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पहले चरण का संग्राम खत्म, दूसरे फेज़ में मुस्लिम वोटरों का दबदबा, समझें सभी 58 सीटों का गणित

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Uttar Pradesh Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश में पहले चरण की वोटिंग खत्म हो चुकी है और अब सभी राजनीतिक पार्टियों का पूरा फोकस दूसरे चरण के चुनावों पर है. दूसरे चरण में 14 फरवरी यानी सोमवार को वोटिंग होनी है और इसमें 55 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे. पश्चिमी उत्तर प्रदेश का ये इलाका बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है. क्योंकि अगर पहले चरण में जाट वोट महत्वपूर्ण थे तो इस दूसरे चरण में मुस्लिम वोट निर्णायक माने जा रहे हैं. कुल 9 जिलों में वोटिंग है और हर जिले में मुसलमान 40 से 50 प्रतिशत तक हैं. कुछ कुछ सीटें तो ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 65 प्रतिशत तक है. इसीलिए ये चरण बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

दूसरे चरण में इन ज़िलों में होगी वोटिंग

दूसरे चरण में सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, अमरोहा, बदायूं, बरेली और शाहजहांपुर की सीटों पर वोटिंग होनी है. पिछली बार यानी 2017 की बात करें तो इन 55 सीटों में बीजेपी का पलड़ा भारी रहा था. पिछली बार बीजेपी को 38, समाजवादी पार्टी को 15, कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं, जबकि बीएसपी का खाता भी नहीं खुला था. लेकिन इस बार बीजेपी के लिए राहें इतनी आसान नहीं मानी जा रही हैं क्योंकि ये पूरा इलाका मुस्लिम बहुल माना जाता है. 

बीजेपी को इसका तजुर्बा लोकसभा चुनावों में ही हो गया था. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए यूपी में महागठबंधन हुआ था, जिसमें समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और इस इलाके में आरएलडी भी शामिल थी. इस पूरे इलाके में इन तीनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था.

लोकसभा चुनाव में इस इलाके की 11 सीटों में 7 सीटें समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के हिस्से में आई थीं. सहारनपुर, नगीना, बिजनौर और अमरोहा की सीटों पर बीएसपी जीती थी, जबकि समाजवादी पार्टी को मुरादाबाद, संभल और रामपुर में जीत मिली थी. बाकी की चार सीटें बीजेपी को मिली थीं. यानी 2019 में इस इलाके में मुस्लिम, जाट और दलित मतदाताओं के गठजोड़ का फार्मूला कामयाब हुआ था. इस पूरे इलाके में मुस्लिम वोटर प्रत्याशियों की जीत हार तय करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं. कुछ सीटें तो ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटर 65 प्रतिशत तक हैं. 

दूसरे चरण की सीटों पर मुस्लिम वोटरों का प्रभाव

  • मुरादाबाद की 6 में 5 सीटों पर 50-55 प्रतिशत तक मुस्लिम मतदाता
  • बिजनौर की 8 सीटों पर 40 से 50 प्रतिशत मुस्लिम वोटर
  • रामपुर की 5 सीटों पर 50 प्रतिशत मुस्लिम वोटर
  • संभल की 4 सीटों पर यादव और मुस्लिम वोट 60 फीसदी से ज्यादा
  • बरेली में 8 सीटों पर 40 प्रतिशत तक मुस्लिम मतदाता
  • अमरोहा की 4 सीटों पर 50 प्रतिशत मुस्लिम वोटर
  • बदायूं की 6 सीटों में 40 से 45 फीसदी तक मुस्लिम वोटर

किसने कितने मुस्लिम उम्मीदवार उतारे?

समावजादी पार्टी के गठबंधन ने 20 मुस्लिम प्रत्याशी बनाए हैं. इसके अलावा बीएसपी ने 23, जबकि कांग्रेस ने 20 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी गठबंधन की तरफ से अपना दल ने रामपुर से एक मुस्लिम प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि इस बार एसपी, बीएसपी और कांग्रेस तीनों ही अलग अलग चुनाव लड़ रही है. और एमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी भी चुनावी मैदान में हैं. इसीलिए राजनीतिक समीक्षक मान रहे हैं कि मुस्लिम मतों का बिखराव होगा और बीजेपी को इसका लाभ मिल सकता है. 

