संभव यह मुलाकात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पोप फ्रांसिस की पहली भेंट होगी. हालांकि अभी इस मुलाकात को लेकर आधिकारिक तौर पर पुष्टि का इंतजार है.

प्रधानमंत्री मोदी इटली से 31 अक्टूबर को रवाना होने के बाद ब्रिटेन के ग्लासगो शहर पहुंचेंगे जहाँ जलवायु परिवर्तन पर उच्च स्तरीय COP26 शिखर बैठक का आयोजन किया जा रहा है. इस बैठक के हाशिए पर भारत की अगुवाई में  बने इंटरनेशनल सोलर अलायंस की महत्वपूर्ण बैठक भी होनी है. साथ ही भारत और ब्रिटेन संयुक्त रूप से जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी एक अहम आयोजन करेंगे. 

ध्यान रहे कि पेरिस में हुई पिछली COP बैठक में भारत ने जहाँ अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायंस की घोषणा की थी . वहीं भारत में ओसाका में हुई पिछली जीत बैठक के दौरान प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ एक मजबूत नेटवर्क बनाने के लिए सीडीआरआई जैसे प्रयास का भी ऐलान किया था.

जलवायु परिवर्तन की चुनौती पर होने वाले इस सर्वोच्च वैश्विक मंथन के दौरान भारत की कोशिश जहां अपने प्रयासों को पेश करने की होगी. वहीं अपने भाषण और मुलाकातों के जरिए प्रधानमंत्री मोदी इस बात पर भी जोर देंगे कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से मुकाबले के लिए साझा प्रयासों की जरूरत है. लेकिन इन प्रयासों में भारत जैसे विकासशील देश की जरूरतों की अनदेखी संभव नहीं है. इसके लिए यह भी जरूरी है कि ऊर्जा के वैकल्पिक साधनों की स्थिरता, बेहतर हरित तकनीकों की सुलभता और इसके लिए जरूरी वित्तीय साधनों की उपलब्धता को आसान बनाया जाए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन यात्रा द्विपक्षीय संबंधों के लिहाज से भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. ध्यान रहे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन के बीच प्रैक्टिस के बाद यह पहली मुलाकात होगी. इससे पहले दो बार बोरिस जॉनसन के भारत आने का कार्यक्रम बना लेकिन भारत और ब्रिटेन में कोविड-19 हर के कारण उसे मुल्तवी करना पड़ा था.

ये भी पढ़ें:

Punjab News: हरीश रावत की जगह ये नेता बने पंजाब कांग्रेस के प्रभारी

[ad_2]

Source link

Aamawaaz

Aam Awaaz News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2018.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button