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पहली बार रिजर्व से निकाला जाएगा 50 लाख बैरल कच्चा तेल, क्या अब और कम होंगी पेट्रोल-डीजल की कीमत

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Petrol Diesel Rates: कच्चे तेल की कीमतों के कारण आई महंगाई से निपटने के लिए सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. पहली बार कच्चे तेल के इमरजेंसी रिजर्व से 50 लाख बैरल तेल निकालने का फैसला किया गया है. हालांकि अभी तेल निकालने का वक्त सामने नहीं आया है. फैसले के सामने आते ही सरकार पर हमले शुरू हो गए हैं. विपक्ष सवाल पूछ रहा है कि क्या देश के इमरजेंसी स्टॉक पर ही चल रहा है?

टीएमसी नेता यशवंत सिन्हा ने ट्वीट कर कहा, ‘भारत ने इससे बुरे दौर में भी तेल के रिजर्व को नहीं छुआ है. ये रणनीतिक भंडार राष्ट्रीय रक्षा के लिए है न कि बाजार में दाम कम करने के लिए. मैं रिजर्व से तेल निकालने के फैसले से आश्चर्यचकित हूं.’ वहीं कांग्रेस प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कहा, ‘आरबीआई के आकस्मिक भंडार से पैसे निकालना, नोटबंदी करके लोगों के घरों से पैसे निकालना और आकस्मिक भंडार से क्रूड निकालना, क्या ये अच्छे दिन के पर्याय बन चुके हैं.’

दरअसल, रोज मिलने वाले पेट्रोल डीजल के लिए कच्चा तेल विदेश से आयात किया जाता है. जबकि रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व को आपातकाल के लिए स्टॉक रखा जाता है. ताकि प्राकृतिक आपदा, या राष्ट्रीय सुरक्षा के वक्त इस्तेमाल किया जा सके. आपको बता दें कि भारत के पास ईस्ट और वेस्ट कोस्ट की तीन लोकेशन पर लगभग 3.8 करोड़ बैरल कच्चे तेल का स्टॉक है. इसमें से 50 लाख बैरल रिलीज किया जाएगा. भारत में खपत के हिसाब से देखें तो ये सिर्फ एक दिन की खपत के बराबर तेल रिजर्व से निकालेगा. पहली नजर में लगता है कि मंहगाई पर इसका असर नहीं होगा, लेकिन ऐसा है नहीं.

भारत के मुकाबले दस गुना तेल रिजर्व से निकालेगा अमेरिका
वहीं अमेरिका ने भी अपने रिजर्व से 5 करोड़ बैरल तेल निकालने का फैसला किया है. अमेरिका दैनिक खपत का ढाई गुना कच्चा तेल अपने रिजर्व से निकाल रहा है. भारत के मुकाबले अमेरिका अपने रिजर्व से दस गुना तेल निकाल रहा है. अमेरिका में एक साल में तेल के दाम डेढ़ गुना हो चुके हैं. अमेरिका राष्ट्रपति ने ऐलान किया है कि जल्द ही पेट्रोल के दामों पर इसका असर होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, ‘हमारे साझा प्रयासों के बाद भी समस्या रातोंरात नहीं सुलझेगी, पर इससे फर्क पड़ने वाला है. कुछ समय बाद तेल भरवाने जाएंगे तो आपको फर्क दिखेगा.’

उधर ब्रिटेन ने 15 लाख बैरल तेल अपने रिजर्व से निकालने का फैसला किया है. ऐसा ही फैसला चीन, जापान और दक्षिण कोरिया कर सकते हैं. इससे कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ेगी. इससे पेट्रोल-डीजल के दाम कम होंगे, जिसका सीधा असर महंगाई पर पड़ेगा. दरअसल कोरोना काल के बाद कच्चे तेल की मांग दुनियाभर में बढ़ी लेकिन तेल उत्पादक देशों ने उत्पादन नहीं बढ़ाया जिससे महंगाई दुनिया भर के लिए समस्या बन गई है. उम्मीद की जा रही है इससे दुनियाभर में प्रति बैरल कच्चे तेल के दाम 70 डॉलर के आसपास आ जाएंगे जिसका सीधा असर आपकी और हमारी जेब पर पड़ेगा लेकिन नजर तेल उत्पादक देशों के अगले कदम पर भी रहेगी.

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