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Andhra Pradesh Floods: पिछले कुछ दिनों से हो रही भारी बारिश की वजह से आंध्र प्रदेश के कई जिलों में नदी, नहर सब कुछ उफान पर हैं. वहां के सभी जलाशय भर गए हैं. चित्तूर, कड़पा, नेल्लूर, अंतनपुर जिलों के कई इलाकों में आई भयानक बाढ़ से बुरा हाल बना हुआ है. वहीं इस वजह से वहां का जनजीवन पटरी पर से उतर गया है.इन जिलों के कई गांव, शहर बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं. बाढ़ में लोगों के मकान डूब गए थे, कई लोग पानी के तेज बहाव में बह गए थे. वहीं इस बाढ़ के कारण कितने ही परिवार सड़क पर आ गए हैं. उनके घर, कपड़े, रुपये व जरुरी कागजात सब कुछ बाढ़ के पानी में बर्बाद हो चुके हैं.
राजमार्ग टूटने की वजह से शहरों के बीच आवागमन हुआ ठप्प
जहां कई इलाकों में राष्ट्रीय राजमार्ग नदी जैसे दिख रहे हैं तो कहीं कई राजमार्ग कटकर बह गए हैं. कहीं नदी पर बना पुल ही टूट कर बह जाने से आवागमन ठप्प हो गया है. सड़कों पर दूर-दूर तक गाड़ियों की लंबी कतारें दिख रही हैं. इन सबके बीच शहरों के बीच की आवाजाही ठप्प हो गई है. कई इलाकों में रेलवे लाइन के ऊपर से पानी बह रहा थी तो कहीं रेलवे पटरी के नीचे की मिट्टी ही बह गई है. इन कारणों की वजह से सड़क और रेल मार्ग दोनों बुरी तरह प्रभावित हो गया है.आंध्र प्रदेश में भारी वर्षा की वजह से भयंकर तबाही हुई है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 19 तारीख को सबसे ज्यादा औसतन 35.4 मिमी की बारिश हुई थी. जिसमें से चित्तूर में 107.3 मिमी, कड़पा में 96.4 मिमी, अनंतपुर में 76.9 मिमी, नेल्लूर में 52.6 मिमी बारिश हुई थी.
सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्षाजनित घटनाओं में शनिवार तक चार जिलों में 24 लोगों की मौत हो गई, सबसे ज्यादा कड़पा जिले में 13 लोगों की मौत हुई है और 17 लोग लापता बताए जा रहे हैं. सबसे ज्यादा कड़पा में 11 लोग लापता, (बांध टूट जाने से अचानक आई बाढ़ में राज्य परिवहन की तीन बसें फंस गई थी और 12 को बचाया नहीं जा सका). जबकि लोगों के अनुसार सरकारी आंकड़ा वास्तव में हुई मौतों की तुलना में बहुत कम है.
राज्य सरकार व एनडीआरएफ की टीमें कर रहीं है बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा
कई नदियों और जलाशयों में ऊफान की वजह से आई बाढ़ में कई लोग फंस गए थे. जिन्हें वायुसेना, एनडीआरएफ और अग्निशमन सेवाओं के कर्मियों द्वारा बचाया गया था. सरकारी आंकड़ों के अनुसार 4 शहरों में करीब 1366 लोग बाढ़ की चपेट में आए हैं और उसमें 23 गांव डूब गए हैं. भारी बारिश और बाढ़ से करीब 36,279 लोग प्रभावित हुए हैं. लगभग 2007 मकानों को नुकसान पहुंचा है और 1131 मकान डूब गए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी से फोन पर बात की और स्थिति के बारे में जानकारी ली एवं राज्य को सभी जरुरी मदद उपलब्ध कराने का वादा किया है.
वहीं मुख्यमंत्री ने शनिवार को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया था और जिले के कलेक्टर से स्थिति को लेकर मीटिंग भी की थी. तिरुपति में तिरुमला पहाड़ियों में स्थित भगवान बालाजी मंदिर तक जाने वाली दो मुख्य सड़कों को तीन दिन तक के लिए भूस्खलन की वजह से बंद करना पडा था. लीपीरी से तिरुमला को जाने वाली सीढ़ियों के मार्ग को भूस्खलन एवं बाढ़ से बड़ा नुकसान पहुंचा है और उसे बंद कर दिया गया है.
मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी पर विपक्ष हमलावर
विपक्ष के अनुसार जमीन पर नजारा बहुत भयानक दिखाई दे रहा है. मुख्यमंत्री हवाई सर्वेक्षण करके चले गए, मगर जिनका सब कुछ बर्बाद हो गया है वो लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि वो करें तो क्या करें. नेल्लूर जिले के कई क्षेत्रों में राज्य के मंत्रियों और सत्तारूढ़ विधायकों को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. मुख्यमंत्री रेड्डी के हवाई दौरे के बाद से ही विपक्ष उन पर हमलावर है. मुख्य विपक्षी पार्टी तेलुगु देशम के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को कड़पा जिले का दौरा किया था. इसी जिले में बांध टूट जाने से राजामपेट क्षेत्र में भयानक बाढ़ का सैलाब आ गया था. नायडू ने लोगों के घर जा जाकर उनसे मुलाकात की, उनका दर्द जाना और उन्होंने बाढ़ पीड़ितों को 5 हजार रुपये और मृतकों के परिजनों को 1 लाख रुपये देने की घोषणा की.
चंद्रबाबू नायडू ने कहा, “बाढ से निपटने में जगनमोहन रेड्डी की सरकार पूरी तरह नाकाम रही. उनकी सरकार ने अन्नामैय्या बांध का सही से मेन्टीनेन्स नहीं किया.अगर कोई खराबी थी तो उसकी समय पर मरम्मत नहीं की गई. अगर बांध में पानी भर गया तो पहले से पानी क्यों नहीं छोड़ा गया? उनकी नाकामी की वजह से इतनी जानें गईं, इतने घर बर्बाद हुई, अब सरकार को उनकी देखभाल की पूरी जिम्मेदारी उठानी होगी.
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