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चुनावी माहौल और बजट सत्र के बीच आज सड़कों पर उतरेंगे किसान, 500 जिलों में करेंगे प्रदर्शन

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UP Election 2022: केंद्र पर किसानों से किए गए वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सोमवार को कृषि मुद्दों पर देश भर में ‘विश्वासघात दिवस’ मनाया जाएगा. भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने रविवार को दावा किया कि नौ दिसंबर को सरकार द्वारा किए गए वादों के एक पत्र के आधार पर दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से अधिक समय से चल रहे विरोध प्रदर्शन को वापस ले लिया गया था, लेकिन वादे अधूरे रह गए थे.

टिकैत ने एक ट्वीट में कहा कि सरकार द्वारा किसानों से वादाखिलाफी के खिलाफ 31 जनवरी को देशव्यापी ‘विश्वासघात दिवस’ मनाया जाएगा. सरकार के नौ दिसंबर के जिस पत्र के आधार पर आंदोलन स्थगित किया गया था, सरकार ने उनमें से कोई वादा पूरा नहीं किया है.

500 जिलों में किया जायेगा विरोध प्रदर्शन

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने 31 जनवरी को देश भर में ‘विश्वासघात दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की है, जिसमें जिला और ब्लॉक स्तर पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन होंगे. समन्वय समिति की बैठक के बाद किसान संगठनों के एक संघ एसकेएम ने एक बयान में कहा, “मोर्चे से जुड़े सभी किसान संघ इस विरोध को बड़े उत्साह के साथ रखेंगे. उम्मीद है कि यह कार्यक्रम देश के कम से कम 500 जिलों में आयोजित किया जाएगा.” 

बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की मुख्य मांगों को लेकर नवंबर 2020 में किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था. किसानों ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी समेत अन्य मांगों पर एक साल से अधिक समय तक सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवंबर 2021 में विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की, जिसके बाद प्रदर्शनकारियों ने दिसंबर में दिल्ली की सीमाओं को खाली कर दिया.

सरकार ने क्या वायदे किये थे? 

  • किसानों को एमएसपी दिये जाने के लिये कमेटी का गठन. 
  • आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का वादा. 
  • भारत सरकार के सभी  विभागों, एजेंसियां और संघशासित राज्यों में आंदोलनकारियों दर्ज मुकदमों को वापस लेने पर सरकार की सहमति
  • बिजली बिल पर किसान पर असर डालने वाले बिल पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) से चर्चा के बाद ही बिल संसद में पेश किया जाएगा.

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