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कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरने के लिए बनाई रणनीति, लेकिन इस बार है ये बड़ी चुनौती

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Parliament Winter Session: संसद के पिछले सत्र में पेगासस (Pegasus) के मसले पर विपक्षी दलों की एकता देखने को मिली थी मगर कांग्रेस के लिए इस बार सबसे बड़ी मुश्किल तृणमूल कांग्रेस खड़ा कर सकती है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, आगमी शीतकालीन सत्र में कांग्रेस की कोशिश होगी कि समान विचारधारा वाली सभी पार्टी एकजुट रहे.

संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरु हो रहा है और पिछली बार की तरह इस बार भी सत्र के हंगामेदार होने की संभावना है. कांग्रेस मोदी सरकार को सदन में घेरने की रणनीति भी बना रही है मगर इस बीच कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती सभी विपक्षी दलों को एकजुट रखने की है.

गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संसद की रणनीति तय करने के लिए 25 नवंबर को लोक सभा और राज्य सभा के पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई है. सूत्रों के मुताबिक़ किसानों के मुद्दे और महंगाई समेत करीब 15-16 ज्वलंत मुद्दे हैं जो कांग्रेस संसद के शीत कालीन सत्र में उठाएगी. कुछ दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ पार्टी नेताओं की हुई वर्चुअल मीटिंग में भी तय हुआ था कि संसद में इस बार महंगाई, पेगासस, बेरोजगारी, चीन का मुद्दा और कोविड जैसे मामलों पर मोदी सरकार को घेरा जाएगा. 

हालांकि इस बीच कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती तृणमूल कांग्रेस होने वाली है क्योंकि ममता बनर्जी के हालिया रवैये से संकेत मिलते हैं कि तृणमूल कांग्रेस संसद में खुद को विपक्ष की अगुवा के तौर पर पेश करने की कोशिश कर सकती है. ध्यान देने वाली बात है कि ममता बनर्जी दिल्ली में हैं और कीर्ति आजाद और अशोक तंवर जैसे कांग्रेसी नेताओं को तृणमूल में शामिल भी करवाया है. मगर संसद में मोदी सरकार को घेरने की विपक्षी रणनीति पर चर्चा के लिए वो अब तक सोनिया गांधी से नहीं मिली हैं. दूसरी तरफ तमाम तृणमूल नेता ममता को प्रधानमंत्री के तौर पर पेश करने के नारे तक दे रहे हैं. इससे पहले भी सुष्मिता देव और लुईजिनो फलेरो जैसे नेता तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं.

सूत्रों का दावा है कि संसद में मुद्दों के आधार पर आम आदम पार्टी और समाजवादी पार्टी जैसे दल तृणमूल के साथ नज़र आ सकते हैं. वहीं कांग्रेस को लेफ्ट, एनसीपी, नेशनल कांफ्रेंस, शिवसेना, आरजेडी, डीएमके जैसे दलों से सहयोग की उम्मीद रहेगी. वहीं माना जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी तृणमूल के साथ नहीं जाएगी और कांग्रेस से भी दूरी बना कर रखेगी. ऐसे में संसद के इस सत्र में विपक्षी एकता का बिखराव साफ नज़र आ सकता है.

हालांकि टीएमसी से दूरी पर कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल का कहना है कि हम आम आदमी की समस्याओं को उठा रहे हैं. हम सड़क पर बीजेपी की जनविरोधी नीतियों से लड़ रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही केंद्र की नीतियों का विरोध कर रही है. अगर कोई पार्टी अपने यहां नेताओं को ले रही है तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर किसी को लगता है कि वह कांग्रेस को खत्म कर देगा तो ऐसा नहीं होगा, पहले भी कोशिशें हो चुकी हैं. हमारा मकसद साफ है कि जन विरोधी और गरीब विरोधी इस सरकार से लड़ना है. अगर आप बीजेपी से लड़ना चाहते हैं तो लड़ें. विपक्षी पार्टियों को कमजोर करने से क्या हासिल होगा. हमे इससे फर्क नहीं पड़ता है. अंत में ये सब ड्रामा ही साबित होगा.

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