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ईडी चार्जशीट में अनिल देशमुख ने किया खुलासा, कहा- इसलिए मुझे गृहमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा

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Anil Deshmukh: पिछले साल पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने उस समय के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर जो भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे उसके बाद देशमुख को इस्तीफ़ा देना पड़ा था. ED को दिए अपने बयान में देशमुख ने बताया कि, सिंह को कमिश्नर के पद से 17 मार्च 2021 को हटाए जाने के बाद उन्होंने मुझ पर 20 मार्च 2021 को झूठे आरोप लगाए थे. सिंह को कमिश्नर के पद से इसलिए हटाया गया क्योंकि उनके करीबी सचिन वाझे और 4 अन्य लोगों का नाम एंटीलिया कांड और मनसुख हिरन हत्या में सामने आया था.

आरोप यह था की वाझे और उसके सहकर्मियों ने मनसुख हिरन की स्कोर्पियों में जिलेटिन स्टिक्स प्लांट किया था जिस मामले में NIA ने उन्हें गिरफ़्तार किया. 5 मार्च 2021 को असेम्बली जब चल रही थी तब सिंह को ब्रीफिंग के लिए विधानसभा में बुलाया गया था, तब मैं गृहमंत्री था और जब सिंह को बुलाया गया था तब मैं, एडिशन्स चीफ़ सेक्रेटरी, मनुकुमार श्रीवास्तव, लिमाय और दूसरे बड़े अधिकारी भी मौजूद थे. उस ब्रीफिंग के दौरान सिंह एंटीलिया कांड और मनसुख हत्या के संदर्भ में जो ब्रीफिंग दे रहे थे वो गुमराह करने वाले थे.

सच को छुपाने की कोशिश कर रहे थे- देशमुख

इसके बाद इस मामले को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के साथ चर्चा करने के बाद इसकी जांच ATS को सौंपी गई. कुछ दिनों के बाद मुख्यमंत्री के आवास वर्षा बंगले पर ब्रीफिंग हो रही थी तब मैं, चीफ़ सेक्रेटरी सिताराम कुंठे और दूसरे गृहविभाग के अधिकारी मौजूद थे. उस ब्रिफिंग के दौरान भी ऐसा सामने आया की सिंह अपने उत्तर से हमें गुमराह कर रहे थे और सच को छुपाने की कोशिश कर रहे थे.

ब्रीफिंग में यह भी पता चला की कमिश्नर ऑफिस की एक इनोवा गाड़ी का इस्तेमाल भी इस क्राइम में वाझे द्वारा किया गया था. उसके कुछ दिन बाद इस मामले की जांच NIA में अपने हाथ में ली और फिर 13 मार्च 2021 को वाझे को NIA ने गिरफ़्तार कर किया.

CM से बात कर सिंह का हुआ था तबादला

उन्होंने बताया कि, इसके बाद 17 मार्च 2021 को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और मैंने गृहमंत्री के हैसियत से सिंह को कमिश्नर के पद से हटाने के निर्णय लिया और उन्हें फिर DG होम गार्ड बनाया गया. मुझे ऐसा पता चला था कि सिंह ही मास्टरमाइंड थे क्योंकि वो सच छिपा रहे थे. 20 मार्च 2021 को सिंह ने मेरे पर आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा जिस पत्र के आधार पर एडवोकेट जयश्री पाटिल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. हाईकोर्ट ने 5 अप्रैल 2021 को इस मामले को जांच करने के लिए CBI को आदेश दिया जिसके बाद मैंने मोरल ग्राउंड पर अपने पद से उसी दिन इस्तीफ़ा दे दिया था.

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