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WHO ने की स्वास्थ्य को मौलिक मानवाधिकारों में शामिल करने की मांग

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WHO on Fundamental Human Right: जानलेवा कोरोना वायपस ने दुनिया को सिखाया है कि स्वास्थ्य सबसे बड़ी संपत्ति है. यही वजह है कि दुनिया के देशों को अपनी प्राथमकिताओं पर दोबारा सोचने की जरूरत आन पड़ी है. ऐसे में WHO यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया भर के देशों को स्वास्थ्य को मौलिक मानवाधिकार मान कर संविधान में शामिल करने की अपील की है.

सभी देशों को स्वास्थ्य सेवा तैयार करने की जरूरत- WHO

WHO के महानिदेशक टेड्रोस अधनोम घेब्रेयेसस ने कहा है, ‘’कुछ ऐसे देश हैं जिनके संविधान में स्वास्थ्य को एक मौलिक अधिकार माना गया है. हम प्रत्येक देश से स्वास्थ्य को उनके संविधान में एक मौलिक मानव अधिकार के रूप में जगह देने को कहते हैं. इसके लिए सबके लिए स्वास्थ्य सेवा तैयार करने की जरूरत है.’’

कोरोना से दुनिया को मिली चेतावनी

ये चेतावनी ऐसे वक्त में आई है जब दुनिया भर में कोरोना के 25 करोड़ से ज्यादा संक्रमण हो चुके हैं, जबकि 51 लाख के करीब मौत हो चुकी हैं. दुनिया के कई देश कोरोना की नई लहर से जूझ रहे हैं. आशंका जताई जा रही है कि यूरोप में आने वाली फरवरी तक पांच लाख लोगों की और मौत हो सकती है.

ये हाल तब है जब विकसित देशों में बड़े हिस्से को कोरोना का टीका लग चुका है, जबकि गरीब देशों में तो अभी मामूली टीकाकरण हुआ है. इसकी वजह यही है कि बहुत से देशों में स्वास्थ्य को प्राथमकिता में नहीं रखा गया है.

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