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मणिपुर में BJP-कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर, छाये रहेंगे बेरोजगारी और विकास के मुद्दे

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Manipur Elections 2022: मणिपुर में आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले गठबंधन से सत्ता वापस लेने की पुरजोर कोशिश में लगी है. हाल में उग्रवादी हमलों के बाद होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में बेरोजगारी और विकास के मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित रहेगा. बीजेपी जो दो स्थानीय दलों एनपीपी और एनपीएफ के साथ हाथ मिलाकर सिर्फ 21 सीटों के बावजूद 2017 में सरकार बनाने में कामयाब रही थी. कांग्रेस को 28 सीटें मिली थीं.

लंबे समय से AFSPA को रद्द करने की मांग जारी

कानून और व्यवस्था के अलावा, सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम को रद्द करने की लंबे समय से जारी मांग, राज्य में आर्थिक संकट, जिसमें शायद ही कोई उद्योग है, दोनों मुख्य दलों के बीच चुनावी मुकाबले के एजेंडे में शीर्ष पर रहने की उम्मीद है. नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) जैसे छोटे स्थानीय दल अपनी-अपनी मांगों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं.

हमारा लक्ष्य 40 से ज्यादा सीटें जीतना- BJP

बीजेपी का कहना है कि वह आगामी चुनावों में दो-तिहाई सीटें जीतना चाहती है. राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के लिए दो चरणों में 27 फरवरी और तीन मार्च को चुनाव होगा. बीजेपी की मणिपुर इकाई के उपाध्यक्ष सी. चिदानंद ने बताया कि उनकी पार्टी का उद्देश्य ‘‘60 सदस्यीय सदन में 40 से ज्यादा सीटें जीतना है.’’

गठबंधन के भीतर दरार का संकेत देते हुए, चिदानंद ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया ‘‘राज्य के पर्वतीय क्षेत्र (नगा जनजातियों के प्रभुत्व) में, मुख्य मुकाबला बीजेपी और नगा पीपुल्स फ्रंट (बीजेपी के वर्तमान गठबंधन सहयोगी) के बीच होगा.’’

विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी के भीतर मतभेद और एनपीपी और एनपीएफ सहयोगियों के बीच हिंदुत्व कार्ड को लेकर नाखुशी ने गठबंधन सहयोगियों के बीच दूरियां पैदा कर दी हैं और इससे बीजेपी के चुनाव की संभावना प्रभावित हो सकती है. हालांकि, मणिपुर के लेखक और संपादक और पूर्वोत्तर के विशेषज्ञ प्रदीप फांजौबम ने कहा, ‘‘हालांकि चुनाव पूर्व गठबंधन नहीं हैं लेकिन सरकार बनाने के लिए आवश्यक होने पर चुनाव के बाद गठबंधन हो सकते हैं.’’

विधायकों के पार्टी छोड़ने से जूझ रही है कांग्रेस

कांग्रेस भी हाल के महीनों में अपने कई विधायकों के सत्तारूढ़ बीजेपी में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ने जैसी समस्याओं से घिरी हुई है. कांग्रेस की राज्य इकाई के पूर्व अध्यक्ष गोविंददास कोंथौजम सहित कांग्रेस के पांच विधायक पिछले साल अगस्त में बीजेपी में शामिल हुए थे.

हालांकि, मणिपुर प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एमपीसीसी) के अध्यक्ष एन. लोकेन सिंह को भरोसा है कि कांग्रेस वापसी करेगी. उन्होंने ‘‘भ्रष्टाचार और वित्तीय घोटाले’’ के लिए मणिपुर में बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार की आलोचना की. सिंह ने कहा, ‘‘आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं, इसलिए राज्य के लोग केंद्र में और साथ ही साथ मणिपुर में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकारों से तंग आ चुके हैं.’’

उन्होंने दावा किया कि लोगों का मूड बदल रहा है क्योंकि ‘‘बेरोजगार युवाओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है … गरीब लोगों के रहने की स्थिति खराब हो रही है. जबकि बीजेपी के नेता अमीरों को बैंक, हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन आदि बेच रहे हैं.’’ पिछली जनगणना के अनुसार मणिपुर की साक्षरता दर लगभग 80 प्रतिशत थी, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है और पुरुष साक्षरता 86.49 प्रतिशत है. मणिपुर के आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 के अनुसार 15-24 आयु वर्ग में युवा बेरोजगारी 44.4 प्रतिशत है.

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