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धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत की BJP से कैसे हो गई विदाई, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

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Harak Singh Rawat Expelled From BJP Inside Story: उत्तराखंड बीजेपी के बड़े नेता हरक सिंह रावत को पार्टी ने प्राथमिक सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है. वे कोटद्वार विधानसभा से विधायक हैं. हरक सिंह इस बार कोटद्वार विधानसभा सीट को बदलने को लेकर पार्टी पर दबाव बना रहे थे. इसके पीछे की वजह दरअसल कुछ और थी. कोटद्वार से कांग्रेस के नेता सुरेंद्र सिंह नेगी चुनाव लड़ते आए हैं. सुरेंद्र सिंह नेगी की इस क्षेत्र में अच्छी पकड़ भी है. साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में सुरेंद्र सिंह नेगी ने उस समय के भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार भुवन चंद खंडूरी को हराया था. 

भाजपा ने 2012 का विधानसभा चुनाव खंडूरी के नाम पर ही लड़ा था और “खंडूरी है जरूरी” का नारा भी दिया था. खंडूरी को हराने के बाद सुरेंद्र सिंह नेगी कांग्रेस की विजय बहुगुणा सरकार में मंत्री भी बनाए गए, लेकिन साल 2017 में मोदी लहर में कोटद्वार से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी को हरक सिंह रावत ने हरा दिया था. लेकिन साल 2022 में समीकरण बदल चुके हैं जानकारों का मानना है कहीं ना कहीं हरक सिंह रावत को कोटद्वार सीट से खतरा नजर आ रहा था. हरक सिंह रावत के कोटद्वार सीट बदलने की एक अहम वजह यह भी मानी जाती है.

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सूत्र बताते हैं हरक सिंह रावत केदारनाथ से टिकट मांग रहे थे. केदारनाथ सीट से भी हरक सिंह रावत का विरोध भाजपा में हो रहा था. एक वक्त में हरक सिंह रावत की करीबी रहीं शैला रानी रावत जो साल 2012 में कांग्रेस से केदारनाथ की विधायक थी बाद में हरक सिंह रावत के साथ ही भाजपा में आ गई थी और केदारनाथ की पूर्व विधायक आशा नौटियाल ये दोनों खुद केदारनाथ में हरक सिंह रावत को बाहरी बता कर उनका विरोध कर रही थी. पार्टी के ऊपर इसको लेकर भी दबाव था. सूत्र यह भी बताते हैं कि इतने सबके बावजूद भी हरक सिंह रावत को भाजपा केदारनाथ से चुनाव लड़ने को तैयार थी.

लेकिन हरक सिंह रावत अपनी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं के लिए लैंसडाउन विधानसभा से टिकट दिलवाने के लिए दबाव बना रहे थे. इसका विरोध लैंसडाउन से भाजपा के विधायक दिलीप रावत काफी जोर-शोर से कर रहे थे. दिलीप रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को वन विभाग में हो रहे घोटाले को लेकर बाकायदा चिट्ठी लिखी थी. वन मंत्रालय खुद हरक सिंह रावत के पास है. 

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एबीपी न्यूज़ से बातचीत में लैंसडाउन से भाजपा विधायक दिलीप सिंह रावत ने कहा कि हरक सिंह रावत उन्हें कोटद्वार सीट से चुनाव लड़ने के लिए कह रहे थे जिसको मानने के लिए दिलीप सिंह रावत तैयार नहीं थे. भाजपा के सामने असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. अपनी पुत्रवधू अनुकृति गुसाईं को टिकट दिलवाने के लिए हरक सिंह रावत और गए थे अलग-अलग तरह से पार्टी पर दबाव भी बना रहे थे.

हरक सिंह रावत के कांग्रेस में जाने के कयासों को बल तब मिला जब हरक सिंह रावत के करीबी मानी जाने वाली सोनिया आनंद रावत कांग्रेस में शामिल हो गई. सोनिया अमरावत हरक सिंह की करीबी मानी जाती हैं जब वह कांग्रेस में शामिल हुई तभी से लोग अनुमान लगाने लग गए थे कि हरक सिंह रावत भी जल्द ही कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. 

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