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बायोलॉजिकल ई बूस्टर डोज लाने की कर रही तैयारी, डाटा जुटाने में लगी

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केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ (SII) के कोविड-19 रोधी टीके ‘कोवोवैक्स’ और ‘बायोलॉजिकल ई’ कम्पनी की वैक्सीन ‘कोर्बेवैक्स’ को कुछ शर्तों के साथ आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है. इसके साथ ही कोविड-19 की दवा ‘मोलनुपिराविर’ (टैबलेट) के आपात स्थिति में नियंत्रित इस्तेमाल को भी इजाजत मिल गई है. इस तरह से देश में अब कोरोना के खिलाफ 8 वैक्सीनों को मंजूरी दी जा चुकी है. देश में 10 जनवरी से बूस्टर डोज की शुरुआत हो जाएगी, ऐसे में कंपनियां बूस्टर डोज (Booster Dose) के निर्माण को लेकर आंकड़े जुटा रही हैं.

सूत्रों के मुताबिक खबर है कि वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद बायोलॉजिकल ई भी बूस्टर डोज की स्टडी के लिए व्यवस्थित तरीके से आंकड़े तैयार कर रही है. तीसरे लहर की संभावनाओं के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने राष्ट्र के नाम संबोधन में 60 साल से ऊपर के लोगों को बूस्टर डोज़ दिए जाने का एलान किया था. बूस्टर डोज की जरूरत को ध्यान में रखते कंपनी आने वाले समय में बूस्टर डोज के निर्माण पर भी फोकस करेगी.

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वहीं दूसरी ओर बायोलॉजिकल ई. लिमिटेड ने COVID-19 वैक्सीन Corbevax की हर महीने 75 मिलियन डोज के प्रोडक्शन का प्लान बनाया है. फरवरी 2022 से हर महीने 100 मिलियन से ज्यादा डोज की उम्मीद की जा रही है. कंपनी वादे के मुताबिक वो 300 मिलियन डोज देने के टारगेट को पूरा करने में मदद करेगी. 

कॉर्बेवैक्स कोरोना महामारी के खिलाफ भारत की पहली स्वदेशी रूप से विकसित प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन है, जिसे आज DGCI से मंजूरी मिल गई है. वैक्सीन निर्माता कंपनी की वैश्विक स्तर पर एक अरब से ज्यादा अतिरिक्त डोज देने की योजना है. ये क्षमताएं हैदराबाद स्थित कंपनी को सरकार से किए गए वादे के अनुसार 300 मिलियन खुराक देने में सक्षम बनाएगी.

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट किया, ‘‘मुबारक हो भारत. कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करते हुए केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने एक दिन में तीन मंजूरी दी हैं. कोवोवैक्स, कोर्बेवैक्स टीके और दवा ‘मोलनुपिराविर’ को कुछ शर्तों के साथ आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी मिली है. इस मंजूरी के साथ, देश में आपात स्थिति में इस्तेमाल होने वाली कोविड-19 वैक्सीन की संख्या आठ हो गई है.

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‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ का ‘कोविशील्ड’, भारत बायोटेक का ‘कोवैक्सीन’, जायडस कैडिला का ‘जायकोव-डी, रूस का ‘स्पुतनिक वी’ और अमेरिका का ‘मॉडर्ना’ एवं ‘जॉनसन एंड जॉनसन’ वे अन्य छह टीके हैं, जिन्हें भारतीय दवा नियामक पहले ही आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी दे चुका है.



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