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जासूसी के आरोपों की जांच के लिए SC ने बना रखी है कमेटी, मामला जल्द सुनवाई के लिए लगने की उम्मीद

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Pegasus Spyware Case: न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक खबर के बाद पेगासस जासूसी मामला फिर चर्चा में आ गया है. यहां जान लेना जरूरी है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. कोर्ट ने 27 अक्टूबर को इसकी जांच के लिए 3 सदस्यीय तकनीकी कमेटी बनाई थी. कमेटी की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आर वी रवींद्रन कर रहे हैं. मामला जल्द ही सुनवाई के लिए लगने की संभावना है.

कोर्ट ने अपने फैसले में इस मामले में केंद्र सरकार के रवैये पर असंतोष जताया था. कोर्ट ने कहा था कि सरकार ने न तो आरोपों का पूरी तरह खंडन किया, न विस्तृत जवाब दाखिल किया. अगर अवैध तरीके से जासूसी हुई है तो यह निजता और अभिव्यक्ति जैसे मौलिक अधिकारों का हनन है. जब मामला लोगों के मौलिक अधिकारों से जुड़ा हो तो कोर्ट मूकदर्शक बन कर नहीं बैठा रह सकता.

चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और हिमा कोहली ने 13 सितंबर को मामले पर आदेश सुरक्षित रखा था. वरिष्ठ पत्रकार एन राम, पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, सीपीएम सांसद जॉन ब्रिटास समेत 15 याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की थी. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला बताते हुए विस्तृत जवाब दाखिल करने से मना कर दिया. सरकार ने अपनी तरफ से विशेषज्ञ कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया. लेकिन इसे कोर्ट ने ठुकरा दिया.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि देश की सुरक्षा के लिए संदिग्ध लोगों की निगरानी मान्य है. लेकिन यह निगरानी कानूनसम्मत तरीके से ही होनी चाहिए. अवैध तरीके से जासूसी गलत है. 3 जजों की बेंच ने फैसले में माना था कि सवाल सिर्फ कुछ लोगों की निजता का ही नहीं है, इस तरह की अवैध जासूसी प्रेस की स्वतंत्रता को भी प्रभावित कर सकती है. जिसका हर नागरिक पर विपरीत असर पड़ेगा.

कोर्ट ने इन 3 तकनीकी विशेषज्ञों की कमेटी बनाई थी :-

1. डॉ नवीन कुमार चौधरी (डीन, नेशनल फोरेंसिक साइंस कमेटी, गांधीनगर)
2. डॉ प्रभाकरन (प्रोफेसर, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, अमृत विश्व विद्यापीठम, केरल)
3. डॉ अश्विन अनिल गुमस्ते (एसोसिएट प्रोफेसर, IIT बॉम्बे)

इस कमेटी के कामकाज की निगरानी का ज़िम्मा रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज जस्टिस आर वी रवींद्रन को दिया गया है. पूर्व आईपीएस आलोक जोशी और तकनीकी जानकर संदीप ओबराय उनकी सहायता कर रहे हैं. तकनीकी विशेषज्ञ कमेटी को इन पहलुओं पर रिपोर्ट देनी है.

क्या भारत के नागरिकों के फोन या दूसरे डिवाइस में पेगासस स्पाईवेयर डाला गया?

कौन लोग इससे पीड़ित हुए?

2019 में व्हाट्सएप की हैकिंग की रिपोर्ट के बाद केंद्र ने क्या कदम उठाए?

क्या भारत सरकार या किसी राज्य सरकार या किसी सरकारी एजेंसी ने पेगासस स्पाईवेयर हासिल किया?

क्या किसी निजी व्यक्ति ने इसे खरीदा या इस्तेमाल किया?

कोर्ट ने यह भी कहा था कि कमेटी भविष्य के लिए सुझाव भी देगी. कमेटी के कामकाज का खर्च भारत सरकार उठाएगी. कोर्ट ने कमेटी को जल्द रिपोर्ट देने की कोशिश करने के लिए कहा था. 27 अक्टूबर को कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद करने की बात कही थी. यह अवधि पूरी हो चुकी है. इस लिहाज से मामला जल्द ही सुनवाई के लिए लग सकता है.

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