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दिवाली की मिठाई में मिलावट का जहर, चंद रुपयों के लिए जान से खिलवाड़ कर रहे मिलावटखोर

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Diwali 2021 Sweets: दिवाली बिना मिठाई के पूरी नहीं होती. छोटी दिवाली से लेकर भैया दूज तक हर दिन लोग तरह-तरह की मिठाई खरीदते हैं. त्योहारों में इस बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए मिठाई की दुकानें सज जाती हैं. ज्यादातर दुकानों में तो बाहर तक मिठाई के काउंटर लगाने पड़ते हैं . लेकिन जरा सोचिए कि अचानक इतनी मिठाई आती कहां से है? तो आज हम आपको ले चलेंगे उस फैक्ट्री में जहां त्योहारों के लिए मिठाई और मिठाई का सामान यानी मावा तैयार होता है.

पहले बात यूपी के मेरठ की

यूपी के सरधना का छबड़िया और कालन गांव दूध और मावे के लिए मशहूर है . यहां घर-घर मावा बनाने का काम होता है. दिवाली आते ही हलचल बढ़ जाती है. हम यहां ये पड़ताल करने पहुंचे कि जब दूध की सप्लाई उतनी ही है तो अचानक इतना मावा कहां से और कैसे बनने लगता है? यहां का एक शख्स मेरठ से हापुड़, गाजियाबाद और दिल्ली तक मावे की सप्लाई करता है. इसने हमें अपनी फैक्ट्री में बना मावा चखने के लिए कहा. रिपोर्टर शख्स से पूछता है कि इसमें और क्या डाला है डालडा के अलावा ? एक तो मिल्क पाउडर है डालडा है सबसे ज्यादा डालडा का ही टेस्ट आ रहा है, रिफाइंड भी डाला है क्या..? तो वह मिलावटखोर कहता है- हां, थोड़ा रिफाइंड भी डाला है, वो ऐसा है सर्दी में थोड़ा सा रिफाइंड भी डालते हैं हल्के माल जमाने के लिए और लचक के लिए. रिपोर्टर आगे कहता है – सोया भी डाला है क्या ? मिलावटखोर कहता है- नहीं सोया तो नहीं डाला जी, लचक के लिए रिफाइंड डालते है हल्के माल में, रिफाइंड, डालडा, मिल्क पाउडर और थोड़ा सा सप्रेटा लगता है क्योंकि बिना सप्रेटा मिल्क घुलेगा नहीं.

इस मिलावटखोर के मुताबिक मिठाई के लिए तैयार होने वाले मावे में वो दूध की जगह पाउडर, डालडा, रिफाइंड तेल और अरारोट का इस्तेमाल करता है.

 

पढ़िए रिपोर्टर और मिलावट खोर की बातें

रिपोर्टर – ये जो दिखाया था, ये क्या है ? 
मिलावटखोर – ये कम से कम 165 का मिलेगा दिल्ली में, ये दिल्ली जा रहा है
रिपोर्टर – दिल्ली में आप कहां पहुंचाएंगे अगर आपसे लें तो ?
मिलावटखोर – ये जो मंडी नहीं है
रिपोर्टर – मंडी कहां, गाजीपुर ?
मिलावटखोर – मोरी गेट 

इस तरह से मिलावटी मावे की पूरी खेप दिल्ली की मंडियों में पहुंचाई जाती हैं . 

हम उस फैक्ट्री में भी गए, जहां ये मावा बनाया जा रहा था. एक अंधेरी सी जगह पर एक बल्ब जलाकर 5 से 6 कारीगर मावा बनाने में जुटे नजर आए. इन लोगों ने हमें बताया कि ये पैसे के हिसाब से मिलावटी माल तैयार करते हैं क्योंकि अच्छा मावा बेचने में मुनाफा नहीं होता.

आगे जानिए क्या बोला मिलावटखोर

मिलावटखोर – माल के हिसाब से पैसा देकर तुम्हें औसत नहीं आएगा, लेकिन जिस तरीके से मैं कह रहा हूं 100 के 100 % अगर औसत नहीं आएगा तो मैं अपना नाम बदल दूं.
बचपन बीत गया इसका यह काम करते हुए.

