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औरंगजेब, जिन्ना समेत वो 8 नाम, जिसने सर्दी के मौसम में ला दी यूपी में सियासी गर्मी

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Historical Names Used in UP Elections: यूपी में सर्द होते माहौल के बीच पिछले कुछ महीनों में इतिहास के पन्नों से निकलकर कुछ ऐसे नामों का जिक्र भी आया, जो शायद सियासी रंग बदलने का माद्दा रखते हैं. विकास के नाम पर चुनाव लड़ रही BJP हो या कड़े मुकाबले में मौजूद समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) या अन्य पार्टियां, सभी ने इतिहास के चर्चित नामों का राग छेड़ कर राजनीतिक हवा को बदलने की कोशिश की है. हाल ही में सबसे ज्यादा चर्चा जिस नाम की हुई वो है, मुगल शासक औरंगजेब (Aurangzeb) का. इसके अलावा अकबर, बाबर, हुमायूं, जिन्ना, राजा सुहेलदेव, शिवाजी, और सालार मसूद का जिक्र भी चुनावों में हो रहा है.    

काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) के लोकार्पण के दौरान पीएम मोदी (PM Modi) ने इतिहास के पन्नों का जिक्र करते हुए मुगल शासक औरंगजेब (Aurangzeb) का नाम लिया. उन्होंने इस दौरान औरंगजेब का मुकाबला करने वाले मराठा शासक छत्रपति शिवाजी (Shivaji) को याद करते हुए संदेश देने की कोशिश भी की. पीएम मोदी ने कहा कि समय कभी एक जैसा नहीं रहता है. उन्होंने कहा कि औरंगजेब का अत्याचार और उसके आतंक का इतिहास साक्षी है. जिसने तलवार के बल पर हमारी सभ्यता को बदलने और संस्कृति को कुचलने की कोशिश की, लेकिन इस मिट्टी की बात ही कुछ और है. यहां अगर औरंगजेब आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं.

सालार मसूद का निकला नाम 

काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के कार्यक्रम के दौरान ही पीएम मोदी ने सालार मसूद (Salar Masood) का भी जिक्र किया. पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि जब इधर कोई सालार मसूद बढ़ता है तो राजा सुहेलदेव (Raja Suhaldev) जैसे वीर योद्धा उसे हमारी एकता की ताकत का एहसास करा देते हैं. इतिहासकार दावा करते हैं कि सालार मसूद (Salar Masood) ने हिंदुओं पर अत्याचार करके मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें खड़ी की थीं. ऐसे में सालार मसूद का नाम भी पीएम मोदी के मुंह से निकला अपने आप में बहुत कुछ कह जाता है. 

राजा सुहेलदेव का जिक्र क्यों?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से राजा सुहेलदेव (Raja Suhaldev) का नाम लेकर यूपी के पूर्वोत्तर के वोटर्स को साधने की कोशिश की. सुहेलदेव के नाम पर पार्टी चलाने वाले ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) बीजेपी गठबंधन से अलग होकर सपा के साथ जुड़ गए हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री ने पूर्वांचल में राजभर के वोटर्स को लुभाने का भी दांव आजमाया है. बीजेपी का अंदेशा है कि राजभर के पार्टी से अलग होने से उसे वहां नुकसान हो सकता है, ऐसे में उनके भाषण में राजा सुहेलदेव के नाम का जिक्र अहम है. 

जिन्ना का भी उछला नाम

उत्तर प्रदेश की राजनीति में इससे पहले पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) का जिक्र हो चुका है. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में BJP को कड़ी टक्कर देते नजर आ रहे हैं. 31 अक्‍टूबर को हरदोई की एक जनसभा में उन्होंने पाकिस्‍तान संस्‍थापक मोहम्मद अली जिन्‍ना (Jinnah) का जिक्र किया था. अखिलेश (Akhilesh) ने कहा था कि सरदार पटेल, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना एक ही संस्था में पढ़कर बैरिस्टर बनकर आए थे, उन्होंने आजादी की लड़ाई लड़ी और संघर्ष करने से पीछे नहीं हटे. 

जिन्ना के बहाने गन्ना की चिंता

इसको लेकर बीजेपी नेताओं ने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की काफी आलोचना की थी. बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आरोप लगाया कि मायावती राज में 21 और सपा शासन में 11 गन्ने के मिलों की बिक्री हुई, जबकि योगी जी ने तीन नई फैक्ट्री खोली. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हम गन्ना की चिंता करते हैं और वो जिन्ना की चिंता करते हैं. हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और यूपी के पूर्व राज्यपाल अजीज कुरैशी ने जिन्ना को सबसे बड़ा देशभक्त बता दिया था. उन्होंने कहा था कि जिन्ना का नाम लेना कोई अपराध नहीं है. ओमप्रकाश राजभर ने कहा था कि अगर जिन्ना भारत के प्रधानमंत्री होते तो देश का विभाजन नहीं होता.
 
चुनावों में बाबर, अकबर और हुमायूं की एंट्री

विधानसभा चुनावों से ठीक पहले अपने बयानों के लिए सुर्खियों में रहने वाले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर (Mani Shankar Aiyar) ने एक बयान दिया, जिसकी खूब चर्चा हुई. कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने नवंबर में दावा किया कि मुगलों ने कभी देश में धर्म के नाम पर अत्याचार नहीं किया. मणिशंकर अय्यर ने ये भी कह दिया कि मुगलों ने इस देश को अपना बनाया. बाबर (Babar) ने महज चार साल में हुमायूं (Humayun) को बताया कि अगर आप इस देश को चलाना चाहते हैं तो यहां के निवासियों के धर्म में दखल नहीं दीजिएगा. उनके बेटे अकबर (Akbar) ने इस देश में पचास साल तक राज किया. दिल्ली में एक सड़क है, जहां कांग्रेस दफ्तर है, वह अकबर रोड पर है. हमें अकबर रोड से कोई एतराज नहीं.

 

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