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शौर्य थी जिनकी पहचान, दो बेटियां थीं जिनकी शान, कैसा रहा देश के लाल जनरल बिपिन रावत का जीवन

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CDS Bipin Rawat Death: भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत समेत 13 अन्य लोगों की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में बुधवार को मौत हो गई. इनमें जनरल रावत की पत्नी मधुलिका रावत और सेना के कई बड़े अधिकारी शामिल हैं. वायुसेना का एमआई-17 हेलिकॉप्टर तमिलनाडु के कुन्नूर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इसके बाद घायलों को अस्पताल में ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. इस हेलिकॉप्टर में कुल 14 लोग सवार थे. ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का इलाज अस्पताल में चल रहा है. 

पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, सीएम अरविंद केजरीवाल समेत कई विपक्षी नेताओं ने श्रद्धांजलि दी. आइए आपको बताते हैं कि काउंटर इंसर्जेंसी में महारत रखने वाले जनरल बिपिन रावत के परिवार में कौन-कौन था.

जनरल रावत की पत्नी का नाम मधुलिका था, जो आर्मी वाइफ्लस वेल्फेयर असोसिएशन (AWAA) की अध्यक्ष भी थीं. वह मध्य प्रदेश के शहडोल की रहने वाली थीं और दिवंगत राजनेता मृगेंद्र सिंह की बेटी थीं. मधुलिका रावत ने अपनी शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी में की. AWAA के अलावा वह कई तरह से सोशल वर्क के अलावा कैंसर पीड़ितों के लिए काम करती थीं. 

जनरल बिपिन रावत और मधुलिका रावत दो बेटियों के पैरेंट्स थे. उनकी एक बेटी का नाम कृतिका रावत है. सार्वजनिक तौर पर बिपिन रावत की बेटियों के बारे में बेहद कम जानकारी है. लेकिन दोनों बेटियां जनरल बिपिन रावत की शान थीं. बिपिन रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं और वे लेफ्टिनेंट-जनरल के पद तक पहुंचे. उनकी मां उत्तरकाशी से विधायक रहे किशन सिंह परमार की बेटी थीं.

करगिल युद्ध में दिखाया था शौर्य

63 साल के जीवन में जनरल रावत ने कई ऐसे काम किए, जो हमेशा याद रखे जाएंगे. उरी हमले के बाद सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक पैरा कमांडोज ने भले ही की थी लेकिन उसके पीछे दिमाग जनरल रावत का था. अशांत इलाकों में काम करने के अनुभव को देखते हुए मोदी सरकार ने दिसंबर 2016 में  जनरल रावत को दो वरिष्ठ अफसरों पर तरजीह देते हुए आर्मी चीफ बनाया था. 

मणिपुर में जून 2015 में आतंकी हमले में कुल 18 जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद 21 पैरा के कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन एनएससीएन-के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था. तब 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे.

जनरल रावत आर्मी चीफ से 31 दिसंबर 2019 को रिटायर होने के बाद देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बने थे.उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले जनरल रावत को पूर्वी सेक्टर में LoC, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव था. करगिल के युद्ध में भी उन्होंने अपने शौर्य का परिचय दिया था. 

सेना में चढ़ते चले गए कामयाबी की सीढ़ियां

16 दिसंबर 1978 को जनरल बिपिन रावत बतौर सेकंड लेफ्टिनेंट सेना में भर्ती हुए थे. 1980 में वो लेफ्टिनेंट के पद पर प्रमोट हुए. 1984 में उन्हें सेना ने कप्तान की रैंक दी. 1989 में वह मेजर बने. 1998 में वह लेफ्टिनेंट कर्नल थे. इसके बाद करगिल में युद्ध हुआ था. साल 2003 में वह कर्नल बनाए गए. 4 साल बाद साल 2007 में वरिष्ठता को देखते हुए उन्होंने ब्रिगेडियर बनाया गया. साल 2011 में वह मेजर जनरल बने. 2014 में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर प्रमोट हुए. 1 जनवरी 2017 को मोदी सरकार ने उन्हें आर्मी चीफ का पद दिया. 

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