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कृषि कानूनों को रद्द करने के मोदी सरकार के फैसले पर आया उमा भारती का बयान, जानें क्या कहा है

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Uma Bharti On Farm Laws: भारतीय जनता पार्टी की नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विवादास्पद तीनों कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा करते समय जो कहा वह उनके जैसे लोगों को बहुत व्यथित कर गया. उन्होंने कहा कि अगर तीन कृषि कानूनों की महत्ता प्रधानमंत्री मोदी किसानों को नहीं समझा पाए तो उसमें हम सब बीजेपी के कार्यकर्ताओं की कमी है. उमा भारती ने ये भी कहा कि आज तक किसी भी सरकारी प्रयास से भारत के किसान संतुष्ट नहीं हुए हैं.

उमा भारती ने एक के बाद एक ट्वीट कर लिखा, ‘‘मैं पिछले चार दिनों से वाराणसी में गंगा किनारे हूं. 19 नवम्बर 2021 को हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जब तीनों कृषि क़ानूनों की वापसी की घोषणा की तो मैं अवाक रह गई. इसलिए तीन दिन बाद प्रतिक्रिया दे रही हूं.’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी ने कानूनों के वापसी करते समय जो कहा वह मेरे जैसे लोगों को बहुत व्यथित कर गया. अगर कृषि क़ानूनों की महत्ता मोदी जी किसानों को नहीं समझा पाए, तो उसमें हम सब भाजपा के कार्यकर्ताओं की कमी है. हम क्यों नहीं किसानों से ठीक से सम्पर्क एवं संवाद कर सके.’’ उमा ने कहा, ‘‘मोदी जी बहुत गहरी सोच एवं समस्या के जड़ को समझने वाले प्रधानमंत्री हैं. जो समस्या की जड़ समझता है. वह समाधान भी पूर्णतः करता है. भारत की जनता एवं मोदी जी का आपस का समन्वय, विश्व के राजनीतिक, लोकतांत्रिक इतिहास में अभूतपूर्व है.’’ 

 

उन्होंने कहा, ‘‘कृषि कानूनों के सम्बन्ध में विपक्ष के निरन्तर दुष्प्रचार का सामना हम नहीं कर सके, इसी कारण से उस दिन मोदी के सम्बोधन से मैं बहुत व्यथित हो रही थी.’’ उमा ने कहा, ‘‘मेरे नेता मोदी जी ने तो कानूनों को वापस लेते हुए भी अपनी महानता स्थापित की. हमारे देश का ऐसा अनोखा नेता युग-युग जिये, सफल रहे. यही मैं बाबा विश्वनाथ एवं मां गंगा से प्रार्थना करती हूं.’’ उन्होंने लिखा, ‘‘आज तक किसी भी सरकारी प्रयास से भारत के किसान संतुष्ट नहीं हुए. मैं स्वयं एक किसान परिवार से हूं. मेरे दो सगे बड़े भाई आज भी खेती पर आश्रित हैं. मेरा उनसे निरंतर संवाद होता है. मेरी जन्मभूमि के गांव से मेरा जीवंत सम्पर्क है.’’ 

उमा ने कहा, ‘‘मेरे बड़े भाई अमृतसिंह लोधी मुझसे हमेशा कहते हैं कि खेत एक अचल सम्पत्ति एवं खेती एक अखण्ड समृद्धि की धारा हैं किन्तु किसान कभी रईस नहीं हो पाता है. मेरे भाई अमृतसिंह लोधी की ज़िंदगी को मैं अपने जन्म से देख रही हूं. मुझे जो समझ में आया वह यह है कि खाद, बीज और बिजली समय पर मिले तथा अनाज को अपनी मर्जी के मुताबिक बेचने का अधिकार यह खुशहाली का सूत्र हो सकता है.’’

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को गुरु पर्व के दिन सुबह में देश को संबोधित किया. उस दौरान ही उन्होंने एलान कर दिया कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी. बता दें कि इन कानूनों के विरोध में किसान पिछले करीब एक साल से दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं. 

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