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Maharashtra News: SC ने महाराष्ट्र में बीजेपी के 12 विधायकों के निलंबन को बताया असंवैधानिक

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Maharashtra Legislative Assembly: महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित बीजेपी के 12 विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत देते हुए महाराष्ट्र सरकार को करारा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 12 बीजेपी विधायकों के निलंबन को असंवैधानिक और तर्कहीन बताते हुए रद्द कर दिया. साल 2021 में मानसून सत्र के दौरान ओबीसी आरक्षण के समर्थन में विधानसभा अध्यक्ष के दफ़्तर में हंगामा करने के आरोप में 12 BJP विधायकों एक वर्ष के लिए निलंबित कर दिया गया था.

महाराष्ट्र विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान ओबीसी आरक्षण के समर्थन में विधानसभा अध्यक्ष के दफ़्तर में हंगामा करने के आरोप में 12 BJP विधायकों के निलंबन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विधायकों का निलंबन सिर्फ उसी सत्र के लिए हो सकता है, जिसमें हंगामा हुआ था. ये फैसला लोकतंत्र के लिए खतरा ही नहीं बल्कि तर्कहीन भी है. एक साल का निलंबन निष्कासन से भी बदतर है. क्योंकि, इस दौरान निर्वाचन क्षेत्र का कोई प्रतिनिधित्व नहीं हुआ. यदि निष्कासन होता है तो उक्त रिक्ति भरने के लिए एक तंत्र है. एक साल के लिए निलंबन, निर्वाचन क्षेत्र के लिए सजा के समान होगा. जब विधायक वहां नहीं हैं, तो कोई भी इन निर्वाचन क्षेत्रों का सदन में प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है, निलंबन सदस्य को दंडित नहीं कर रहा है बल्कि पूरे विधानसभा क्षेत्र को दंडित कर रहा है.

जिन 12 विधायकों को निलंबित किया गया है उनमें आशीष शेलार, संजय कुटे, योगेश सागर, अतुल भातरखलकर, गिरीज महाजन, हरीश पिंपले, अभिमन्यु पवार, बंटी बांगडीया और नारायण कुचे शामिल है. 12 BJP विधायकों के निलबन पर सुप्रीम कोर्ट के ऑपरेटिव पार्ट पर आशीष शेलार सहित बीजेपी नेताओं का कहना है कि, सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत है. निलंबित विधायक संतुष्ट है और हमारे ऊपर किया अन्याय अब जनता के सामने है. कोर्ट में निलंबन को तर्कहीन, असंवैधानिक फैसला बताया है. सरकार को तमाचा पड़ा है. सरकार घमंड में है. सरकार हर जगह विफल है.

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महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री नवाब मालिक, जयंत पाटील, छगन भुजबल का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की कॉपी मिलने पर अध्ययन करेंगे और निर्णय लेंगे. यह कार्यवाई महाराष्ट्र सरकार की नहीं, विधानसभा अध्यक्ष ने की है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि, सभागृह का अपमान हुआ इस पर विधानसभा अध्यक्ष को कार्यवाई का अधिकार है. अब महाराष्ट्र विकास आघाड़ी की सरकार मांग कर रही है कि जिस तरह सुप्रीम कोर्ट ने BJP के 12 विधायकों के निलबन पर फैसला दिया उसी तर्ज पर सरकार द्वारा 12 मनोनीत विधायकों को मान्यता देने पर राज्यपाल निर्णय दें.

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