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यूपी के देवबंद सीट पर मुस्लिम महिलाओं के वोटों की संख्या तय कर सकती है जीत-हार

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UP Election 2022: 21वीं सदी के भारत मे महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए तेजी से कई सारे कदम उठाये गए हैं, इसमे चाहे महिला सुरक्षा की बात हो, महिलाओं को आरक्षण देना ,  महिलाओं के अधिकार, सेना में महिलाओं की भागीदारी, राजनीतिक में उनके लिए सुरक्षित स्थान जैसे मामलों में न्यायालय से लेकर केंद्र व राज्य सरकारों ने कई अहम फैसले किए हैं. महिलाएं अपने से जुड़े राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को लेकर क्या सोचती है यह जानना बेहद अहम हो जाता है खास कर के मुस्लिम महिलाएं , क्योंकि अमुमन समाज मे यह देखा गया है मुस्लिम महिलाओं को  लेकर एक अलग तरह की धारणा है की यह महिलाएं चार दिवारी तक मेहदूद है. 

यूपी के सहारनपुर जिले का देवबंद इस्लामिक शिक्षा के संस्थान दारुल उलूम की वजह से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है, देवबंद सीट पर  मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. वहीं यहां आमलोगों से बात करने पहुंची ABP की टीम से देवबंद की महिलाओं ने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बात की. मुस्लिम महिलाओ ने गलत धारणाओं को खत्म करने के साथ ही सक्षम होते हुए खुद को देश के भविष्य बताया.

देवबंद पूरे देश में इस्लामिक शिक्षा का केंद्र है, और यहां से कभी मुस्लिम महिलाओं की बात सामने नहीं आए ये इसलिए भी जरूरी हो जाता है कि हम जाने की सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाली जगह में महिलाओ की क्या मांग है. टीम देवबंद में ऐसी मुस्लिम महिलाओं से मिली जिन्होंने बेबाकी से जवाब देते हुए पूरे देश के हाल, महिलाओं की भागीदारी और महिलाओं को लेकर गलत धारणाओं को अपने जवाब से ही चित कर दिया. सबसे पहले हम अबशार नईम से मिले, अबशार ने बताया कि वो B.A.एलएलबी ऑनर्स की हुई हैं और ज्यूडिशल सर्विसेज में जाना चाहती है और संविधान और कानून की अच्छी समझ रखती है. वह देश मे अपना रिप्रेजेंटेशन चाहती है. अबशार को पढ़ाई का बहुत शौक है और घर में लगातार कुछ वक्त से जुडिशल सर्विस की तैयारी कर रही है साथ ही साथ समाज के लिए कुछ करना भी चाहती हैं. वह मानती है कि मुस्लिम महिलाओं को एजुकेशन लेनी चाहिए तभी वह अपनी आवाज समाज में बेहतर तरीके से उठा सकेंगी.

रिप्रेजेंटेशन एक बड़ी चीज़ है

उन्होंने कहा कि रिप्रेजेंटेशन एक बड़ी चीज़ है. कुछ  महिलाएं पॉलिटिक्स में चाहती है. मुस्लिम महिलाएं घर से निकलेगी एजुकेशन लेंगी तभी उनकी बात भी सुनी जाएगी वह घर में बैठकर यह नहीं बोल सकती कि हमारे लिए कुछ नहीं होता.  हम निकलेंगे , बात प्रजेंट करेंगे अपनी वॉइस उठाएंगे तभी हमारे लिए डिसीजन लिए जाएंगे.

शादी की उमर 18 से 21 वर्ष कर देने पर अबशार का कहना है कि 18 से 21 साल शादी का उम्र बहुत अच्छा डिसीजन है. उन्होंने कहा कि धीरे धीरे ही सही लेकिन अब यह सोसाइटी चेंज हो रही है हम 18 साल में क्या करते हैं हमारा स्कूल खत्म होता है मेरी उम्र अभी 24 साल है मेरी 23 साल में एलएलबी कंपलीट हुई है.  इसलिए शादी की उम्र बढ़ाने का ये फैसला मुझे एकदम सही लगता है. 

महिलाएं समाज में अपनी भागीदारी चाहती हैं

अबशार और उन जैसी बहुत सारी मुस्लिम महिलाएं अपने बारे में धारणाओं को तोड़ना चाहती हैं,  समाज में अपनी भागीदारी चाहती हैं. देश के लिए कुछ करना चाहती हैं. वह चाहती है कि मुस्लिम महिलाओं को अपनी तालीम हासिल करनी चाहिए और अपने पैरो पर खड़ा होना चाहिए. अबशार मुस्लिम महिलाओं के बीच लीगल अवेयरनेस लाना चाहती हैं ताकि वह समाज के आईने को बदल सकें. ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों पर उन्हें लगता है कि धीरे धीरे समाज मे सुधार आएगा. 

अबशार ने कहा कि जब बहुत छोटी थी तो देश की राष्ट्रपति बनना चाहती थी. थोड़ी बड़ी हुई तो आर्मी ज्वाइन करना चाहती थी और जब पढ़ाई करने तो लगा के इससे बहुत जागरूकता आती है तो सबसे पहले जुडिशरी ज्वाइन करूंगी. उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं में लीगल अवेयरनेस बहुत कम है  मैं खुद थोड़ा स्टेबल होकर उनकी लीगल अवेयरनेस के लिए काम करना चाहती हूं और मौका मिलेगा तो आर्मी ज्वाइन करना चाहती हूं.

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