राष्ट्रीय

देश में नए वेरिएंट के मामले बढ़े, ओमिक्रोन से जुड़े 5 अहम सवालों के जवाब, जो आपको जानना चाहिए

[responsivevoice_button voice="Hindi Female"]

[ad_1]

Omicron Variant in India: कोराना वायरस के ‘अत्यंत संक्रामक’ बताए जा रहे नए वेरिएंट ‘ओमीक्रोन’ को लेकर जहां अफ्रीका और यूरोप के कई देशों में खलबली मची है, वहीं इसने भारत में भी दस्तक देकर सरकार और प्रशासन के साथ ही आमजन की चिंता बढ़ा दी है. देश में ओमिक्रोन वेरिएंट के मामले बढ़कर पांच हो गए हैं, नया मामला दिल्ली से सामने आया है. हालांकि इसकी असल रिपोर्ट कल तक आनी है. इसकी संक्रामक प्रवृत्ति और स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को लेकर देश में तमाम तरह की आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं. इन्हीं सब मुद्दों पर पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के हृदय रोग विज्ञान (कार्डियोलॉजी) विभाग के पूर्व प्रोफेसर के. श्रीनाथ रेड्डी पांच अहम सवालों के जवाब दिए.

सवाल: ओमीक्रोन ने भारत में दस्तक दे दी है और इसे लेकर दहशत का माहौल है क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे बेहद संक्रामक बताते हुए चिंता जताई है. इस बारे में आपका क्या कहना है?

जवाब: जहां तक इसकी संक्रामक क्षमता का सवाल है तो यह सही है कि यह ज्यादा संक्रामक है. दक्षिण अफ्रीका और यूरोप के देशों में जिस गति से यह फैला है, वह इसका सबूत भी है. वायरस का यह वेरिएंट गंभीर रूप से बीमार करता है, अभी तक इसका कोई संकेत नहीं है. बल्कि अभी तक जो भी चीजें सामने आई हैं, उससे पता चलता है कि कि संक्रमित लोगों को अस्पतालों में भर्ती कराने की बहुत ज्यादा आवश्यकता नहीं पड़ी और इससे लोगों की जान नहीं जा रही है, जैसा कि हमें वायरस के डेल्टा वेरिएंट में देखने को मिला था. रही बात टीकों के प्रभाव की तो यह संभावना ज्यादा है कि टीकों का असर कम हो जाए. क्योंकि टीकों से बनने वाले एंटीबॉडी का स्तर कुछ समय बाद कम हो जाता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि टीके वायरस से पूरी तरह हार जाएंगे.

सवाल: इससे पहले कि ओमीक्रोन खतरनाक रूप धारण करे, सरकार को तत्काल क्या कदम उठाने चाहिए. अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर भी प्रतिबंध की बात उठ रही है?

जवाब: सबसे पहले तो हमें इसके फैलने की गति को धीमा करना होगा. इसलिए मास्क पहनकर चलें ताकि वायरस हमारे शरीर में प्रवेश नहीं कर सके. भीड़-भाड़ वाले जो कार्यक्रम हैं, उन पर प्रतिबंध लगना चाहिए. टीकाकरण की गति बढ़नी चाहिए. स्वास्थ्य पर इसके असर की लगातार निगरानी करते रहनी होगी. संक्रमण भले ही फैले लेकिन यदि यह लोगों को गंभीर रूप से बीमार नहीं कर रहा है तो घर में ही इलाज का प्रबंध किया जाना चाहिए. बीमारी तीव्र हो तो जरूर अस्पतालों का भी प्रबंध किया जाना चाहिए. रही बात अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाने कि तो मेरा मानना है इससे कुछ फायदा नहीं होने वाला है. चीन में जब यह महामारी आई तो कई देशों ने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाया था, ब्रिटेन में अल्फा वेरिएंट आया तब भी हमने अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगाया और डेल्टा स्वरूप के मामले में भी यही किया लेकिन इसके बावजूद हम इसे फैलने से नहीं रोक सके. लेकिन इसकी गति को हम थोड़ा कम कर सकते हैं, उड़ानों पर प्रतिबंध लगाकर. प्रतिबंध लगाने की बजाय जो यात्री विदेशों से आ रहे हैं, उनकी जांच की जाए और उनमें रोगों के लक्षण का पता लगाया जाए. उनके संपर्कों का पता किया जाना चाहिए.

