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अमृतसर के हाईप्रोफाइल मुकाबले को और रोमांचक बनाएंगी AAP की उम्मीदवार, जानिए पूरा समीकरण

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Punjab Assembly Election 2022: पंजाब की राजनीति के दो बड़े चेहरे अमृतसर की अमृतसर पूर्वी सीट पर आमने सामने हैं. ये सीट है पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू की, जहां उन्हें चुनौती देने के लिए अकाली नेता बिक्रम मजीठिया आ गए हैं. सांसद और विधायक के रूप में सिद्धू परिवार करीब 18 सालों से इस इलाके की नुमाइंदगी कर रहा है. क्या इस बार सिद्धू अपना गढ़ बचा पाएंगे? अमृतसर पूर्वी सीट पर आमने-सामने मजीठिया और सिद्धू के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है.

दो दिग्गजों के साथ मुकाबले में आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार जीवन ज्योत कौर सबको चौंकाने की तैयारी कर रही हैं. पिछले पंजाब विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर बड़े नेताओं की टक्कर देखने को मिली थी. प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ कैप्टन अमरिंदर सिंह लड़ रहे थे, सुखबीर बादल के खिलाफ भगवंत मान. हालांकि इस बार दो बड़े चेहरों की टक्कर केवल अमृतसर पूर्वी सीट पर देखने को मिलेगी. बिक्रम मजीठिया अपनी सीट मजीठा के साथ-साथ इस सीट पर सिद्धू को चुनौती देने आ गए हैं, लेकिन इस सीट पर लड़ाई केवल सिद्धू और मजीठिया के बीच ही नहीं है, मुकाबले में आम आदमी पार्टी भी है.

अमृतसर पूर्वी शहरी सीट है, लेकिन कई इलाकों में विकास बड़ा मुद्दा है. सिद्धू को लेकर लोगों की शिकायत आम है कि वो हाल जानने नहीं आते. इसके बावजूद अच्छी छवि उनकी सबसे बड़ी ताकत है. दिलचस्प बात ये है कि मुख्यमंत्री चन्नी के खिलाफ सिद्धू मोर्चा खोले रहते हैं, लेकिन उन्हीं के नाम पर दलित आबादी सिद्धू को वोट देने की बात कह रही है. अमृतसर पूर्वी सीट पर बीजेपी का प्रभाव रहा है. बहरहाल इस बार नई परिस्थितियों में सिद्धू का मुकाबला आम आदमी पार्टी से होना तय था, लेकिन अकाली दल नेता बिक्रम मजीठिया की एंट्री ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. मजीठिया विवादों में रहे हैं, लेकिन मजीठा के अलावा उनकी नई सीट अमृतसर पूर्व में भी उन्हें चाहने वाले कम नहीं हैं.

पंजाब में बह रही आम आदमी पार्टी की हवा इस सीट पर दो हाई प्रोफाइल नेताओं की लड़ाई के बावजूद साफ महसूस की जा सकती है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सियासी करियर के लिए यह विधानसभा चुनाव बेहद अहम है. उन पर पूरे प्रदेश में पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी है, लेकिन अपनी सीट पर उनका कड़ा इम्तिहान होना है. बहरहाल सिद्धू के लिए राहत की बात यह है कि उनके खिलाफ के वोट आम आदमी पार्टी और मजीठिया के बीच बंटने की संभावना है, जिससे उनकी मुश्किल थोड़ी कम हो सकती है.

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