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TMC में लगातार घर वापसी के बाद BJP नेताओं के बिगड़े बोल

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Rajib Banerjee Rejoins Party: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में बीजेपी नेता राजीव बनर्जी (Rajib Banerjee) रविवार को त्रिपुरा में एक रैली के दौरान टीएमसी में लौट आए. वह अगरतला में टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की रैली के दौरान आधिकारिक रूप से पार्टी में शामिल हुए. राजीव ने कहा कि वह पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री द्वारा टीएमसी नहीं छोड़ने के लिए कहने के बावजूद राज्य विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल होने का “पश्चाताप” करते हैं.

ममता बनर्जी की सरकार में पूर्व मंत्री को बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति का सदस्य नामित किया गया था और उन्होंने हावड़ा जिले के डोमजुर से विधानसभा चुनाव लड़ा था. वह टीएमसी के कल्याण घोष से 42,000 से अधिक मतों से हार गए. चुनाव के बाद टीएमसी में ‘घर वापसी’ की कतार दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. मुकुल रॉय से लेकर सब्यसाची दत्ता तक ने अन्य नेताओं के साथ पिछले दिनों में घर वापसी की हैं.

ऐसी परिस्थितियों में, दिलीप घोष और सुमित्रा खान सहित कई भाजपा नेताओं ने राजीव की पार्टी में वापसी की कड़ी आलोचना की है. दिलीप घोष ने ट्वीट किया कि, “चुनाव से पहले बहुत सारे ‘दलाल’ हमारी पार्टी में शामिल हुए थे. कुछ चले गए. कुछ अभी भी मौजूद हैं. वे कहर ढा रहे हैं. सभी को जाने के लिए कहा जाएगा. वे एक मजबूत भाजपा नहीं चाहते हैं.”

इसे सभी टीएमसी टर्नकोट के रूप में देखा जा सकता है, जिन्होंने चुनाव से पहले और बाद में जल्दी से पार्टियां बदल ली हैं.

 

सौमित्र खान ने फेसबुक लाइव में राजीव बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा कि “आप बीजेपी में उपमुख्यमंत्री बने, राजीव बनर्जी अब टीएमसी में जाएंगे बीजेपी कार्यकर्ताओं को बचाने के लिए जिन्हें डोमजूर ने पीटा था ?? बिल्कुल नहीं .”

घर वापसी की समस्या टीएमसी के अंदर भी देखने को मिली

बीजेपी ही नहीं इस घर वापसी की समस्या टीएमसी के अंदर भी देखने को मिली है. टीएमसी सांसद, कल्याण बनर्जी ने भी ऐसे नेताओं को वापस लेने के पार्टी के फैसले पर असहमति व्यक्त की, जिन्होंने पहले पार्टी को धोखा दिया था. हालांकि उन्होंने कहा कि वह पार्टी के नेतृत्व द्वारा लिए गए फैसलों को स्वीकार करने के लिए बाध्य हैं क्योंकि वह एक वफादार पार्टी कार्यकर्ता हैं.

कल्याण बनर्जी ने कहा, “राजीब बंदोपाध्याय पार्टी के प्रमुख नेतृत्व शामिल हो गया है. मुझे इसे स्वीकार करना होगा. लेकिन ममता बनर्जी ने डोमजूर में चुनावी सभा के दौरान कहा था कि राजीव बंदोपाध्याय के गरियाहाट में 3 से 4 घर हैं, जिसके लिए दुबई से पैसों का लेन-देन होता था. इसके बावजूद उन्हें लिया गया है, इसलिए हमारे शीर्ष नेतृत्व द्वारा इसका कारण बताया जा सकता है.

अभिषेक बंदोपाध्याय ने कहा था कि पार्टी के किसी भी कार्यकर्ता को चोट पहुंचाने वाले गद्दारों को पार्टी वापस नहीं लेगी. मैं पार्टी का कार्यकर्ता भी हूं और निश्चित रूप से संसद का भी सदस्य हूं. तो मुझे सुनील गंगोपाध्याय की कविता याद है- ‘केउ कोथा राखे नी’. पार्टी में बने रहने के लिए सभी को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के फैसलों को स्वीकार करना होगा. मुझे भी इसे स्वीकार करना होगा, लेकिन मुझे नहीं पता कि ऊपर से नीचे तक भ्रष्ट व्यक्ति को पार्टी में शामिल होने की अनुमति क्यों दी गई है.” 

सौमित्र खान ने साझा किया अपना व्यक्तिगत अनुभव

वही दूसरी ओर सौमित्र खान ने भाजपा में शामिल होने के लिए टीएमसी छोड़ने का अपना व्यक्तिगत अनुभव भी साझा किया और कहा कि “राजीव बनर्जी खुद को एक बहुत बड़ा नेता मानते हैं और इसलिए अगर भाजपा जीती तो उपमुख्यमंत्री का पद चाहते थे. हालांकि, वह बंगाल में टीएमसी में शामिल नहीं हो सके फिर उन्हें त्रिपुरा में ऐसा करना पड़ा. टीएमसी कार्यकर्ता जो अशांति पैदा करते हैं और चुनाव में हिंसा भड़काते हैं. सौमित्र खान ने उन्हें याद दिलाया कि जिस भाजपा नेता के खिलाफ वे बगावत कर रहे हैं, वह वापस जा सकता है और अगले दिन अपनी पार्टी में शामिल हो सकता है.”

उन्होंने राजीव बनर्जी जैसे लोगों को भी चेतावनी दी जिन्होंने पार्टी बदल दी और भाजपा में शामिल हो गए और टीएमसी में वापस चले गए और कहते हैं कि टीएमसी नेतृत्व को उनकी परवाह नहीं है, उन्होंने कहा कि ‘बंगाल की राजनीति’ एक ‘व्यापार’ में बदल गई है.

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