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पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाएं है बढ़ते प्रदूषण का कारण- केजरीवाल सरकार

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दिल्ली में एक बार फिर दमघोंटू प्रदूषण चारों ओर छाया हुआ है. दीवाली के त्योहार के बाद प्रदूषण में इज़ाफ़ा हुआ है हालांकि दिल्ली सरकार पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं को प्रदूषण के लिये असल ज़िम्मेदार ठहरा रही है.

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने 1 नवम्बर से 6 नवम्बर तक पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने की घटनाओं का डाटा पेश करते हुए कहा कि पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए तत्काल एमरजेंसी मीटिंग बुलाने की ज़रूरत है. इसे लेकर गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को पत्र भी लिखा है.

नासा के सेटेलाइट से मिले आंकड़ों के आधार पर दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग द्वारा जारी डेटा के मुताबिक 1 नवम्बर से 6 नवम्बर के बीच दिल्ली के पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश में पराली जलाने की कुल 21,623 घटनाएं रिकॉर्ड हुई हैं.

1 नवम्बर को 2077 पराली जलाने की घटनाएं हुईं

पंजाब- 1796

हरियाणा- 124

उत्तरप्रदेश- 157

दिल्ली- 0

दिल्ली का AQI- 281

2 नवम्बर को 3291 पराली जलाने की घटनाएं हुईं

पंजाब- 3001

हरियाणा- 203

उत्तरप्रदेश- 87

दिल्ली- 0

दिल्ली का AQI- 303

3 नवम्बर को 2775 पराली जलाने की घटनाएं हुईं

पंजाब- 2512

हरियाणा- 197

उत्तरप्रदेश- 66

दिल्ली- 0

दिल्ली का AQI- 314

4 नवम्बर को 3383 पराली जलाने की घटनाएं हुईं

पंजाब- 3032

हरियाणा- 228

उत्तरप्रदेश- 123

दिल्ली- 0

दिल्ली का AQI- 382

5 नवम्बर को 5728 पराली जलाने की घटनाएं हुईं

पंजाब- 5327

हरियाणा- 331

उत्तरप्रदेश- 70

दिल्ली- 0

दिल्ली का AQI- 462

6 नवम्बर को 4369 पराली जलाने की घटनाएं हुईं

पंजाब- 3942

हरियाणा- 219

उत्तरप्रदेश- 208

दिल्ली- 0

दिल्ली का AQI- 437

दिल्ली सरकार ने पड़ोसी राज्यों के साथ-साथ केंद्र सरकार पर भी इस समस्या को लेकर कमज़ोर इच्छा शक्ति का आरोप लगाया है. गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में हमने पराली की समस्या के समाधान के लिए पिछले साल ही पूसा के साथ मिलकर बायो डी कंपोजर का छिड़काव किया. यह प्रयोग सफल साबित हुआ.

एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग आयोग और केंद्र सरकार को सभी रिपोर्ट दाखिल की गईं. यह रिपोर्ट बहुत पहले दे दीं गई थी ताकि इस साल राज्यों के साथ बातचीत करके इसका निदान किया जा सके. जब केंद्रीय मंत्रियों और पर्यावरण मंत्रियों के साथ मीटिंग में भी हमने यह बात रखी. लेकिन कहीं ना कहीं इस बात को नज़रंदाज़ किया गया, जिसका परिणाम यह है कि आज पूरी दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील होने की तरफ बढ़ रही है. पिछले 3 दिनों में जिस तरह से प्रदूषण बढ़ा है उसकी वजह पराली है.

छिड़काव के बाद इतने दिन लगते बुआई के लिए

दिल्ली में इस साल 11 अक्टूबर से बायो डिकम्पोज़र घोल का छिड़काव शुरू किया था. छिड़काव के बाद करीब 15-20 दिन का समय खेत को अगली फसल की बुआई के लिए तैयार करने में लगता है. ABP न्यूज़ ने बाहरी दिल्ली के उन किसानों से बात की जिन्होंने अपने खेत में बायो डिकम्पोज़र घोल का छिड़काव कराया है.

होलम्बी खुर्द गांव के किसान सहदेव मान ने बताया कि वो अपने 3 भाईयों के साथ मिलकर करीब 70 एकड़ ज़मीन में धान की खेती करते हैं. 50 एकड़ की फसल जिसकी कटाई हो गई थी इस बार उसमें 15 अक्टूबर कर करीब बायो डिकम्पोज़र का छिड़काव कराया था. अब उनके खेतों में बीज की बुआई का काम चल रहा है. सहदेव मान का कहना है कि बायो डिकम्पोज़र से उन्हें फायदा मिला है, डंठल अच्छे से गल जाती है जिससे मशीन चलाने में आसानी होती है. पहले खेत तैयार करने में 7-8 बार जुताई करनी होती थी अब ये घटकर 4-5 बार ही हो गई है इससे पैसा और मेहनत दोनों की बचत होती है.

दिल्ली सरकार को छिड़काव और जल्दी शुरू कराना चाहिए- किसान

होलम्बी खुर्द गांव के रहने वाले किसान विकास मान अपने खेतों में सीड ड्रिल मशीन से गेहूं की बुआई का काम कर रहे हैं. विकास के मुताबिक करीब 20 दिन पहले उन्होंने अपने 25 एकड़ खेत मे बायो डिकम्पोज़र का छिड़काव कराया था. और 20 दिन बाद अब खेत में बुआई शुरू हो गई है. विकास मान का कहना है कि बायो डिकम्पोज़र के छिड़काव से डंठल अच्छी तरह से गल जाती है. इससे सीड ड्रिल मशीन से बुआई आसानी से हो जाती है, जबकि पारंपरिक तरीके से मोटी डंठल मशीन में अड़ने लगती थी. हालांकि विकास मान का कहना है कि दिल्ली सरकार को छिड़काव और जल्दी शुरू कराना चाहिए ताकि ज़्यादा किसानों को इसका लाभ मिल सके.

ज़्यादातर किसान बायो डिकम्पोज़र के छिड़काव के परिणाम से सन्तुष्ट हैं. दिल्ली सरकार ने इस बार अब तक 2 हज़ार एकड़ से ज़्यादा खेतों में बायो डिकम्पोज़र का छिड़काव कराया है. कुल 4 हज़ार एकड़ में छिड़काव कराने का आवेदन दिल्ली सरकार को मिला था हालांकि बीते दिनों बारिश के चलते इस काम में थोड़ी रुकावट आई है.

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