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नईदिल्ली, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 15 जून को गलवान वैली में चीनी सैनिकों से भारतीय सेना की हुई झड़प पर बयान दिया है। उस झड़प में शहीद हुए 20 जवानों की शहादत को याद करते हुए उन्हें श्रद्धाजंलि दी हैं और साथ ही केंद्र सरकार को नसीहत भी दी है।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का कहना है कि पीएम को लद्दाख टकराव पर बयान के बाद अपने शब्दों के प्रति सावधान रहना चाहिए। पीएम चीन को अपने शब्दों का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दे सकते। पीएम को हमेशा अपने शब्दों लेकर राष्ट्र की सुरक्षा पर घोषणाओं के लिए सावधान रहना चाहिए। कूटनीति के लिए गलत जानकारी सही नहीं है।
दरअसल हाल ही में एलएसी पर सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक दलों से कहा था कि- आज हमारे पास यह क्षमता है कि कोई भी हमारी जमीन के एक इंच हिस्से को भी नहीं ले सकता है। भारत की सशस्त्र सेना एक बार में कई क्षेत्रों में जाने की क्षमता रखती है। पीएम मोदी ने राजनीतिक दलों से कहा, न तो चीन ने हमारी सीमा में घुसपैठ की है और न ही कोई पोस्ट बनाया गया है। हमारे 20 जवान शहीद हो गए, लेकिन जिन लोगों ने भारत माता को याद किया, उन्हें सबक सिखाया गया।
गौरतलब है कि बीते 15 जून की रात गलवान घाटी में चीनी और भारतीय सेना की झड़प में चीन के 40 से ज्यादा जवान या तो घायल हुए या मारे गए। वहीं भारत केे 20 जवान शहीद हुए। सैन्य सूत्रों ने जानकारी दी कि इससे पहले पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक झड़प वाले स्थान के पास भारत और चीन की सेनाओं के डिविजनल कमांडरों के बीच बैठक बेनतीजा रही। मेजर जनरल स्तरीय बातचीत में गलवान घाटी से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया को लागू करने पर चर्चा हुई। छह जून को दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता में इसी पर सहमति बनी थी।
मनमोहन ने पीएम मोदी से चुनौतियों का सामना करने को कहा। उन्होंने कहा, हम प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वो वक्त की चुनौतियों का सामना करें, और कर्नल बी. संतोष बाबू एवं हमारे सैनिकों की कुर्बानी की कसौटी पर खरा उतरें, जिन्होंने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा था’अखंडताÓ के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। इससे कुछ भी कम जनादेश से ऐतिहासिक विश्वासघात होगा।