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मुजफ्फरनगर की जनता का क्या है मूड? जानें abp न्यूज़ के खास कार्यक्रम Operation 403 में

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UP Election 2022, Operation 403: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पहले चरण के लिए वोटिंग की तारीख करीब आ गई है. इससे पहले एबीपी न्यूज़ ने अपने खास कार्यक्रम ऑपरेशन 403 (Operation 403) में पश्चिमी यूपी की सीटों पर चुनावी मूड को समझने की कोशिश की.

एबीपी न्यूज के अंडर कवर रिपोर्टर मुजफ्फरनगर में वोटरों का मन टटोलने के लिए निकले हैं. जनता से ली गई राय बिना पक्षपात, डर या झिझक के हो, इसलिए हमने जनता से कैमरा छिपाकर सवाल किए. सबसे पहले हमने एक चाय की दुकान पर बैठे कुछ लोगों से बातचीत की. यहां बैठे लोगों से बातचीत में ये बात सामने आ रही थी कि इस सीट पर बीजेपी और एसपी-आरएलडी गठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला है. हालांकि मुद्दे को लेकर अब तक लोग खुलकर नहीं बोल रहे थे. धीरे धीरे बात आगे बढ़ी और मुद्दे की बात भी सामने आ गई. 

पहले जान लीजिए कि इस सीट का समीकरण क्या है. मुजफ्फरनगर सीट से बीजेपी के कपिल देव अग्रवाल, आरएलडी से सौरभ स्वरूप बंसल, बीएसपी से पुष्कर पाल, कांग्रेस से सुबोध शर्मा और MIM से इंतजार अंसारी प्रमुख उम्मीदवार हैं. यहां बैठे लोग बदलाव चाहते हैं. 

इस पड़ताल को आगे बढ़ाएं उससे पहले मुजफ्फरनगर का जातीय समीकरण समझ लीजिए. मुजफ्फरनगर जिले की आबादी लगभग 25 लाख है, जिनमें से लगभग 42% मुसलमान हैं. मुजफ्फरनगर सीट पर करीब सवा लाख मुस्लिम वोटर हैं. यहां दूसरे नंबर पर वैश्य हैं जो 70 हजार हैं. 

हमारी टीम मुजफ्फरनगर विधानसभा सीट पर मूड की पड़ताल करते हुए आगे बढ़ी और हम पहुंचे एक इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान पर. यहां मुद्दा सिर्फ हिंदू मुसलमान है. यहां लोगों से बातचीत में पता चला कि विकास जमीन पर कोई मुद्दा नहीं है. 

एबीपी न्यूज के अंडर कवर रिपोर्टर और उनकी टीम को पड़ताल में ये बात साफ साफ दिखने लगी थी कि मुजफ्फरनगर की जमीन से 8 साल बीतने के बाद भी दंगों का दबदबा कम नहीं हुआ है. 

अब हमारी टीम एक और दुकान पर पहुंची. जहां खेती बाड़ी से जु़ड़ा सामान बिकता है. मतलब गांव के लोगों से इस दुकानवाले का सीधा रिश्ता होगा. हमने जब बात शुरू की तो सीधे मुद्दे पर आये. सवाल पूछा कि माहौल क्या बन रहा है. हमारे अंडर कवर रिपोर्टर ने अगला सवाल ये पूछा कि सुनने में आ रहा है कि समाजवादी पार्टी अच्छा कर रही है. 

यहां लोगों ने बताया कि चुनाव में यहां हिंदू मुस्लिम ही होता है और इस दुकान पर बैठे दूसरे शख्स ने जो बताया वो ये कि पुराने राज में डर का माहौल था और कुरेदते हुए बात हम बीजेपी के उम्मीदवार कपिल देव अग्रवाल पर ले गये तो बात खुलती चली गई. 

हमने पूछा विधायक कपिल देव अग्रवाल कैसे हैं. बढ़िया आदमी है. संजीव बालियान अच्छे हैं. पहले गुंडागर्दी ज्यादा थी. लड़कियों का बहुत बुरा हाल कर रखा था. बातचीत दिलचस्प हो रही थी… मुजफ्फरनगर से शुरू हुई चर्चा आसपास की सीटों की ओर बढ़ चली थी. पड़ोस के कैराना में क्या हवा है इसका अनुमान भी लोग लगा रहे थे. 

