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रूस या अमेरिका, जानें दोनों में किस सुपरपावर से ज्यादा हथियार खरीदता है भारत

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Who is India’s Biggest Weapons Supplier: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दौरे पर सोमवार को आ रहे हैं. इस दौरान भारत और रूस के बीच कई अहम डील्स पर दस्तखत होंगे, जिसमें एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम और असॉल्ट राइफल्स की डील शामिल है. लेकिन भारत की रूस के साथ इस डील से अमेरिका खफा है. 

अब सवाल उठता है कि रूस और अमेरिका दोनों सुपरपावर्स हैं. दोनों से भारत के अच्छे रिश्ते हैं. रूस भारत का उस दौर से साथी है, जब अमेरिका उसके खिलाफ था. आज अमेरिका भी भारत से अच्छे रिश्ते चाहता है. ऐसे में भारत रूस और अमेरिका में से किससे ज्यादा हथियार खरीदता है. आइए आपको बताते हैं.

एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत के 86 प्रतिशत हथियार रूसी मूल के हैं. जब लद्दाख में भारतीय सेना और चीनी सेनाएं आमने सामने आ गई थीं, उस वक्त भारत काफी हद तक रूसी मूल के हथियारों पर निर्भर था. साल 2014 से लेकर अब तक भारत के करीब 55 प्रतिशत डिफेंस इंपोर्ट्स रूस से हैं.

भारतीय सेनाएं 86 प्रतिशत रूसी मूल के उपकरण कर रहीं इस्तेमाल

समीर लालवानी द्वारा तैयार किए गए न्यू स्टिमसन सेंटर वर्किंग पेपर के मुताबिक, भारतीय सेनाएं 86 प्रतिशत रूसी मूल के उपकरणों का इस्तेमाल कर रही हैं. नौसेना के लिए, यह 41% से अधिक है जबकि IAF के दो-तिहाई उपकरण रूसी मूल के हैं. एशिया के सीनियर फेलो लालवानी कहते हैं, रूसी मूल की प्रणालियों पर भारत की निर्भरता सेना में सबसे अधिक है, यहां तक कि वायु सेना और नौसेना में भी. वो भी ऐसे समय पर जब भारत का बड़े स्तर के स्ट्राइक प्लेटफॉर्म पर फोकस है. चूंकि इन प्रणालियों का कार्यकाल लंबा होता है इसलिए निर्भरता बनी रहेगी.

रूस ही नंबर वन सप्लायर

स्टॉकहोम स्थित SIPRI के डेटा से पता चलता है कि 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भी, रूस ही भारत का नंबर एक डिफेंस सप्लायर है. उसने भारत को 9.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के हथियारों का निर्यात किया है. इसी अवधि में भारत को 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर की डिफेंस सप्लाई के साथ अमेरिका दूसरे नंबर पर है.

वहीं अमेरिका की डिफेंस सिक्योरिटी कॉरपोरेशन एजेंसी (DSCA) के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप सरकार के अंतिम साल में अमेरिका से भारत की हथियार खरीद 6.2 मिलियन डॉलर से बढ़कर 3.4 बिलियन डॉलर हो गई. हिस्टोरिकल सेल्स बुक के 2020 एडिशन के अनुसार, भारत ने 2017 में $ 754.4 मिलियन और 2018 में $ 282 मिलियन के हथियार खरीदे. 1950 और 2020 के बीच, विदेशी सैन्य बिक्री (FMS) श्रेणी के तहत भारत को हथियारों की अमेरिकी बिक्री $ 12.8 बिलियन थी.

SIPRI डेटाबेस के अनुसार, 2000 के बाद से भारत के कुल रक्षा आयात का दो-तिहाई से अधिक रूस से आया है, जो 51 बिलियन अमेरिकी डॉलर है. जबकि इसी अवधि में अमेरिका ने 3.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर की डिफेंस सप्लाई की है. जून 2020 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस से 2.4 अरब अमेरिकी डॉलर में 21 मिग 29 और 12 सुखोई 30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के अधिग्रहण के प्रस्तावों को मंजूरी देने के बाद मास्को का दौरा किया था.

भारत ने रूस से क्या-क्या हथियार लिए?

-भारत का इकलौता एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य और इकलौती न्यूक्लियर सबमरीन चक्र-II रूस से हैं. 

-टी-90 और टी-72 टैंक भी रूस से भारत ने लिए हैं.

-भारत के सुखोई एमकेआई लड़ाकू विमान रूसी मूल के हैं.

-भारत की न्यूक्लियर सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइज ब्रह्मोस भी रूस और भारत ने मिलकर बनाई है.

अमेरिका से भारत ने क्या-क्या हथियार लिए?

अमेरिका से लिए कई हथियार भी भारतीय सेनाओं में अपनी सर्विस दे रहे हैं लेकिन रूस के हथियारों की तुलना में इनकी संख्या कम है. 

-अपाचे और चिनूक हेलीकॉप्टर्स अमेरिका से भारत ने खरीदे हैं. 

-M777 होवित्जर गन भारत को अमेरिका ने दी हैं.

-वहीं बोइंग सी-17 और सी130जे भारत की सामरिक एयरलिफ्ट क्षमता की रीढ़ हैं, जो उसने अमेरिका से लिए हैं. 

-चार पी81 सबमरीन हंटर एयरक्राफ्ट भी नेवी को मिलने वाले हैं, जो अमेरिका से लिए गए हैं.

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