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टीएमसी सांसद शांतनु सेन का पीएम मोदी पर हमला, कृषि कानूनों को वापस लेने की बताई ये वजह

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Farm Laws Repeal: कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के फैसले पर टीएमसी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. टीएमसी सांसद शांतनु सेन सरकार को घेरते हुए कहा कि चुनाव में हारने के डर से सभी तीनों कृषि कानूनों को वापस लिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में चुनावों से कुछ महीने पहले एक आश्चर्यजनक घोषणा करते हुए कहा कि केंद्र में तीन विवादास्पद कृषि कानून वापस ले लिए जाएंगे.

”चुनाव में हार के डर से कृषि कानून वापस लिया गया ”

टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने एबीपी न्यूज़ के साथ बातचीत में कहा कि देश के किसानों ने पिछले एक साल से अपनी जान की बाजी लगा कर इस तीन कानूनों  के खिलाफ पूरे देश में आंदोलन किया. इस आंदोलन के दौरान कितने किसान मारे गए, कितनों को BJP के मंत्रियो की गाड़ियों ने कुचल दिया. टीएमसी सांसद ने कटाक्ष करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में कुछ राज्यों में चुनाव होने हैं और पीएम नरेंद्र मोदी जानते हैं कि उसमे वे हार जायेंगे. इसलिए उन्होंने यह कानून वापस ले लिया है. टीएमसी सांसद ने कहा कि इससे यह साबित हो गया कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने जिस लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की उसमें वो सफल नहीं हो पाए.

”कृषि कानून वापस होना लोकतंत्र की जीत”

टीएमसी सांसद शांतनु सेन ने कहा कि कृषि कानूनों का वापस लिया जाना लोकतंत्र की जीत हैं. उन्होंने कहा, “इससे यह भी साबित हुआ कि देश के लोग हिटलर राज को अब नहीं मानेंगे. यह किसानों की जीत है, यह लोकतंत्र की जीत हैं, यह देश के आम आदमी की जीत हैं. हमारी पार्टी और ममता बनर्जी शुरू से किसानों के साथ थी. हम लोग सांसद के बाहर और अंदर दोनों जगह किसानों की मदद की है. यह जीत पूरे विपक्ष की है,” टीएमसी सांसद ने आगे कहा कि ये जीत ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के नेताओ की है. आने वाले दिनों में और ऐसी परिस्थिति आएगी जब पीएम मोदी जी फिर सबसे माफी मांगेगे.

कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की ये घोषणा गुरु पर्व उत्सव पर हुई है जब सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक का जन्मदिन पूरे भारत में मनाया जाता है. मुख्य रूप से पंजाब में, जहां तीन महीने में चुनाव होंगे. बता दें कि कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन पिछले कई महीने से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. सरकार और किसान नेताओं के साथ कई दौर की बातचीत भी हुई थी लेकिन अभी तक इस मसले का हल नहीं निकल पाया था.

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