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Tibet की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे Tenzin Tsundue ने की हिमालयी राज्यों की यात्रा, जानिए क्यों

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Tenzin Tsundue Himalayan Walk: तिब्बती कार्यकर्ता (Tibetan Activist) तेनजिन त्सुंदू (Tenzin Tsundue) ने भारत में हिमालय के चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश से गुजरते हुए 20,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा पूरी की है. उन्होंने 123 दिन की ‘वॉकिंग द हिमालयाज’ (Walking the Himalayas) की यात्रा पूरी की है, जिसका मकसद भारत पर चीनी सैनिकों के बढ़ते खतरे के बारे में जागरूकता फैलाना है. 

तेनजिन त्सुंदू (Tenzin Tsundue) 25 सालों से ज्यादा समय से तिब्बत की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. वे एक लेखक भी हैं और अभी वे हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में रहते हैं. उन्होंने 2021 में ‘आउटलुक-पिकैडोर अवार्ड फॉर नॉन-फिक्शन’ ‘Outlook-Picador Award for Non-Fiction’ जीता है. 

चीन की नीतियों के बारे में कम जानकारी

तेनजिन त्सुंदू कहते हैं कि उनकी 2021 की यात्रा ने उन्हें ये एहसास दिलाया कि 2020 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख की गलवान घाटी की झड़प के बाद हिमालय के लोग कैसे हैरान और चिंतित हैं, जो पिछले 45 वर्षों में सबसे खराब दौर में से एक है, जिसमें 20 भारतीय सैनिक मारे गए. वे कहते हैं कि फिर भी सीमावर्ती क्षेत्रों  (border regions) में रहने वाले लोगों को चीन की विस्तारवादी नीतियों (China’s expansionist policies) और सीमा पर चीन की वर्तमान गतिविधियों के बारे में बहुत कम जानकारी है.

यहां देखें वीडियो

 विभिन्न गांवों और कस्बों से गुजरते हुए यात्रा

लेह, कारगिल,जांस्कर से हल्द्वारी, नाथुला और स्पीति तक तेनजिन त्सुंदू ने हिमालय के उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और लद्दाख के विभिन्न गांवों और कस्बों से गुजरते हुए यात्रा की, ताकि 70 सालों से तिब्बत पर चीन के कब्जे और भातीय हिमालय में इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाई जा सके.

अपनी यात्रा के दौरान उन्होंने प्रोजेक्टर, साउंडबॉक्स और बेडशीट स्क्रीन का इस्तेमाल कर फिल्म ‘एस्केप ऑफ दलाई लामा फ्रॉम तिब्बत’ (Escape of the Dalai Lama from Tibet) दिखाई. ये सब वे अपने साथ लेकर गए थे.

पैदल यात्रा के दौरान की वीडियो रिकॉर्डिंग

तेनजिन त्सुंदू ने लोगों, स्थानों और इतिहास का दस्तावेजीकरण करने के लिए अपनी यात्रा की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की है, जो उन्होंने 20,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा के दौरान देखा था. त्सुंदू के मुताबिक, उनकी इस यात्रा ने उन्हें भाषा, संस्कृति और रीति-रिवाजों के मुद्दों पर हिमालयी भारतीयों से जुड़ने में सक्षम बनाया.

यात्रा पूरी कर बुधवार को लौटे दिल्ली 

तेनजिन त्सुंदू अपनी 123 दिन की यात्रा पूरी कर बुधवार को दिल्ली पहुंचे. एबीपी लाइव से बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह भारत के अन्य हिस्सों में भी पहुंचना चाहते हैं. उन्होंने फोन पर बात करते हुए कहा, “मैं चीनी विस्तारवादी नीति और तिब्बत स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में जागरूकता भारत के अन्य हिस्से में भी फैलाना चाहता हूं, क्योंकि यह एक ऐसा मुद्दा है जो सिर्फ एक क्षेत्र से नहीं,  बल्कि समूचे भारत से जुड़ा हुआ है”. 

तिब्बती शरणार्थी परिवार से हैं त्सुंदू

गौरतलब है कि तेनजिन त्सुंदू एक एक तिब्बती शरणार्थी परिवार से हैं, जो कार्यकर्ता के रूप में अपने सक्रिय कार्यों के लिए जाने जाते हैं, जिसके लिए उन्हें कम से कम 16 बार हिरासत में लिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने तिब्बती शरणार्थियों पर कविता, निबंध और कहानियों की तीन किताबें लिखी हैं.

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