इस बातचीत को आगे बढ़ाएं उससे पहले बता दें कि मुजफ्फरनगर जिले में विधानसभा की 6 सीटें हैं. पिछली बार बीजेपी को सभी सीटों पर जीत मिली थी. इस बार अखिलेश-जयंत ने किसी मुस्लिम को यहां नहीं उतारा है. लोगों ने कहा कि छह तो नहीं आने की. लेकिन ले जाएगी. कैराना की तो अब निकल जाएगी. नाहिद हसन से तो सब परेशान हैं. 
कल का देखकर जाट वोट टूटेगा. कैराना में जाट एक तरफ जाएगा. 6 की 6 आ सकती है. किसान आंदोलन से फर्क पड़ेगा. मगर बीजेपी ही आएगी. 20 फीसदी जाट बीजेपी को देगा.

इस बातचीत को अगर पश्चिम की हवा का पैमाना माने तो जाट वोटरों में बंटवारा साफ दिख रहा है, लेकिन बाकी हिंदू वोट बीजेपी के साथ हैं 
और ये जो बात हवा में चल रही है कि व्यापारी वर्ग बीजेपी से खुश नहीं है उसका जवाब भी इस दुकानदार ने दे दिया. ऑपरेशन वोटर के जरिये हमने मुजफ्फरनगर की वो तस्वीर पेश की है जो तस्वीर कैमरे के सामने शायद आप देख नहीं पाते.

मुजफ्फरनगर के लोगों से बात करने के बाद हमारी टीम बुढाना विधानसभा सीट के इलाके में पहुंची. यहां खतौली के रास्ते पर हमने कुछ लोगों से बातचीत की. लोगों ने कहा कि यहां भाजपा और आरएलडी में कड़ी टक्कर होगी. थोड़े बहुत वोट से हार जीत होगी. टक्कर बराबर की है. हमारे गांव में तो बीजेपी का जोर है. 

एक बात जो समझ में आ रही थी. वो ये कि लोग यहां इस बार टक्कर मान रहे हैं. ये वो सीट है जहां पिछली बार बीजेपी जीती थी. विधायक उमेश मलिक इस बार भी बीजेपी के उम्मीदवार हैं. आरएलडी ने राजपाल बालियान को उतारा है. बीएसपी ने इस सीट पर मुस्लिम को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस, आप और ओवैसी की पार्टी भी इस सीट पर है.

हमारी टीम घूमते हुए एक जगह पहुंची तो लोग घर के बाहर बैठे हुए थे. हम भी बुढाना का माहौल टटोलने के लिए उनके साथ बैठ गये. माहौल क्या चल रहा है. 
हम लोग सर्वे कर रहे हैं. कानून व्यवस्था के हिसाब से सरकार ठीक है. आमदनी डबल कर दी. पूरे गांव में जोर है लोकदल का. यहां पर जयंत चौधरी हैं. कोई और नहीं. बुढाना में मुस्लिमों की अच्छी संख्या है. 

इस सीट पर जहां पहली बातचीत में लोगों ने बीजेपी के पक्ष में माहौल का जिक्र किया तो वहीं दूसरी बातचीत में लोग आरएलडी का दबदबा बता रहे थे. हमारे अंडर कवर रिपोर्टर को कुछ और लोग मिले. जहां चुनाव को लेकर बातचीत दिलचस्प हुई. लोगों ने बीजेपी का दबदबा बताया. बता दें कि बुढाना के सिसौली में ही किसान नेता राकेश टिकैत का घर है. बुढाना वो सीट है जहां 2012 में बीजेपी चौथे नंबर पर रही थी और 2017 की लहर में पार्टी ने सीट जीती थी.  

नोट- हमारा मकसद लोगों की राय को बिना डर, झिझक या फिर पक्षपात के आपके सामने रखना मात्र है. हम राय रखने वाले की निजता और चुनाव आयोग के सीक्रेट इलेक्टोरल प्रोसेस का पूरा सम्मान करते हैं और उसका पालन करते हैं. हम केवल जनता के बीच के मुद्दे, उनकी राजनितिक पसंद-नापसंद और उनकी राय को आपके सामने रखने की कोशिश कर रहे हैं. हम किसी प्रकार से चुनावी नतीजों की न तो गणना कर रहे हैं ना ही उसका अनुमान लगा रहे हैं.

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