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शादी की उम्र बढ़ाने पर मुस्लिम महिलाओं ने जाहिर की खुशी

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Marriage Act: केंद्र सरकार ने लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाकर 18 साल के 21 साल करने का फैसला किया है. जिसके बाद कई लोग इस फैसले पर जश्न मनाते दिखाई दिए तो वहीं कुछ लोगों ने तीखी टिप्पणी कर इस फैसला को गलत ठहराया.

महिला वर्ग का इस फैसले को लेकर क्या मानना है इसके लिए एबीपी न्यूज़ ने मुस्लिम महिलाओं (तीन पीढ़ियों) से बात की. तीन अलग-अलग पीढ़ी की महिलों ने सरकार के इस फैसले पर खुशी जाहिर की है. मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि, आज के वक्त में लड़कियां किसी से कम नहीं हैं. हर क्षेत्र में लड़कियों ने कामयाबी हासिल की है. ये वक्त लड़कियों के आगे बढ़ने का है और केंद्र का ये फैसला लड़कियों को उन्नति हासिल करने का मौका देगा. 

लड़कियों को समाज में आगे बढ़ने का मौका देता है ये फैसला- बुजुर्ग मुस्लिम महिला 

एक बुजुर्ग मुस्लिम महिला ने अपनी बात रखते हुए कहा कि पहले लड़कियों की उम्र 18 होते ही उनकी शादी करा दी जाती थी जो आज भी समाज में होता है. वहीं, केंद्र के इस फैसले से अब लड़कियों को अपनी पढ़ाई और समाज में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा.

बता दें, समाजवादी पार्टी के एक सांसद शफीक उर रहमान ने केंद्र के इस फैसले पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा था कि शादी की उम्र बढ़ाने से लड़कियां आवारा हो जाएंगी. जिस पर मुस्लिम महिलाओं का कहना है कि उनका ये बयान बेहुदा है. अगर लड़की को आवारा होना होगा तो वो किसी उम्र में भी हो जाएंगी. इससे उम्र का कुछ लेना देना नहीं.

लड़कियों को अपनी छवि बनाने का मौका देते है ये फैसला- मुस्लिम महिला

वहीं, एक अन्य महिला ने इस फैसले पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि वो सरकार के इस फैसले से बेहद खुश हैं. उन्होंने कहा कि लड़कियों को आगे बढ़ने की जरूरत है. लड़कियों को अब पढ़ने का मौका मिलेगा, समाज में अपनी छवि को बनाने का मौका मिलेगा.

मेरी जैसी लड़कियों को आगे बढ़ने का मौका देता है ये फैसला- युवती

इसके अलावा एक 18 साल की मुस्लिम युवती ने कहा कि, सरकार ने जेंडर इक्वलिटी कर बहुत अच्छा किया है. उन्होंने कल्पना चावला, किरण बेदी का नाम लेते हुए कहा कि ये एक बड़ें उदाहरण हैं कि लड़कियों को अगर मौका मिले तो वो किसी से कम नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि हमले बाल विवाह भी होते देखा है. लड़कियों की 14-15 साल की उम्र में शादी करा दी जाती थी. वहीं, अब जहां लड़की 18 साल की होती है तो परिवार उसकी शादी कराने के पीछे लग जाता है. अब लड़कियों को और समय मिलेगा, वो अपना भविष्य खुद तय कर सकेंगी. वो 21 साल से पहले शादी को कानूनी जुर्म बताकर अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ सकेंगी. सरकार का ये फैसला मेरी जैसी कई लड़कियों को आगे बढ़ने का मौका देता है.

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