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G-20 Summit: सप्लाय चेन की विविधता पर बाइडन ने बुलाई बैठक, पीएम मोदी भी होंगे शरीक

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G-20 Summit: कोरोना महामारी ने दुनिया में स्वास्थ्य संकट के अलावा जिस अन्य चुनौती को उभारा है वो है सप्लाई चैन की कमजोरियां. किसी भावी संकट से मुकाबले की खातिर दुनिया के कई देश सप्लाई चैन मजबूती का भरोसा चाहते हैं. इटली की राजधानी रोम में चल रहे 16वें G20 शिखर सम्मेलन के दौरान सप्लाई चैन मजबूती जहां एक प्रमुख मुद्दा है.  वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी 31 अक्टूबर को इस मामले पर एक अलग बैठक का आयोजन किया है.  इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे.

अमेरिका की कोशिश एक मजबूत सप्लाई चैन व्यवस्था बनाने की

अमेरिकी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता जैतारण ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में कहा की इस सम्मेलन के सहारे अमेरिका की कोशिश एक मजबूत सप्लाई चैन व्यवस्था बनाने की है. एक ऐसी आपूर्ति व्यवस्था जो भविष्य के संकटों का मुकाबला कर सके. निश्चित तौर पर इस काम में भारत अमेरिका का एक महत्वपूर्ण साझेदार है और उसकी क्षमताओं का भरपूर इस्तेमाल भी किया जाएगा.

इससे पहले विदेश सचिव डॉ हर्षवर्धन सिंगला ने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति जो वार्डन दरा बुलाई गई इस बैठक में शामिल होंगे. g20 शिखर बैठक के शुरुआती सत्र में भी दोनों नेताओं के बीच गर्मजोशी से मुलाकात हुई. वहीं 31 अक्टूबर की शाम राष्ट्रपति बाइडन जब साइड इवेंट का आयोजन करेंगे तो उसमें प्रधानमंत्री मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन समेत कई अन्य नेता मौजूद रहेंगे.  

पीएम ने भी इस मामले को उठाया

श्रृंगला ने बताया कि G20 शिखर बैठक के शुरुआती स्तर में भी पीएम ने इस मामले को उठाया. मोदी ने अपने भाषण में कहा कि सप्लाय चेन को विविध और मजबूत बनाने की ज़रूरत है. उन्होंने G20 देशों से भारत को इसमें साझेदार बनाने के लिए कहा. साथ ही भारत की तरफ से घरेलू स्तर पर किए गए आर्थिक सुधारों का भी उल्लेख किया.

भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया पहले ही सप्लाय चेन मजबूती के मामले पर अपनी त्रिपक्षीय साझेदारी की पहल कर चुके हैं. इसके अलावा यूरोपीय संघ के भी कई देश इस मुद्दे पर सहमत हैं. दरअसल, सप्लाई चेन में विविधता और मजबूती का यह मामला कोरोना संकट के दौरान उभरकर सामने आया. जब दुनिया के क़ई देशों ने चीन पर सामानों के लिए आपूर्ति की निर्भरता संकट की शक्ल में सामने आया. ऐसे में क़ई देशों में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े ज़रूरी समान के लिए भी विदेशी निर्भरता पर सवाल उठे.

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