ये बात भी सही है बीजेपी के सामने चुनौती है, लेकिन ऐसी ही चुनौती तो लोकसभा चुनावों में भी थी. इस इलाके में भले ही बीजेपी हारी हो, लेकिन ओवर ऑल यूपी की बात करें, तो बीजेपी क्लियर विनर बनकर उभरी. बीजेपी को इस बार भी ऐसी ही उम्मीद है कि अगर इस इलाके में कुछ सीटें कम हो भी गईं, तो फिर यूपी के दूसरे हिस्सों से उसकी भरपाई कर ली जाएगी. इसीलिए बीजेपी इस इलाके की कैपेंनिंग में एक ही सवाल उठा रही है और वो है कानून व्यवस्था और समाजवादी पार्टी के दागी प्रत्याशियों का. 

किस पार्टी के कितने उम्मीदवार दागी?

  • समाजवादी पार्टी के 52 में से 35 उम्मीदवार दागी
  • कांग्रेस के 54 में से 23 उम्मीदवार दागी
  • बीएसपी के 55 में से 20 उम्मीदवार दागी
  • बीजेपी के 53 में से 18 उम्मीदवार दागी

सहारनपुर की रैली में गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “ये जो चाहते हैं कि योगी जी काम कर रहे हैं, तो कहते हैं कि योगी जी ने उसको जेल में डाल दिया, तो क्या उसे महल में भेजें क्या? पहले यहां क्या स्थिति थी, ये आप लोग मुझसे ज्यादा जानते हैं.” जबकि सीएम योगी ने कहा, “बड़े बड़े माफिया और अपराधी सत्ता के संरक्षण में आम नागरिकों का जीना हराम करते थे, जो गुंडे बेटियों के लिए खतरा थे, आज 5 साल बाद यूपी की सरकार ने उन्हें ठिकाने लगा दिया है.”

गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे की ज़मानत पर विपक्ष हमलावर

लखीमपुर खीकी कांड में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को गुरुवार को जमानत मिल गई. इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच की तरफ से उन्हें जमानत दी गई. विपक्ष इस पर हमलावर हो गया और सरकार पर जमकर निशाना साधा.

प्रियंका गांधी का हमला 

कांग्रेस महासचि प्रियंका गांधी ने कहा, “सत्ता के सरंक्षण में मंत्री के बेटे ने किसानों को कुचला. सत्ता ने किसानों की न्याय की आस को कुचला. आज पूरे देश के किसान दुखी हैं, गुस्से में हैं. मेरे किसान भाइयों-बहनों कांग्रेस पार्टी न्याय की आवाज दबने नहीं देगी. न्याय के लिए हम आपके साथ मिलकर संघर्ष करेंगे.”

जयंत चौधरी ने कही ये बात

आशीष मिश्रा को ज़मानत मिलने पर आरएलडी नेता जयंत चौधरी ने तंज़ कसा. जयंत चौधरी ने आशीष मिश्रा को ज़मानत मिलने पर व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया, “क्या व्यवस्था है!! चार किसानों को रौंदा, चार महीनों में ज़मानत…”

ओम प्रकाश राजभर ने कही ये बात

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने आरोप लगाया है कि आशीष मिश्रा को सिर्फ इसलिए ज़मानत मिली है क्योंकि वो मंत्री का बेटा है. बीजेपी जानती है कि वो चुनाव हार रही है. बेल दिला कर वो ब्राह्मण वोट हासिल करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी ब्राह्मण समाज को इसके ज़रिए संदेश देना चाहती है कि ज़मानत उनकी कोशिशों का नतीजा है.

ओपी राजभर ने कहा, “केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे को ज़मानत मिल गई, लेकिन जो किसान गाज़ीपुर बॉर्डर और लखीमपुर में मारे गए उन्हें इंसाफ नहीं मिला. जहां भी बीजेपी का निजी फायदा होगा, उस व्यक्ति को ज़मानत मिल जाएगी, लेकिन उनका फायदा नहीं हो रहा होगा तो बेल नहीं मिलेगी.”

यह आदेश जस्टिस राजीव सिंह की एकल पीठ ने दिया है. 18 जनवरी को लखनऊ बेंच ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आशीष मिश्रा पर लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया गांव में पिछले साल तीन अक्टूबर को प्रदर्शनकारी किसानों को जीप से कुचलकर मारने का आरोप है.

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