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कोरोना की तरह क्या ओमिक्रोन के भी हैं साइड इफैक्ट्स? क्या इससे भी है फंगस का खतरा?

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Omicron Variant: कोविड-19 का ओमिक्रोन वेरिएंट तेज रफ्तार से देश में फैल रहा है. भारत में ओमिक्रोन से संक्रमित लोगों की संख्या 2000 के आंकड़े को पार कर गई है. महाराष्ट्र और दिल्ली में ओमिक्रोन संक्रमण के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं. देश के सभी शहरों में टीकाकरण और फेस मास्क को लेकर खास ध्यान दिया जा रहा है. वही सामाजिक दूरी बनाए रखने, भीड़ भाड़ वाले इलाके में जाने से बचने के लिए लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं. कई शहरों में पाबंदियां लगाई गईं हैं ताकि संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके. हालांकि महामारी के विशेषज्ञ ये मानते हैं ओमिक्रोन से अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कम है.

नाक, गले और श्वास नली तक असर!

एक्सपर्ट की मानें तो ओमिक्रोन से अस्पतालों में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या कम है और इससे संक्रमण की वजह से मौत के भी कम मामले सामने आए हैं. विश्व में सबसे तेजी से फैल रहा ओमिक्रोन वेरिएंट (Omicron Varinat) फेंफड़ों को अधिक निशाना नहीं बना रहा है जिसकी वजह से यह कम घातक है. हाल में किए गए शोधों के हवाले से मीडिया में यह जानकारी दी गई है. मीडिया रिपोर्ट में बताया गया कि चूहों और अन्य छोटे जीवों हेम्सटर पर किए गए शोध से पता चला कि यह वेरिएंट फेंफड़ों (Lungs) को कम नुकसान करता है और इसका अधिकतर असर नाक, गले और श्वास नली तक ही रहता है.
 
ओमिक्रोन कितना घातक?

इससे पहले वाले कोरोना वायरस फेंफड़ों में जख्म बनाकर सांस लेने की प्रकिया को बुरी तरह प्रभावित करते थे और इससे उनकी सिकुड़ने और फैलने की क्षमता समाप्त हो जाती थी. बर्लिन इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के जीव विज्ञानी रोनालड इल्स (Roland Eils) ने बताया कि ओमिक्रोन वेरिएंट संक्रमित जीव की श्वास नली को प्रभावित करता है और एक शोध में यह भी पाया गया है कि फेंफड़ों में ओमिक्रोन का स्तर कुल संक्रमण का दसवां हिस्सा था या अन्य वेरिएंट की तुलना में काफी कम मरीजों में पाया गया था. 

फंगस का कितना है खतरा?

महामारी की दूसरी लहर के समय डेल्टा वेरिएंट के संक्रमण के साथ-साथ ब्लैक फंगस का भी खतरा था. फंगल इन्फेक्शन फैलने लगा था जो ज्यादा घातक साबित हुआ था. आंखों की रोशनी जाने की भी शिकायत की गई थी. लेकिन अभी तक की जानकारी के मुताबिक ओमिक्रोन वेरिएंट में किसी तरह के फंगस का खतरा नहीं है. सर्दी-जुकाम और गले में खराश की समस्या लोगों को महसूस हो रही है. हालांकि ऑक्सीजन लेवल में गिरावट नहीं देखी गई है और न ही स्वाद या फिर गंध की क्षमता खत्म हुई है. एक्सपर्ट मानते हैं कि ये डेल्टा वेरिएंट जितना गंभीर नहीं है लेकिन उसकी तुलना में कई गुना अधिक संक्रामक जरूर है. 

दक्षिण अफ्रीका में आया था सबसे पहला मामला

गौरतलब है कि इससे पहले अन्य कई शोधों में कहा गया था कि ओमिक्रोन (Omicron) कोरोना के डेल्टा वेरिएंट (Delta Variant) की तुलना में उतना घातक नहीं है और इस बात के प्रमाण भी हैं. ओमिक्रोन का पता सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना में नवंबर के अंतिम माह में लगा था और धीरे धीरे यह दक्षिण अफ्रीका में फैल गया था. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार ये ओमिक्रोन वेरिएंट इस वक्त विश्व के 100 से अधिक देशों में मौजूद है और यह उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है जिन्हें कोरोना की दोनों वैक्सीन लग चुकी हैं या पहले कोरोना संक्रमण हुआ था. यह भी पाया गया है कि इसके संक्रमण से लोगों में अस्पताल में भर्ती होने की दर अधिक नहीं देखी गई है लेकिन फिर भी लोगों को सावधान रहने की सलाह दी जा रही है.

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