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नईदिल्ली, राष्ट्रीय राजधानी देश का कोरोना कैपिटल बनने की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है. दिल्ली में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने इस तरह की टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने प्राइवेट हॉ़स्पिटल (जहां लैब्स मौजूद हैं) को निर्देश दिया है कि वहां टेस्ट की सुविधा दी जाए. इसके लिए आईसीएमआर से जरूरी मंजूरी भी ली जाए. न्यायाधीश हिमा कोहली और सुब्रमण्यम प्रसाद का मानना है कि बिना समय का नुकसान किए जरूरत है कि जिन प्राइवेट ह़ॉस्पिटल में लैब्स हैं, वहां कोरोना वायरस संक्रमण का टेस्ट कराने की मंजूरी दी जाए.
आधिकारिक जानकारी के अनुसार, अब तक दिल्ली में 32 हजार से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मिले हैं, जबकि 984 लोगों की संक्रमण की चपेट में आकर मौत हो गई है. फिलहाल राजधानी में 19 हजार से भी ज्यादा एक्टिव केसेज है.
बेंच ने इस तरह की टिप्पणी इसलिए की क्योंकि इस मामले में याचिका दाखिल करने वाले ने कोर्ट में बताया था कि कई प्राइवेट हॉस्पिटल (जिसमें सर गंगा राम हॉस्पिटल भी शामिल है) को कोरोना टेस्ट करने से रोका जा रहा है.
इस दौरान दिल्ली सरकार का पक्ष रख रहे अतिरिक्त स्थायी परामर्शदाता सत्यकाम ने इसका विरोध किया. साथ ही कहा कि 17 पब्लिक सेक्टर लैब्स के अलावा 23 प्राइवेट लैब्स को कोरोना का टेस्ट करने की अनुमति दी गई है.
हाईकोर्ट की इस बेंच ने उसके बाद 23 प्राइवेट लैब्स को नोटिस जारी किया है. जिसकी जानकारी दिल्ली सरकार ने अपने हलफनामे में दी थी. साथ ही इसका जवाब देने को कहा है, जिसमें उन्हें बतााना होगा कि क्या उन्हें कोविड-19 टेस्ट कराने की अनुमति मिली है और किस तकनीक से वो इस टेस्ट को करा रहे हैं. बेंच ने ये भी कहा है कि वे अगर किसी तरह की आधिकारिक लाल फीताशाही से समस्या आ रही हो तो बता सकते हैं.
इस आदेश में इस बात को भी ध्यान रखा गया है कि वैसे मरीज जो प्राइवेट हॉस्पिटल में किसी और भी बीमारी या सर्जरी के लिए जा रहे हैं. उन्हें भी हॉस्पिटल में भर्ती करने से पहले कोरोना टेस्ट कराने को कहा जा रहा है. जिसके लिए उन्हें कही और जाना पड़ रहा है.
हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि सभी प्राइवेट हॉस्पिटल जिन्हें कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए 20 प्रतिशत बेड रिजर्व करने को बोला गया है. वे अपने लैब्स को पूरी तरह कोरोना टेस्ट कराने के लिए तैयार रखें. साथ ही इससे संबंधित अनुमति आईसीएमआर से भी ले लें.