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क्या महाराष्ट्र के अप्रत्यक्ष सीएम शरद पवार हैं? बीजेपी ने ठाकरे सरकार को घेरा

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Maharashtra: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की सेहत ठीक नहीं चल रही है. पीठ और गले का ऑपरेशन करवाने के बाद ठाकरे घर से बाहर नहीं निकलते. महाराष्ट्र विधान सभा के शीतकालीन सत्र में भी वे शामिल नहीं थे. तो ऐसे में सरकार कौन चला रहा है? बीजेपी के मुताबिक सरकार का कंट्रोल एनसीपी प्रमुख शरद पवार (Sharad Pawar) ने अपने हाथों में ले रखा है और ऐसा वो एक वीडियो के हवाले से कह रही है. सोमवार को राज्य के सरकारी गेस्ट हाउस सहयाद्री में पवार ने एक बैठक बुलाई. इस बैठक में राज्य के परिवहन मंत्री अनिल परब (Anil Parab) और तमाम सरकारी अफसर मौजूद थे. बैठक का एजेंडा था महाराष्ट्र में बीते कई महीनों से चल रही राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों की हड़ताल. जिसकी वजह राज्य में सरकारी बसों का चलना ठप पडा है. सरकार के साथ हड़ताली कर्मचारियों की कई बैठकें बेनतीजा रहीं. शरद पवार ने इसमें मध्यस्थता करना तय किया और कर्मचारी यूनियन के साथ बैठक बुला ली. अब उसी बैठक के वीडियो पर बीजेपी ने बवाल खड़ा कर दिया है.

शरद पवार की बैठक पर बीजेपी ने उठाए सवाल
 
बीजेपी प्रवक्ता राम कदम  (Ram Kadam) ने शरद पवार की ओर से बैठक लिये जाने पर सवाल उठाये और पूछा कि ये बैठक संविधान के किस प्रावधान के तहत ली गयी. कदम के मुताबिक इस तरह की बैठक असंवैधानिक है. मंत्रियों और अधिकारियों को बुलाकर बैठक करने का अधिकार मुख्यमंत्री को है. पवार की राज्य सरकार में कोई आधिकारिक हैसीयत नहीं है. वे राज्य सभा के सांसद हैं. वैसे जब से ठाकरे अस्पताल से डिस्चार्ज हुए है, तब से बार बार बीजेपी की ओर से कहा जा रहा है कि वे सत्ता का चार्ज किसी और को दे दें. बीजेपी अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उद्धव की पत्नी रश्मी ठाकरे या बेटे आदित्य को सीएम का चार्ज दे दिया जाना चाहिये तो वहीं बीजेपी सांसद रावसाहेब दानवे ने सलाह दी कि शिव सेना के दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया जाना चाहिये.

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क्या महाराष्ट्र में रिमोट कंट्रोल शरद पवार के पास?

वैसे 2019 में जबसे महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी की सरकार बनी है तबसे सियासी गलियारों में यही कहा जाता है कि सत्ता का रिमोट कंट्रोल शरद पवार (Sharad Pawar) के हाथ में है. पवार चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और उन्हें सरकार चलाने का लंबा अनुभव है. वे आये दिन सरकार में शामिल एनसीपी के मंत्रियों की बैठक लेकर उनके काम की समीक्षा करते रहते हैं. माना जाता है कि कई बडे मुद्दों पर अंतिम फैसला पवार लेते हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के बाद मौजूदा महाविकास अघाड़ी सरकार बनाने में पवार ने अहम भूमिका निभाई थी. 

क्या सीएम बदलने के हैं संकेत?

वे चुनाव से पहले शिव सेना-बीजेपी में चल रही तनातनी पर बारीक नजर गड़ाए हुए थे. जब मुख्यमंत्री पद को लेकर उद्धव ठाकरे बीजेपी से अड़ गये तो शरद पवार ने पेशकश की कि अगर ठाकरे उनके साथ सरकार बनाते हैं तो मुख्यमंत्री पद शिव सेना को मिल जायेगा. कांग्रेस को सरकार में शामिल करने के लिये वे सोनिया गांधी को मना लेंगे. बहरहाल, उद्धव ठाकरे भले ही घर से न निकलते हों लेकिन वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये वे कैबिनेट की बैठक, कोविड से जुड़ी बैठक और दूसरे कार्यक्रमों में शरीक होते हैं. मुख्यमंत्री बदले जाने को लेकर शिव सेना की ओर से फिलहाल कोई संकेत नहीं दिये गये हैं.

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