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भारतीय रक्षा सचिव ने साधा चीन पर निशाना, कहा- विस्तारवादी नीति के कारण बढ़ी ‘आर्म्स रेस’

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Goa Maritime Conclave: चीन पर अपरोक्ष रूप से हमला बोलते हुए रक्षा सचिव ने आगाह किया कि हिंद-प्रशांत महाक्षेत्र में कुछ देशों की नौसेनाओं की विस्तारवादी नीतियों के चलते ‘आर्म्स रेस’ यानि हथियारों की होड़ बढ़ सकती है. रक्षा सचिव ने कहा कि थल हो या जल जहां भी आक्रमण होगा भारत उसका ना केवल डटकर मुकाबला करेगा बल्कि रोक भी सकता है.

रक्षा सचिव ने किया गोवा मेरिटाइम कॉन्कलेव को संबोधित 

रक्षा सचिव अजय कुमार सोमवार को भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित ‘गोवा मेरिटाइम कॉन्कलेव’ (8-9 नबम्बर) में देश-विदेश की नौसेनाओं के प्रमुख और प्रतिनिधिमंडल को संबोधित कर रहे थे. इस सम्मेलन का थीम है ‘मेरिटाइम सिक्योरिटी एंड इमरजिंग नॉन ट्रेडेशनल थ्रेट्स: ए केस फॉर प्रोएक्टिव रोल फॉर आईओआर नेवीज़’.

रक्षा सचिव अजय कुमार ने कहा कि समुद्र में पायरेसी, मेरिटाइम-टेरेरिज्म, नारको-ड्रग स्मगलिंग, हथियारों की तस्करी और गैर-कानूनी फिशिंग जैसे नॉन-ट्रैडेशनल थ्रेट्स के साथ-साथ पारंपरिक-खतरे भी उतने ही बड़े चुनौती हैं. क्योंकि ये दोनों खतरे एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.

नाम लिए बिना चीन पर साधा निशाना

चीन का नाम लिए बिना रक्षा सचिव ने कहा कि कई नौसेनाएं प्रशांत महासागर में विस्तारवादी नीति अपना रही हैं. इस विस्तारवाद का असर प्रशांत क्षेत्र के परे (यानि हिंद महासागर) पर भी पड़ रहा है. उन्होनें कहा कि मेरिटाइम डोमेन इतना बड़ा क्षेत्र है कि एक अकेला देश उससे नहीं निपट सकता है. यही वजह है कि हिंद महासागर क्षेत्र में शांति बनाए रखने और रूल बेस्ट ऑर्डर कायम रखने के लिए भारत मित्र-देशों की नौसेनाओं के साथ सहयोग बढ़ाना चाहता है. इसके लिए भारतीय नौसेना मित्र देशों के साथ द्विपक्षीय और मल्टीनेशनल मेरिटाइम एक्सरसाइज करती रहेगी.

रक्षा सचिव ने कहा कि भारत उम्मीद रखता है कि उसके पड़ोसी देश भारत की चिंताओं के प्रति संवेदनशील रहें. रक्षा सचिव ने दोहराया कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना किसी भी आपदा के लिए फर्स्ट-रेसपोंडर है और नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर भी है.

पड़ोसी देशों की नौसेना ने लिया हिस्सा

गोवा मेरिटाइम कॉनक्लेव का ये तीसरा वर्ष है और इस साल बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, मॉरीशस, मालद्वीप, इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड, सेशल्स, सिंगापुर, मेडागास्कर और कामरोस सहित कुल एक दर्जन देशों की नौसेनाएं हिस्सा ले रहे हैं. भारतीय नौसेना के मुताबिक, इस सम्मेलन के आयोजन करने का उद्देश्य समुद्र में ‘रोजाना शांति बनाए रखना है’.

सोमवार को हुए सम्मेलन को विदेश सचिव, हर्ष श्रृंगला ने भी मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित किया. भारतीय नौसेना का गोवा स्थित नेवल वॉर कॉलेज इस सम्मेलन को आयोजित कर रहा है.

सम्मेलन के दौरान हिस्सा लेने वाले देशों के प्रतिनिधियों को भारतीय नौसेना के मेक इन इंडिया कार्यक्रम से रूबरू कराया गया. इसके अलावा मंगलवार को प्रतिनिधियों को भारतीय नौसेना के डीप सबमर्जेंस रिस्कयू वैसेल (डीएसआरवी) की क्षमताओं के बारे में जानकारी दी जाएगी. भारतीय नौसेना दुनिया की उन चुनिंदा नौसेनाओं में शामिल है जो समंदर के नीचे 750 मीटर तक किसी सबमरीन के दुर्घटना होने की स्थिति में इस डीएसआरवी का उपयोग किया जा सकता है.

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