रिपोर्टर – आपने बनाया होगा न कभी ?

मिलावटखोर – हां बचपन से ही लग रहा हूं इस काम पर, मैं कह तो रहा हूं इस मावे की ऐसी मिठाई बनाऊंगा कि वाह भाई क्या सुंदर मिठाई है.)

इसने दावा किया कि इसके बनाए मिलावटी मावे को कोई बाजार में पकड़ भी नहीं पाएगा. जिस तरह से इस फैक्ट्री में नकली मावा बन रहा है उससे नकली मिठाइयां भी तैयार करके बाजार में सप्लाई की जाती हैं. आगे मिलावटखोर कहता है…

मिलावटखोर – देखो मैं आपको एक सलाह दूं, आप रेडिमेड ही बर्फी लो, रेडिमेड ही मिल्क केक लो, रेडिमेड डोडा लो और रेडिमेड ही रसगुल्ले लो क्योंकि हलवाई के बनाने के सिरदर्द हैं और ना ही आपको कोई दिक्कत होगी. जितना माल लगेगा लग गया और अगर नहीं लगा तो 3 दिन बाद भी वापस दे सकते हो. 

रिपोर्टर – वो ले लेगा..? अगर मना कर दिया तो..?

मिलावटखोर – नहीं ऐसा नहीं होगा. जब मैं आपको नंबर दूंगा. आप मेरा नाम बताएंगे तो ऐसा नहीं होगा. आप गाजियाबाद आ जाओ, आपके सामने बैठ कर बात करा दूंगा. उन्होंने सबके कारखाने खोले हुए हैं बॉयलर लगे हुए हैं सबके.

यानी मिठाई बेचने वाले दीवाली के मौके पर जितनी मिलावटी मिठाई बेच पाएं, बेच लें, उसके बाद बची हुई मिठाई को वापस लेने की भी व्यवस्था है. मुनाफा कमाने वाले व्यापारी को इससे ज्यादा और क्या चाहिए. इन मिलावटखोरों के मुताबिक नकली मावे और मिठाई के इस काले कारोबार में पुलिस, प्रशासन और फूड इंस्पेक्टर को भी उनका हिस्सा जाता है. आगे मिलावटखोर कहता है. 

मिलावटखोर – यहां पर दो चौकी लगती हैं. एक तो मुल्हेड़ा की, एक सरधना की, दोनों चौकियों को पैसे देते हैं पांच-पांच हजार का. महीने का कि पुलिसवाले परेशान न करें और 20 हजार देते हैं डॉक्टर को चेकिंग वाले.

और इस तरह से ये मिलावटखोर नकली मिठाइयों को अपनी फैक्ट्री से आपके घर तक पहुंचा कर मुनाफा कमाते हैं.

मेरठ के बाद एबीपी न्यूज पहुंचा शामली, जो मेरठ के ही पास है. शामली के इस घर को देखिए, यहां सोन पापड़ी और पतीसा बनाने की फैक्ट्री चल रही है…चारों तरफ गंदगी फैली हुई है और उसी के कारीगर सोन पापड़ी बनाने की तैयारी में लगे हैं. तैयार माल को इस तरह के डिब्बों में पैक किया जा रहा है. अब सवाल है कि जिस तरह से इस फैक्ट्री में काम हो रहा है क्या यहां बना पतीसा और सोन पापड़ी खाने लायक है. मिलावट की आशंका के मद्देनजर खाद्य विभाग ने इस फैक्ट्री में करीब 7 क्विंटल पतीसा जब्त किया है

कई जगह से बरामद किया गया नकली खोया

इसी तरह यूपी के गोंडा में करीब 2 क्विंटल नकली खोया बरामद किया गया, जिसके बाद अलग-अलग जगहों से 14 सैंपल लिए गए हैं . खाद्य विभाग का कहना है कि जांच में अगर मिलावट की पुष्टि होती है तो उन सभी दुकानों पर मिठाई और खोए की बिक्री रोकी जाएगी. एमपी के इंदौर में भी मिलावटी मिठाई का ये खेल कई राज्यों में चल रहा है . इंदौर के खरजाना क्षेत्र में चल रहे एक मिठाई कारखाने को देखकर आप मिठाई खाने के बारे में सोच भी नहीं पाएंगे. कहीं मरे हुए मच्छर और मक्खियां तो कहीं मिठाई पर चिपके कीड़े दिखाई दिए.

