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यूपी की हॉट सीट बनी Gorakhpur, पहली बार कोई मुख्यमंत्री लड़ रहा चुनाव

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UP Assembly Elections 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में गोरखपुर शहर (Gorakhpur) सीट सबसे ‘हॉट सीट’ बन गई है. इसकी वजह ये है कि इस सीट से योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) मुख्यमंत्री रहते हुए ताल ठोंक रहे हैं. विधानसभा का यह क्षेत्र गोरखपुर की उस संसदीय सीट में आता है, जहां से योगी पांच बार लगातार सांसद रह चुके हैं. इस सीट पर कई दशकों से मंदिर का ही प्रभाव रहा है, लेकिन इतनी चर्चा में यह सीट कभी नहीं रही है. मुख्यमंत्री योगी के उम्मींदवार बनते ही यह सीट सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रही है. योगी आदित्यनाथ इससे पहले कभी भी विधानसभा का चुनाव नहीं लड़े हैं.

अब तक नहीं खुला सपा-बसपा का खाता

पहले गोरखपुर सदर नाम से वजूद में रही इस सीट पर अबतक हुए 17 चुनावों में 10 बार जनसंघ, हिंदू महासभा और बीजेपी का परचम लहरा चुका है. एक बार जनसंघ के नेता को जनता पार्टी के बैनर तले जीत मिली. अपने अभ्युदय काल और इंदिरा-सहानुभूति लहर को मिलाकर छह बार कांग्रेस को जीत मिली. फिलहाल तीन दशक से कांग्रेस को जमानत बचाने के भी लाले पड़ गए हैं. सपा-बसपा का तो अब तक खाता भी नहीं खुला.

(अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव)

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1989 से लेकर अबतक यह सीट बीजेपी के पाले में रही

साल 1998 से लेकर 2014 तक लगातार पांच बार गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए योगी आदित्यनाथ वोटों के लिहाज से गोरखपुर सदर/शहर विधानसभा क्षेत्र में अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से करीब तीन गुने ज्यादा मार्जिन से आगे रहे हैं. यही वजह है कि न सिर्फ बीजेपी बल्कि आमजन भी गोरखपुर शहर सीट पर योगी को बीजेपी उम्मीदवार बनाए जाने के बाद यहां की लड़ाई को विपक्ष के लिए रस्म अदायगी मान रहा है. साल 1967, 1974 और 1977 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर सदर की सीट पर जनसंघ का दबदबा रहा. 1977 के चुनाव में जनसंघ जनता पार्टी का हिस्सा बनकर चुनाव मैदान में था. इसके बाद 1980 और 1985 के चुनाव को छोड़ दें तो 1989 से लेकर अबतक यह सीट बीजेपी के पाले में रही.

योगी से नहीं किसी का मुकाबला!

अब जरा गोरखपुर शहर क्षेत्र में सांसद के रूप में योगी आदित्यनाथ को हासिल वोटों पर गौर करें. योगी और उनके खिलाफ लड़े अन्य दलों के प्रत्याशियों में दूर-दूर तक कोई मुकाबला ही नहीं दिखा. योगी पांच बार सांसद रहे हैं. हर बार शहर क्षेत्र से उन्हें बम्पर वोट मिले. उनके आखिरी दो चुनावों के आंकड़ों की पड़ताल करें तो 2009 के संसदीय चुनाव में उन्हें गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से कुल पड़े 122983 मतों में से 77438 वोट मिले जबकि दूसरे स्थान पर रहे बसपा के विनय शंकर तिवारी को सिर्फ 25352 वोट. उस समय यहां सपा को महज 11521 मत हासिल हुए थे. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में तो योगी को मिले वोटों का ग्राफ और बढ़ गया. 2014 के संसदीय चुनाव में गोरखपुर शहर विधानसभा क्षेत्र से कुल पोल हुए 206155 वोटों में से अकेले 133892 वोट मिले. दूसरे स्थान पर रहीं सपा की राजमती निषाद को 31055 और बसपा के रामभुआल निषाद को 20479 वोट ही हासिल हो सके.

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पिछले चुनाव में राधा मोहन दास अग्रवाल ने दर्ज की थी जीत

बीजेपी ने 2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर क्षेत्र की 62 विधानसभा सीटों में 44 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि समाजवादी पार्टी को सात, बहुजन समाज पार्टी को सात, कांग्रेस को एक और एक निर्दलीय को जीत मिली थी. इसके अलावा तब बीजेपी की साझीदार रही सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और अपना दल (सोनेलाल) को भी इस इलाके की एक-एक सीट पर जीत मिली थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में गोरखपुर शहर से बीजेपी उम्मीदवार राधा मोहन दास अग्रवाल ने 60 हजार 730 वोटों से कांग्रेस उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की थी.

(मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ)

जातीय समीकरण

गोरखपुर शहर सीट पर कुल 4 लाख 50 हजार मतदाता है. इनमें सबसे ज्यादा 95 हजार मतदाता कायस्थ जाति के हैं. इसके बाद 55 हजार ब्राह्मण, 55 हजार मुस्लिम, 25 हजार क्षत्रिय, 45 हजार वैश्य, 25 हजार निषाद, 25 हजार यादव, 20 हजार दलित और 30 हजार सैनी (माली) जाति के मतदाता हैं. बाकी वोटर अन्य जातियों के हैं.

बीजेपी योगी की छवि का सहारा

बीजेपी ने योगी आदित्यनाथ को इस क्षेत्र में उतारकर उनकी हिंदुत्व और विकास की छवि से चुनाव अपने पक्ष में करने की रणनीति बनाई है. गोरखपुर क्षेत्र में कुल दस जिले गोरखपुर, महराजगंज, देवरिया, कुशीनगर, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, आजमगढ़, बलिया और मऊ शामिल हैं. कुल 62 विधानसभा क्षेत्रों वाले इन जिलों में छठे और सातवें चरण में क्रमश: तीन मार्च और सात मार्च को वोटिंग होनी है.

बीजेपी गोरखपुर क्षेत्र के उपाध्यक्ष सत्‍येंद्र सिन्‍हा ने कहा, ‘‘योगी जी साल 2017 में सांसद रहते हुए पार्टी के स्‍टार प्रचारक थे और उनकी वजह से गोरखपुर क्षेत्र में बीजेपी को बहुत लाभ मिला और इस बार तो वह मुख्यमंत्री हैं. गोरखपुर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी हैं तो निश्चित ही दोबारा उनके नेतृत्व में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी और इस चुनाव में बीजेपी को एकतरफा लाभ मिलेगा.’’ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि गोरखपुर क्षेत्र में मजबूत विरोधी चेहरों की चुनौती की वजह से योगी को बीजेपी ने यहां से उम्मीदवार बनाया है ताकि सभी सीटों पर उनका लाभ मिल सके.

(मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ)

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योगी की जीत सुनिश्चित करेगी हिंदू युवा वाहिनी!

योगी आदित्यनाथ की ओर से साल 2002 में स्थापित हिंदू युवा वाहिनी फिर से सक्रिय हो गई है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद ये वाहिनी निष्क्रिय हो गई थी. गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ की जीत सुनिश्चित करने के लिए इसके सदस्य गहन अभियान चला रहे हैं. हिंदू युवा वाहिनी ने साल 2004, 2009 और 2014 में योगी के चुनाव अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में हिंदुत्व के संदेश का प्रचार भी किया था.

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