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बचपन में सुनी कहानियों ने बना दिया था विक्रम बत्रा को बहादुर, युद्ध को क्रिकेट की तरह देखते थे

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Indian Republic Day 2022: आज 26 जनवरी है, पूरा देश गणतंत्र दिवस (Republic Day) मना रहा है. लोग आज देशभक्ति में डूबे हुए हैं और देश के लिए शहीद (Martyr) होने वाले बहादुर सैनिकों को भी श्रद्धांजलि दे रहे हैं, उनकी वीरता को याद कर रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसे ही बहादुर योद्धा से जुड़ीं कुछ अनसुनी कहानी बताएंगे. ये वीर हैं कारगिल युद्ध (Kargil War) में शहीद हुए परमवीर चक्र विजेता विक्रम बत्रा (Vikram Batra).

क्रिकेट से था बहुत प्यार

शहीद विक्रम बत्रा (Martyr Vikram Batra) की मां कमल कांत बत्रा (Kamal kant Batra) के मुताबिक, जब कारगिल युद्ध चल रहा था, तो एक दिन विक्रम ने बेसकैंप से उन्हें सैटेलाइट फोन किया. उन्होंने विक्रम से वहां का हाल पूछा, तो उसने कहा कि ‘मम्मी, यहां तो बड़ा मजा आ रहा है. ऐसा लगता है मानो जैसे क्रिकेट (Cricket) का मैच खेल रहा हूं’.

बचपन में पापा से सुनीं कहानियों ने बनाया बहादुर  

कमल कांत बत्रा बताती हैं कि बचपन में विक्रम अपने भाई के साथ रात को पिता गिरधारी लाल बत्रा (Vikram Batra Father Girdhari Lal Batra) से फुरसत में कहानियों की फरमाइश करते थे. उनके पिता उन्हें भगत सिंह (Bhagat Singh), चंद्रशेखर आजाद (Chandra Shekhar Azad), सुभाषचंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) और गुरु गोविंद सिंह जैसे वीरों की कहानियां सुनाते थे. तभी से विक्रम के दिल में देशभक्ति जागी और वह बहादुर भी बना. वह पढ़ने में भी काफी तेज था. मैथ्स के सवाल फौरन हल कर देता था.

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‘आज भी मनाती हूं जन्मदिन’

विक्रम की मां बताती हैं कि पिछले साल आई फिल्म ‘शेरशाह’ (Shershah) को देखकर उसकी बहुत याद आई थी. उसका भाई विशाल और उसकी दोनों बहनें अब भी भाईदूज के दिन उसे याद करके तड़प उठती हैं. अगर घर में शादियां होती हैं, तो उसे याद करके सब भावुक हो जाते हैं. उसकी याद में घर में ही हम लोगों ने एक म्यूजियम बनाया है. हर साल 26 जुलाई को विक्रम के जन्मदिन पर वहां ज्योत जलाते हैं. हम लोग इस मौके पर उसकी पसंद का खाना हलवा-पूरी, कढ़ी-चावल, राजमा-चावल बनाते हैं और फोटो के सामने रख देते हैं. इसके बाद इन खानों को जरूरतमंदों में बांटती हैं.

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छुट्टियों पर मांगता था राजमा-चावल

कमल कांत बताती हैं कि विक्रम जब भी छुट्टियों पर घर आता था तो उनसे राजमा-चावल और कढ़ी-चावल की फरमाइश करता था. जब तक वह घर में रहता था, तब तक यही चीजें बनती थीं. जाते वक्त वह घर से आम के आचार, पापड़ और घर में बने आलू चिप्स ले जाता था. उसे चिकन भी बहुत पसंद था.

इसलिए विक्रम का नाम रखा था लव

कमल कांत बत्रा बताती हैं कि उन्हें बचपन से ही रामचरितमानस का पाठ करना अच्छा लगता है. दो बेटियों के बाद जब दो जुड़वां बेटों विक्रम और विशाल का जन्म हुआ तो लगा कि प्रभु राम ने उनके घर लव-कुश को भेजा है. इसी वजह से उन्होंने विक्रम का नाम लव तो विशाल का नाम कुश रखा था.

सुबह से ही होने लगी थी बेचैनी

कमला कांत ने बताया कि जिस दिन विक्रम के शहीद होने की खबर मिली, उस दिन सुबह से ही उन्हें अजीब सी बेचैनी हो रही थी. दोपहर के वक्त मैं स्कूल में फूट-फूटकर रोने लगी थी. मेरे साथी टीचर्स ने मेरे पास आए थे और कहा था कि आपके बेटे को कुछ नहीं होगा. मैं कुछ देर बाद जब घर पहुंची, तो सेना के दो ऑफिसर्स वहां पहुंचे हुए थे. उन्होंने विक्रम के शहीद होने की जानकारी दी. वह कहती हैं कि कारगिल युद्ध से पहले विक्रम होली में घर आया था. तब हम में से किसी को पता नहीं था कि उसके साथ यह आखिरी होली होगी.

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