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साल 2018 में शहीद हुए सैनिक की पत्नी ज्योति नैनवाल बनीं सेना में लेफ्टिनेंट

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Uttarakhand News: उत्तराखंड के एक साधारण परिवार से आनेवाली ज्योति दीपक नैनवाल का जीवन अपने पति नायक दीपक कुमार के शहीद होने के बाद पटरी से उतर गया था, लेकिन उनकी मां के प्रेरित करनेवाले शब्दों ने उन्हें हौसला दिया और कठिन मेहनत और लगन के दम पर वह अब सेना की अधिकारी बन गई हैं. भावनात्मक रूप से टूट जाने के बाद ज्योति नैनवाल की मां चाहती थीं कि वह ऊंचाई पर पहुंच कर अपने बच्चों के लिए खुद मिसाल बने न कि दूसरे सफल लोगों का उदाहरण अपने बच्चों को दें. 

देहरादून की गृहिणी और साधारण परिवारिक पृष्ठभूमि से आनेवाली नैनवाल का जीवन अपने सैनिक पति, नौ साल की बेटी लावण्या और सात साल के बेटे रेयांश के आसपास घूमता था. ये सभी उनकी दुनिया थे, लेकिन 2018 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़-ऑपरेशन रक्षक के दौरान उनके पति घायल हो गए, जिसके बाद उनका जीवन पटरी से उतर गया. एक रूढ़िवादी समाज जो इस हालत में उनसे सिर्फ यह उम्मीद करता है कि वह सिर्फ व सिर्फ अपने बच्चों का लालन-पालन सही से करें, जबकि उनकी मां चाहती थीं कि वह खुद मोर्चा संभाल लें.

नैनवाल ने अपनी मां को उद्धृत किया, “बेटा, इस परिस्थिति को एक अवसर की तरह लो. बच्चों को सिर्फ दूसरों का उदाहरण देकर बड़ा मत करो, तुम खुद उनके सामने एक उदाहरण बनो और उन्हें गौरवान्वित महसूस कराओ. उन्हें जीवन के उतार-चढ़ाव में पार होना सिखाओ.” मां के प्रेरणादायी शब्द, भाई का सहयोग, महार रेजिमेंट और उनके पति द्वारा पहले कहे गए शब्द कि अगर उन्हें कुछ हो जाए तो वह सेना में शामिल हो जाएं, ने उन्हें सशस्त्र बल सेवा में जुड़ने के लिए खूब प्रेरित किया.

उन्होंने कहा, “ब्रिगेडियर चीमा और कर्नल एम पी सिंह ने मुझे रास्ता दिखाने की जिम्मेदारी संभाली. सेवा चयन बोर्ड के लिए तैयार करने में उन्होंने बड़ी भूमिका निभाई. मेरी अंग्रेजी काफी अच्छी नहीं थी, क्योंकि मेरा पूरा जीवन घेरलू जिम्मेदारियां निभाने में ही बीता था.” हालांकि, 33 वर्षीय ज्योति नैनवाल अपनी मेहनत और बाकी लोगों के सहयोग से चयनित होने में सफल रहीं. वह उन एसससी (डब्ल्यू)-26 की 29 महिला कैडेट और एसएससी-112 पाठ्यक्रम के कुल 124 कैडेट में से एक थीं, जिन्होंने 20 नवंबर को अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी (ओटीए) में अंतिम पग पार कर सेना में लेफ्टिनेंट के तौर पर नया सफर शुरू किया.

नायक दीपक कुमार को 11 अप्रैल, 2018 को आतंकवादियों के साथ एक मुठभेड़ के दौरान गोली लगी थी और उन्हें दिल्ली में सेना के आरआर अस्पताल में भर्ती किया गया था. नैनवाल पहली बार अपने पति की देखरेख करने के लिए ही दिल्ली आई थीं. रीढ़ की हड्डी में जख्म की वजह से उनके अंगों में संवेदन क्षमता चली गई थी. उन्होंने कहा, “मैं डॉक्टरों के सामने यह दिखावा करने में सफल रही थी कि मैं मजबूत हूं, ताकि वह मुझे अपने पति के साथ रहने और उनकी देखरेख करने की अनुमति दे दें.”

बाद में कुमार को पुणे के अस्पताल में भेजा गया. वह 40 दिन तक अस्पताल में भर्ती रहे और 20 मई, 2018 को उनकी मौत हो गई. कुमार की 2003 में महार रेजिमेंट में भर्ती हुई थी. उनकी अंतिम तैनाती जम्मू-कश्मीर में 1 राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ थी.

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