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भोपाल में नौकरी की मांग को लेकर चयनित शिक्षक पीएम को खून से लिख रहे हैं खत, जानें पूरा मामला

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मध्य प्रदेश (Madhya pradesh) में इन दिनों हजारों चयनित शिक्षक (Teachers) नौकरी (Job) की मांग करते हुए सडकों पर हैं. आंदोलनकारी चयनित शिक्षक अब रोजना अपने खून (Blood) से प्रधानमंत्री (Prime minister) को पत्र लिख कर नौकरी की मांग कर रहे हैं. दरअसल, एमपी में पांच साल पहले शिक्षकों की भर्ती (Teachers Recruitment) निकाली गयी थी. उनमें से पंद्रह हजार लोगों को नौकरी दे दी गई बाकी की प्रतीक्षा सूची वाले भी नौकरी मांग रहे हैं क्योंकि आठ हजार से ज्यादा पद अब भी खाली है. ऐसे में कई लोगों को काफी दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है.

भोपाज की काजी कैंप में रहने वाली यासमीन बानो बताती हैं कि उन्होंने 2019 में मध्य प्रदेश सरकार की शिक्षक भर्ती परीक्षा भी पास की है मगर इस सबके बाद भी वो सडकों पर ही भटक रही हैं. वजह है सरकार की भर्ती की गलत नीति. यासमीन तलाकशुदा हैं और अपनी बच्ची के साथ अपने भाई के पास गुजर-बसर कर रही हैं. यासमीन अंग्रेजी और उर्दू में एमए के साथ ही बीएड भी कर चुकी हैं.

यासमीन ने कुछ ही दिनों पहले अपने खून से प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर चयन होने के बाद नौकरी का इंतजार कर रहे शिक्षकों को भर्ती करने की अपील की. ऐसा करने वाली वो अकेली नहीं है आठ हजार से ज्यादा शिक्षक ऐसे हैं जो ऐस कर रहे हैं.

मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने 2018 में तीस हजार शिक्षकों की भर्ती निकाली जिसमें लाखों युवाओं ने आवेदन किया. अगले साल फरवरी 2019 में परीक्षा हुई और 28 अगस्त को परिणाम आया. इसके बाद कोरोना के मामलों ने तेजी पकड़ ली और इसी बीच शिवराज सरकार आ गई और नई भर्तियों पर अघोषित रोक लगा दी.

कई आंदोलनों के बाद 2020 के अकटूबर में शिक्षा विभाग ने बारह हजार और आदिम जाति विभाग ने चार हजार लोगों को नियुक्ति दी. जबकि शिक्षा विभाग में बीस हजार और आदिम जाति में दस हजार पद भरे जाने थे. नये लोगों की नियुक्तियों के बाद भी आठ हजार से ज्यादा पद खाली हैं और इतने ही चयनित शिक्षक वेटिंग में अपनी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं और राज्य सरकार के रवैये से निराश होकर मोदी जी को खून से पत्र लिख रहे है.

इस बीच सरकार बेरोजगारी दूर करने के नए-नए दावे कर रही हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान भोपाल के मिंटो हाल में हर महीने रोजगार दिवस मनाने की बात कर रहे हैं जिसमें पिछले महीने उन्हांने पांच लाख लोगों को रोजगार देने का दावा किया. ऐसे में यासमीन और उस जैसी चार हजार से ज्यादा महिला चयनित शिक्षकों को राज्य सरकार से अब उम्मीद रह नहीं गयी है. वो दुखी हैं और बात करने पर आंखों में नमी आ जाती हैं. उनके सपने पांच साल के लंबे इंतजार में टूट गये हैं.

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