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तीसरी लहर में कम लोगों को पड़ी अस्पताल जाने की जरूरत, क्या बड़ी वजह है वैक्सीनेशन?

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Covid-19 In India: दिल्ली से लेकर मुंबई तक और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक शहर-शहर के आकंड़े अलग-अलग तस्वीर पेश कर रहे हैं. दिल्ली मुंबई में केस घट रहे हैं तो देश के अलग-अलग हिस्सों में केस बढ़ रहे हैं. देश के 6 राज्यों में मौजूद अस्पतालों के नेटवर्क वाले मैक्स हेल्थ केयर आंकड़ों के आधार पर दावा कर रहा है कि इस बार संक्रमण हल्का है.

मैक्स हॉस्पिटल के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ संदीप बुद्धिराजा कहते हैं कि पहली लहर मार्च 2020 से जनवरी 2021 तक रही जो कि 10 महीने की थी जिसमें हमारे पूरे मैक्स हॉस्पिटल के नेटवर्क में 21 हज़ार एडमिशन किए गए थे. दूसरी वेव जो की बहुत छोटी थी 3 महीने रही मार्च से लेकर जून 2021 तक उस दौरान 12 हजार एडमिशन हुए थे. 

तीसरी लहर में कम लोगों को पड़ी है हॉस्पिटलाइजेशन की जरूरत

अभी जो तीसरी लहर शुरू हुई है जो कि पिछले साल 15 दिसंबर से शुरू हुई थी और अभी हम उसके 5 वें हफ्ते में है तो इन 5 हफ्तों में हमारे मैक्स हेल्थ केयर में करीब 1400 से एडमिशन हुए हैं तो इससे यह तो बहुत साफ हो रहा है वह मरीज जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है वह बहुत कम है. सिर्फ इतना ही नहीं दोनों लहर की पीक की तुलना करें तो समझ आता है कि इस बार अस्पतालों में दाखिल होने की जरूरत कम पड़ी है. 

दूसरी लहर के दौरान दिल्ली की अगर बात करें तो 1 दिन में 27000 के करीब केस आए थे इस बार 28 हजार के करीब है 1 दिन में केस आये तो तब 27 हजार केस जब आए थे तो सारे अस्पतालों में बेड फुल थे आज की तारीख में जिस दिन 28,000 केस आ रहे हैं हमारे 50 फ़ीसदी बेड खाली हैं यह बताने के लिए काफी है कि यह इस बार संक्रमण काफी माइल्ड है और लोग घर पर ही ठीक हो रहे हैं.

60 फीसदी मरीज अनवैक्सीनेटेड लोग

कोरोना की तीसरी लहर उन लोगों पर कहर ढा रही है जिन्होंने या तो वैक्सीन नहीं ली या ऐसे बुजुर्ग जिन्हें दूसरी बीमारियां हैं. अब मौतें हो रही हैं तो अगर हम दूसरी लहर से मोर्टालिटी रेट की तुलना करें तो वह 10 परसेंट था वो अब 6 फ़ीसदी है. जो लोग मर रहे हैं. गौरतलब है कि 60 फ़ीसदी मरीज जिनकी मौत हुई है वो अनवैक्सीनेटेड थे उन्होंने कोविड वैक्सीन समय पर नहीं ली थी.

दावा है कि दिल्ली, मुंबई कोरोना की पीक से गुजर चुका है ऐसे में केसों में कमी आनी तय है. दावा है कि पिछली लहर में 70 से 80 फीसदी मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही थी जबकि इस बार ये दर 20 से 25 फीसदी है. इसकी एक वजह वैक्सीनेशन है. वहीं डॉक्टर्स की सलाह है कि वैक्सीन जरूरी है और उसके साथ सावधानी भी.

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