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पवन यादव बने Maharashtra के पहले किन्नर एडवोकेट, जानिए कितना कठिन रहा सफर

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Maharashtra Transgender Advocate: महाराष्ट्र की पहली किन्नर एडवोकेट जो किन्नर समाज को एक नई पहचान देने की कर रही है कोशिश. पवन यादव नामक इस किन्नर ने LLB की पढ़ाई की और अब बन गई है अधिवक्ता. जिस किन्नर समाज को हरदम इस समाज से सम्मान नही मिला वो दिखाना चाहते है कि वो हर फील्ड में कर सकता है काम.

महाराष्ट्र के पवन यादव किन्नर समाज को एक नई पहचान देने की कोशिश कर रहे हैं. इसके लिए वह LLB की पढ़ाई कर महाराष्ट्र की पहली किन्नर एडवोकेट बन गए हैं. उनका कहना है कि जिस किन्नर समाज को हमेशा आम समाज से सम्मान नहीं मिला वो हर फील्ड में काम कर सकता है.

माता-पिता ने दिया साथ

फिलहाल मुंबई के गोरेगांव के रहने वाले पवन बताते हैं कि किन्नर होते हुए एडवोकेट बनने का सपना पूरा हुआ है ये सब उनके मां बाप की वजह से हुआ है. ज्यादातर देखने को मिलता है अगर किसी मां-बाप को पता चल जाता है कि उनका बेटा जन्म से किन्नर है तो फिर वह उससे प्यार करना बंद कर देते हैं उसका तिरस्कार कर देते हैं समाज उसे दूसरी नजरों से देखने लगता है उसके मां-बाप को यह सब अच्छा नहीं लगता और उसके बाद ऐसे लड़के समाज से दूर होते जाते हैं और फिर उन्हें किन्नर समाज का ही सहारा लेना पड़ता है.

उनका कहना है कि उनके मां-बाप ने उनका बहुत साथ दिया. सरकारी नौकरी करने वाले उनके पिता से जब लोग उनके बेटे के बारे में बोलते थे तो उसे वह चुपचाप सह लेते थे सुन लेते थे यह सारी बातें पवन को बहुत ही बुरी लगती थी वह अपने मां से हरदम कहते थे कि मैं कुछ ऐसा करूंगा कि तुम्हारा नाम रोशन होगा मां बाप को उसकी बात पर विश्वास नहीं होता था लेकिन आज जब वो कानून की पढ़ाई पढ़ने के बाद एडवोकेट बन चुके हैं तो उनके मां-बाप को भी पर गर्व है और किन्नर समाज के लोगों को भी.

पढ़ाई के दौरान भी किया मुश्किलों का सामना

किन्नर एडवोकेट पवन यादव के मुताबिक एलएलबी की पढ़ाई के दौरान भी उन्हें तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. जब उन्होंने एलएलबी का फॉर्म भरा और ट्रांसजेंडर कॉलम पर उन्होंने टिक किया और उनका फॉर्म कॉलेज में पहुंचा तो उनका एडमिशन होना मुश्किल हो गया. जिसके लिए वो कॉलेज प्रशासन से लेकर कॉलेज के ट्रस्टी तक से मुलाकात कर बात की और फिर एक कोटे के तहत उनका एडमिशन हुआ और उन्होंने अपनी एलएलबी की पढ़ाई पूरी की. लॉ कॉलेज में जितने साल रहे आम लड़कों की तरह रहने की कोशिश की ताकि उनके साथियों के बीच उनकी असली पहचान छुपी रहे और वो अपनी पढ़ाई अच्छे से कर सके.

14 वर्ष की उम्र में हुआ लैंगिक शोषण 

आखिर किन्नर पवन एडवोकेट ही क्यों बनना चाहते थे, इस सवाल पर वह बताते हैं कि जब वह 14 साल के थे तभी उनका लैंगिक शोषण हुआ. उन्हें न्याय कहीं से नहीं मिला, उन्हें हर तरफ से दुत्कारा गया तभी उन्होंने सोच लिया था कि वह एक दिन वकील बनेंगे और किन्नर समाज के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगे और हर एक को न्याय दिलाने की कोशिश करेंगे और यहीं कोशिश आज उनकी रंग लाई है और वह अब एक किन्नर एडवोकेट के तौर पर जाने जाएंगे.

पवन यादव के मुताबिक किन्नर समाज के लोग आज हर फील्ड में कुछ कर गुजरने की आजमाइश कर रहे हैं और उनके समाज में लगातार ऐसे लोग शामिल हो रहे हैं जो किन्नर के बारे में लोगों की धारणाओं को बदलने का काम कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि एक दिन ऐसा आएगा जब किन्नर समाज के लोगों को भी अच्छी नजर से देखा जाएगा, उनका तिरस्कार नहीं किया जाएगा और उनका भी समाज में एक स्थान होगा. वो सरकार से भी अपने लिए इस सम्मान पाने की लड़ाई को लड़ेंगे और इन्हें भी अधिकार मिले इनका एक पहचान पत्र बनाया जाए इसके लिए वह लगातार प्रयास करने वाले हैं. फिलहाल किन्नर एडवोकेट पवन यादव अब मुंबई की दिंडोसी कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू करने जा रहे हैं और जल्द ही लोगों को न्याय दिलाने का काम शुरू करेंगे.

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