फैक्ट्री संचालक के मुताबिक वो यहां पर रसगुल्लों से लेकर मावा कतली, पेड़ा, चॉकलेट बर्फी तब सब बनाता है . लेकिन उसके पास मिठाई बनाने का लाइसेंस नहीं है . जब उससे पूछा गया कि इस मिठाई के लिए कच्चा माल कहां से लाता है तो उसने बताया कि वो दमोह और झांसी से मावा मंगवाता है . दिवाली के लिए इस कारखाने में करीब 8 क्विटंल मिठाई तैयारी की जा चुकी थी. 

हरियाणा के सोनीपत का भी हाल कुछ ऐसा ही है.

ड्रम के ऊपर मक्खियां भिनभिना रही हैं तो रसगुल्लों पर मरी हुई मक्खियां और चींटे पड़े दिख रहे हैं. इस तरह के रसगुल्ले 130 रुपये किलो के हिसाब से दिल्ली, यूपी और हरियाणा में भेजे जाने थे. सोनीपत के राई गांव में चल रही ये फैक्ट्री अवैध तरीके से चलाई जा रही थी. फूड सेफ्टी विभाग की टीम ने यहां से बरामद 30 क्विटंल रसगुल्लों को नष्ट किया. पर सोचिए अगर इस फैक्ट्री को पकड़ा नहीं गया होता तो ये सड़े हुए रसगुल्ले अच्छे से डिब्बे में पैक होकर आपके घर तक पहुंच जाते.

जानिए करनाल का हाल

नकली और मिलावटी मिठाइयों की ऐसी ही एक फैक्ट्री हरियाणा के करनाल में भी पकड़ी गई. यहां बड़ी मात्रा में गुलाब जामुन और रसगुल्ले बरामद किए गए . प्रशासन को जानकारी मिली कि बस्सी अकबरपुर गांव में कैमिकल वाले दूध से मिठाइयां बनाई जा रही हैं . छापेमारी हुई तो घटिया क्वॉलिटी की मिठाइयों के साथ साथ नकली मावा और दूध भी मिला. फूड सप्लाई विभाग ने इस सब के सैंपल जांच के लिए भेज दिए हैं. सिर्फ कुछ मुनाफा कमाने के लिए लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने वाले दिन-रात ये मीठा जहर तैयार करने में लगे थे

बिहार के पटना में भी मिलावटखोर पीछे नहीं

बिहार की राजधानी पटना में भी इन दिनों मिलावटी मिठाई का कारोबार जोरों पर है . खाद्य सुरक्षा विभाग को पटना के गाय घाट इलाके में मिलावटी मिठाइयों की बिक्री की जानकारी मिली, जिसके बाद छापेमारी शुरू हुई तो यहां हड़कंप मच गया. जांच में पता चला कि यहां की मिठाई पर जो वर्क लगाया गया था वो एल्यूमीनियम का था, जो सेहत के लिए काफी हानिकारक हो सकता है. डॉ. शरद मल्होत्रा कहते हैं कि मिठाई के ऊपर लगा वर्क चांदी का ही नहीं एल्यूमीनियम का होता है जो आपके पेट और किडनी के लिए खराब है, उंगली को उस पर रगड़ें, अगर वो चिपक रहा है तो वो एल्यूमीनियम है.

ये हाल तब है जब खाने की चीजों में मिलावट पर रोकथाम के लिए हर राज्य में फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट है . लेकिन इस विभाग की लापरवाही और कई बार मिलीभगत के कारण मिलावटखोर बेखौफ होकर लोगों की जान से खिलवाड़ करते रहते हैं.

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