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स्वास्थ्यकर्मियों के चलते साल में लगे 157 करोड़ टीके, जानिए क्या-क्या मुसीबतें झेलनी पड़ी

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Covid Vaccination: देश में बढ़ते कोविड मामलों के बीच स्वास्थ्य विभाग और सरकार को सिर्फ कोविड से ही नहीं जूझना पड़ रहा है. दरअसल वह कोविड टीकाकरण नहीं कराने वाले लोगों से भी परेशान हैं. दरअसल मध्य प्रदेश के मनगारी गांव की तस्वीरें स्वास्थ्य कर्मियों की मुश्किलों के बारे में बात कर रही है. पूरे साल में ऐसे मामले सामने आए हैं जहां पर टीकाकरण करने गई स्वास्थ्य टीम को परेशानी का सामना करना पड़ा है.

एमपी के छतरपुर जिले के मनगारी गांव में बीते दिनों ही 18 साल की रीना पेड़ पर चढ़ गई. पेड़ के नीचे खड़ी स्वास्थ्य कर्मियों की टीम उसे समझाने में लगी रही कि वह वैक्सीन लगवा ले पर रीना वैक्सीन के डर से पेड़ से नीचे उतरने को तैयार नहीं थी. यही हाल भारत के कई दूरदराज इलाकों में है. कोविड की वैक्सीन को लेकर के लोगों में भ्रम की स्थिति है. वह सब वैक्सीन को लेकर को अलग-अलग शंकाओं से घिरे हैं और इसी वजह से वह कोविड वैक्सीन लगाने से इनकार कर रहे हैं.

वैक्सीन लगाने गई स्वास्थ्य टीम पर ही हुआ हमला

वहीं देश के कई इलाकों में कुछ हिस्सों में टीकाकरण कर रही स्वास्थ्यकर्मियों पर उनकी टीम ने हमला भी कर दिया. ऐसे कितने ही दिन आए जब पूरी वैक्सीनेशन टीम गांव में बैठी रह गई और सिर्फ गिने-चुने लोग ही टीका लगवाने पहुंचे. वहीं मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने नदियों के उफान के बीच, डगमगाते लकड़ी के पुलों पर अपनी जान को खतरे में डालकर अपने मकसद को पूरा किया. 

कई मुश्किलों से जूझते हुए पूरा हुआ टीकारण अभियान
 
इसी तरह कई मुश्किलों को लांघते हुए पहाड़ी इलाके में बसे झिरपानी गांव में लोगों को वैक्सीन लगाने स्वास्थ्यकर्मी उनके घर पहुंचे. 2 स्वास्थ्यकर्मी और एक आशा वर्कस हाथ में वैक्सीन का बक्सा लिए पहाड़ी इलाकों में चलते नजर आ रहे हैं. इसी जज्बे को खुद स्वास्थ्यमंत्री ने सलाम किया.

स्वास्थ्य मंत्री ने ट्विटर पर लिखा कि नदी, रेगिस्तान हो या बर्फ का तूफान, हमारी हेल्थ आर्मी सदैव तत्पर है. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में 15 से 18 आयु वर्ग के बच्चों का वैक्सीनेशन करने जाते हुए स्वास्थ्य कर्मी. इसी तरह अरुणचाल प्रदेश में भी स्वास्थ्यकर्मी कुछ इसी तरह की परिस्थितियों से दो-चार होते हुए नागरिकों के टीकाकरण अभियान में लगे रहे.



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