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हिजाब पर बवाल के पीछे कर्नाटक के मंत्री बीसी नागेश ने बताया इस संस्था का हाथ, PFI से है कनेक्शन

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Hijab Row: कर्नाटक में हिजाब को लेकर बढ़ते बवाल को देखते हुए तीन दिन के लिए हाईस्कूल और कॉलेजों को बंद कर दिया गया है. कर्नाटक के प्राइमरी एंड सेकंडरी एजुकेशन मिनिस्टर बीसी नागेश ने इसके पीछे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) समर्थित कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया का हाथ बताया है. एसडीपीआई पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का मुस्लिम संगठन है. वहीं केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सभी छात्र-छात्राओं को स्कूल-प्रशासन की ओर से तय किए गए ड्रेस कोड का पालन करना चाहिए. राज्य में कानून एवं व्यवस्था बनी रहनी चाहिए. हमें देखना होगा कि ये कौन से लोग हैं, जो छात्रों को भड़का रहे हैं. 

बता दें कि कर्नाटक के उडुपी जिले के मणिपाल स्थित एमजीएम कॉलेज में मंगलवार को उस समय तनाव काफी बढ़ गया जब भगवा शॉल ओढ़े विद्यार्थियों और हिजाब पहनी छात्राओं के दो समूहों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी की. बुर्का और हिजाब पहनीं कॉलेज की छात्राओं के एक समूह ने कॉलेज परिसर में प्रवेश किया और सिर पर स्कार्फ़ पहनने के अधिकार के समर्थन में नारे लगाते हुए परिसर में विरोध प्रदर्शन किया. इसी बीच, भगवा शॉल पहने कुछ लड़के-लड़कियां भी कॉलेज पहुंचे और दूसरे समूह के खिलाफ नारेबाजी की. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कॉलेज के कर्मचारियों ने गेट पर ताला लगा दिया, जबकि छात्रों के दोनों समूह गेट के पास इंतजार कर रहे थे.

संविधान से चलेंगे, वो हमारे लिए भगवद्गीता: हाई कोर्ट

कर्नाटक के कॉलेज में हिजाब पहनने को लेकर मच रहे बवाल के बीच मंगलवार को कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. हाई कोर्ट ने कहा कि हम कारणों और कानून के मुताबिक चलेंगे किसी के जुनून या भावनाओं से नहीं. जो संविधान कहेगा, वो हम करेंगे. हमारे लिए संविधान ही भगवद्गीता है. वहीं दलील देते हुए एडवोकेट जनरल ने कर्नाटक हाई कोर्ट से कहा कि यूनिफॉर्म तय करने का काम कॉलेजों का है. जो छात्र इसमें ढील चाहते हैं, वे कॉलेज डेवेलपमेंट कमेटी का रुख कर सकते हैं. 

सुनवाई के दौरान जस्टिस कृष्णा दीक्षित ने कहा, ‘हम कारणों से चलेंगे, कानून से चलेंगे. किसी के जुनून या भावनाओं से नहीं. जो संविधान कहेगा, वही करेंगे. संविधान ही हमारे लिए भगवद्गीता है. मैंने संविधान के मुताबिक चलने की शपथ ली है. भावनाओं को इतर रखिए. हम ये सब हर रोज होते नहीं देख सकते.’

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