सवाल: जब भी वायरस का कोई नया वेरिएंट सामने आता है, देश में यह बहस छिड़ जाती है कि टीके इसके खिलाफ कारगर हैं या नहीं. हैं तो कौन सा टीका अत्यधिक प्रभावी है? बूस्टर खुराक की भी चर्चा होने लगती है. आप क्या कहेंगे?

जवाब: मैं पिछले अप्रैल महीने से ही कह रहा हूं कि ये जो टीके बने हैं या फिर जिनका हम दुनिया भर में इस्तेमाल कर रहे हैं, वे गंभीर बीमारी को रोक सकते हैं, लेकिन वायरस का संक्रमण फैलने से नहीं रोक सकते. संक्रमण को फैलने से रोकने का काम मास्क ही कर सकता है और टीका हमें सुरक्षा प्रदान करता है. इसलिए हमें टीके भी लगवाने हैं और मास्क भी पहनना है. रही बात बूस्टर खुराक की तो यह टीकों के प्रभाव पर निर्भर करता है. कुछ टीके हैं जो तेजी से एंटीबॉडीज बढ़ा देते हैं. कुछ हैं कि जिनमें एंटीबॉडी का स्तर कुछ महीनों के बाद खत्म भी हो जाता है. टीके-टीके में फर्क है. और व्यक्ति-व्यक्ति में भी फर्क है. बूस्टर खुराक देने से पहले यह देखना जरूरी होगा कि ओमीक्रोन कितने गंभीर रूप से बीमार कर रहा है.

सवाल: देशव्यापी टीकाकरण अभियान के तहत अब तक टीकों की 126.53 करोड़ से अधिक खुराक लगाई गई हैं. इनमें से दोनों खुराक सिर्फ 46,88,15,845 लोगों को ही दी गई हैं जबकि 79,56,76, 342 लोगों ने पहली खुराक ली है. इस बारे में आपकी राय?

जवाब: हमें जल्दी से जल्दी टीकों की दोनों खुराक देनी होंगी. टीकाकरण कार्यक्रम को जल्द से जल्द पूरा किया जाना आवश्यक है. यदि यह साबित होता है कि ओमीक्रोन से स्वास्थ्य को गंभीर खतरा पैदा हो रहा है, तो बूस्टर खुराक शुरू कर सकते हैं. इसमें भी 60 साल से अधिक उम्र या गंभीर बीमारी वालों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.

सवाल: लोगों के मन में बार-बार यह सवाल उठ रहा है कि क्या हर साल कोरोना वायरस का कोई न कोई वेरिएंट आता रहेगा और हम इसी प्रकार भय के साये में जीने को मजबूर रहेंगे?

जवाब: हमारे बीच में रहने के लिए वायरस अपने वेरिएंट में परिवर्तन करेगा. अलग वेरिएंट भी आ सकता है. हमें इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि हम इस वायरस को मिटा देंगे या खत्म कर देंगे. इसके खतरे को हम जरूर कम कर सकते हैं और उसे संकेत दे सकते हैं कि तुम्हें हमारे बीच में रहना है तो बीमारी ज्यादा मत फैलाओ. फिलहाल, घबराने वाली बात नहीं है क्योंकि ओमीक्रोन से अभी तक स्वास्थ्य पर बहुत गंभीर असर नहीं देखा गया है. यह हमारे लिए अच्छा संकेत है. इसलिए मास्क पहनें, भीड़-भाड़ से दूर रहें और टीका लगवाएं.

ये भी पढ़ें- Nagaland Violence: अब तक 13 की मौत, राहुल गांधी ने लिखा- भारत सकार जवाब दे, ओवैसी बोले- नॉर्थ ईस्ट में शांति नहीं, सिर्फ हिंसा

ये भी पढ़ें- BSF Raising Day: जैसलमेर में जवानों का हौसला बढ़ाने पहुंचे अमित शाह, BSF स्थापना दिवस परेड में हुए शामिल

[ad_2]

Source link

Aamawaaz

Aam Awaaz News Media Group has been known for its unbiased, fearless and responsible Hindi journalism since 2018. The proud journey since 3 years has been full of challenges, success, milestones, and love of readers. Above all, we are honored to be the voice of society from several years. Because of our firm belief in integrity and honesty, along with people oriented journalism, it has been possible to serve news & views almost every day since 2018.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button