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MSP क्या होता है, इसको लेकर किसानों की सरकार से क्या मांगे हैं, समझिए

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Farm Laws: केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा तो कर दी है लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार के लिए इतना आसान भी नहीं है. अब किसान एमएसपी गारंटी की मांग करने लगे हैं. वहीं दूसरे दलों के नेता भी एमएसपी को लेकर सरकार को घेरने में जुट गए हैं. कृषि कानूनों को वापस लेने के एलान के बाद भी किसानों ने अभी तक आंदोलन खत्म नहीं किया है और वो चाहते हैं सरकार एमएसपी पर अपना रुख साफ करे.

क्या है MSP?

एमएसपी जिसे न्यूनतम समर्थन मूल्य कहा जाता है. मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) एक तरह से किसानों के फसल की मूल्य की गारंटी है. सरकार की ओर से किसानों को कुछ फसलों पर दाम की गारंटी दी जाती है जिसे एमएसपी कहा जाता है. बाजार में फसल के दाम भले ही कितने ही कम क्यों न हो सरकार उसे किसानों से तय एमएसपी पर खरीदेगी. सरकार जिन फसलों को लेकर एमएसपी तय कर देती है उन फसलों को वो एक निर्धारित रेट पर ही खरीदती है. इससे किसानों को नुकसान होने की कम संभावना होती है.

कितने फसलों पर एमएसपी है?

कृषि लागत और मूल्य आयोग हर साल खरीफ और रबी सीजन की फसल आने से पहले MSP को लेकर अध्ययन करता है. इस वक्त  23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकार तय करती है जिसमें अनाज, दलहन और कुछ कमर्शियल फसल भी शामिल हैं. गेहूं, मक्का, धान, जौ, बाजरा, चना, मूंग, उड़द, मसूर, सरसों, सोयाबीन, सूरजमूखी, गन्ना, कपास, जूट समेत कई फसलों के दाम सरकार निर्धारित करती है और फिर उसी दाम पर किसानों से खरीदती है.

एमएसपी के दायरे में कुछ सब्जियों को भी रखा गया है. कृषि सुधारों के लिए 2004 में स्वामीनाथन आयोग बना था. आयोग ने अपनी रिपोर्ट में एमएसपी तय करने के कई फार्मूलों को लागू करने का सुझाव दिया था. डॉ. एमएस स्‍वामीनाथन कमेटी ने  सिफारिश की थी कि एमएसपी औसत उत्‍पादन लागत से कम से कम 50 फीसदी अधिक होना चाहिए. अगर ऐसा होता है तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी.

एमएसपी पर विवाद क्यों?

एमसपी में किसानों को एक तय दाम से कम कीमत पर अपनी फसल को बेचने की मजबूरी नहीं होती है. सरकार को निर्धारित दाम पर फसल खरीदने पड़ते हैं. आंदोलनकारी किसानों का तर्क है कि कृषि कानूनों के जरिए एमएसपी खत्म करने की साजिश हो रही थी. हालांकि अब सरकार ने कानूनों को वापस लेने के फैसले के बाद एमएसपी को लेकर कुछ और कदम उठाने की बात कही है लेकिन किसानों को भरोसा नहीं है.

किसानों की मांग

कृषि कानूनों को वापस लेने की सरकार की घोषणा के बाद भी किसानों का आंदोलन खत्म नहीं हुआ है. किसानों को कहना है कि कृषि कानूनों को सरकार पहले संसद में लाकर रद्द करने की प्रक्रिया पूरी करे. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि सरकार पर भरोसा नहीं है. इसके साथ ही किसानों की मांग है कि सरकार एमएसपी की गारंटी दे और इसे लेकर कानून बनाया जाय. इसके साथ ही किसान बिजली संशोधन बिल को भी वापस करने की मांग कर रहे हैं.

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